भारत में आगामी बजट 2024 पर सभी की नजरें हैं, जो 23 जुलाई को पेश किया जाने वाला है। इसे लेकर बाजार और उद्योग जगत में काफी उत्साह है। हर साल की तरह, इस बार भी बजट में कुछ क्षेत्रों को लाभ मिलेगा तो कुछ को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
इस बार का बजट आर्थिक प्राथमिकताओं में बड़े बदलाव ला सकता है। अनुमान है कि सरकार उपभोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से व्यक्तिगत करों को कम कर सकती है या उपभोक्ता-केंद्रित क्षेत्रों में खर्च बढ़ा सकती है। इससे भारतीय बाजार में उनकी शक्तिशाली स्थिति बरकरार है जो ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों पर असर डाल सकते हैं।
बजट में ग्रामीण योजनाओं के लिए फंडिंग में वृद्धि की उम्मीद है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर सुधारने का मकसद है। इससे हिंदुस्तान यूनिलीवर, TVS मोटर, और हीरो मोटोकॉर्प जैसी कंपनियों को लाभ होने की संभावना है जो ग्रामीण बाजारों में मजबूत पकड़ रखती हैं।
रियल एस्टेट डेवलपर्स के लिए यह बजट श्रेयस्कर सिद्ध हो सकता है। खासतौर पर, मैक्रोटेक डेवलपर्स और संटेक रियल्टी जैसी कंपनियां जो किफायती आवास योजनाओं में काम कर रही हैं, उन्हें फायदा होगा क्योंकि सरकार इस सेक्टर में अधिक आवंटन कर सकती है। आवास वित्त कंपनियां जैसे आवास फाइनेंसियर्स और होम फर्स्ट फाइनेंस भी शहरी आवास के लिए ब्याज सब्सिडी योजना से लाभान्वित हो सकती हैं।
इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य भी इस बजट से जुड़ा हुआ है। टाटा मोटर्स, ओला इलेक्ट्रिक और ओलेक्ट्रा ग्रीनटेक जैसी ऑटोमोबाइल कंपनियां जो इलेक्ट्रिक वाहनों के निर्माण में जुटी हैं, उन्हें जारी सब्सिडी योजनाओं से मजबूती मिलेगी। यह न केवल पर्यावरण के अनूकूल है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि भारत आने वाले समय में स्थायी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रहा है।
उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं का लाभ भी इस बार बने रहने की संभावना है, जिससे तकनीकी हार्डवेयर, टेलीकॉम उपकरण और मेडिकल डिवाइस निर्माताओं को फायदा होगा। यह योजनाएं सरकार की 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होंगी।
लार्सन एंड टूब्रो और अन्य अधोसंरचना कंपनियों को सरकार की ओर से बढ़ते पूंजीगत खर्चों से लाभ होगा। यह देश के अवसंरचना विकास के लिए आवश्यक है और रोजगार के अवसर भी बढ़ेगे।
ट्रेडिंग क्षेत्रों में कुछ चुनौतियां आ सकती हैं, खासतौर पर यदि पूंजीगत लाभ कर में बदलाव किए जाते हैं। इससे शेयर बाजार में व्यापार की मात्रा घट सकती है, जिससे मोटीलाल ओसवाल, ICICI सिक्योरिटीज और एंजल वन जैसी ब्रोकरेज कंपनियों पर असर पड़ सकता है। म्यूचुअल फंड एसोसिएशन ने लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ कर से म्यूचुअल फंड यूनिट्स को छूट देने की मांग की है।
इसके अलावा, सरकार डेरिवेटिव ट्रेडिंग को भी नियमित करने की योजना बना रही है, जिससे बाजार और ट्रेडिंग की मात्रा पर प्रभाव पड़ सकता है।
इस सभी के बीच, यह बजट भारतीय अर्थव्यवस्था की दिशा बदलने और उसे नई ऊंचाइयों पर ले जाने की क्षमता रखता है। खासकर उन क्षेत्रों के लिए जो उच्च प्राथमिकता प्राप्त करेंगे और उन्हें सरकार से समर्थन मिलेगा। वहीं, कुछ क्षेत्रों को सतर्क रहना होगा क्योंकि आने वाले बदलाव उनके लिए बड़ी चुनौतियां ला सकते हैं।
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