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भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा पिंक बॉल टेस्ट: पहले दिन मिचेल स्टार्क का कहर

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा पिंक बॉल टेस्ट: पहले दिन मिचेल स्टार्क का कहर

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया: पिंक बॉल टेस्ट का पहला दिन

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे टेस्ट मैच का आगाज एडिलेड ओवल में हुआ, जहाँ भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीमें आमने-सामने आई। रोहित शर्मा की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का निर्णय लिया। यह निर्णय उन पर भारी पड़ा क्योंकि मिचेल स्टार्क के धारदार गेंदबाजी ने भारतीय बल्लेबाजों की कमर तोड़ दी और उन्हें केवल 180 रन पर समेट दिया गया।

भारतीय पारी की शुरुआत काफी साधारण रही, क्योंकि स्टार्क ने शुरू से ही अपना प्रभाव जमाते हुए भारतीय बल्लेबाजों को थोड़ा भी सहज नहीं होने दिया। उन्होंने 48 रन देकर कुल छह महत्वपूर्ण विकेट झटक लिए। भारतीय बल्लेबाजी क्रम में की गई तीन प्रमुख बदलाव भी इस दिन टीम के पक्ष में नहीं आए। रोहित शर्मा, जो कि पितृत्व अवकाश के बाद वापस लौटे थे, ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी की। उनके साथ यशस्वी जायसवाल ओपनिंग करने आये। लेकिन टीम की बल्लेबाजी देखते हुए यह लगता है जैसे टीम अभी भी संयोजन तलाश रही है।

टीम में बदलाव

भारतीय टीम प्रबंधन ने कई महत्वपूर्ण बदलाव किए जिससे उम्मीद की जा रही थी कि टीम को मजबूती मिलेगी। शीर्ष क्रम में बदलाव करते हुए, टीम ने देवदत्त पडिक्कल, ध्रुव जुरेल और वाशिंगटन सुंदर को बाहर रखते हुए, अनुभवशाली रोहित शर्मा और प्रतिभाशाली शुभमन गिल एवं अनुभवी स्पिनर रविचंद्रन अश्विन को टीम में शामिल किया।

हालांकि, रोहित शर्मा का आगमन टीम के लिए कोई राहत नहीं ला सका। कप्तान के रूप में उन्होंने खुद तीसरे नंबर पर बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया, परंतु पूरे बल्लेबाजी क्रम में कोई भी खिलाड़ी प्रभाव छोड़ने में असमर्थ रहा। शुभमन गिल और विराट कोहली ने भले ही संयम दिखाया, बावजूद इसके वे टीम को ठोस आधार नहीं दे सके।

ऑस्ट्रेलिया की आशाजनक शुरुआत

ऑस्ट्रेलिया की आशाजनक शुरुआत

इसके जवाब में ऑस्ट्रेलियाई टीम ने अपनी पारी की शानदार शुरुआत की। जसप्रीत बुमराह ने उशमन ख्वाजा को 13 रनों पर बोल्ड कर भारतीय टीम को थोड़ी राहत दिलाई। इसके बाद, नाथन मैकस्विनी और मार्नस लबसचगने ने संभलकर खेलते हुए पहले दिन के खेल का अंत 86/1 पर किया। लबसचगने जहां 20 रन पर स्टंप्स पर थे, वहीं मैकस्विनी 38 रन बनाकर क्रीज पर टिके हुए थे।

ऑस्ट्रेलिया पिछले कुछ समय से घर में लगातार तीन टेस्ट हार का सामना नहीं करना चाहता, जो उसने 1988 के बाद से नहीं किया है। वे अब इस पिंक बॉल टेस्ट में अपनी जीत की संभावना को लेकर विश्वास से भरे हुए हैं। इस मैदान पर उनका पिछला प्रदर्शन भी आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए पर्याप्त है क्योंकि एडिलेड ओवल पर उन्होंने पिंक बॉल टेस्ट नहीं गंवाया है।

संघर्षपूर्ण स्थिति

ऑस्ट्रेलिया के लिए यह टेस्ट काफी महत्व रखता है। पहले टेस्ट में हार के कारण सीरीज में पिछड़ जाने के बाद उनका लक्ष्य है कि वे इस मौके का भरपूर इस्तेमाल करेंगे। पिंक बॉल टेस्ट का उनके पक्ष में होना इस मिशन को आसान कर देता है। वहीं भारतीय टीम के लिए एक मजबूत वापसी की चुनौती बनी हुई है ताकि वो अपने प्रतिद्वंदी को जवाब दे सकें।

भले ही पहले दिन का खेल समाप्त हो चुका है, लेकिन इस टेस्ट का आगे का रोमांच अभी बाकी है। दोनों टीमों के प्रशंसक आगामी दिनों में खेल के नतीजे के लिए उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। इस टेस्ट मैच का परिणाम दोनों टीमों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा और यह देखना दिलचस्प होगा कि अगले दिन रणनीतियों का कैसा प्रदर्शन होता है।

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5 टिप्पणि

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    Annapurna Bhongir

    दिसंबर 7, 2024 AT 21:05
    स्टार्क ने जो किया वो बस एक बार देख लो। भारत की बल्लेबाजी बिल्कुल बेकार थी। कोई रणनीति नहीं, कोई जुनून नहीं। बस बैठे रहे।
    कप्तान भी वापस आया लेकिन टीम नहीं।
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    PRATIKHYA SWAIN

    दिसंबर 9, 2024 AT 17:06
    अभी तो शुरुआत हुई है। बुमराह ने ख्वाजा को आउट किया, अब देखते हैं कि बाकी कैसे खेलते हैं।
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    MAYANK PRAKASH

    दिसंबर 10, 2024 AT 09:02
    मैंने तो बस इतना देखा कि ऑस्ट्रेलिया के ओपनर्स बिल्कुल साफ दिमाग से खेल रहे हैं। भारत की टीम तो बिल्कुल उल्टा चल रही है।
    रोहित का नंबर तीन पर आना बिल्कुल गलत फैसला था। अश्विन को भी अभी तक कुछ नहीं करने दिया। ये टीम कैसे जीतेगी?
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    Akash Mackwan

    दिसंबर 10, 2024 AT 14:02
    ये सब टीम नहीं, एक बेकार ट्रूप है। कोहली भी आ गए तो भी कुछ नहीं हुआ। जो लोग इसे बड़ा बना रहे हैं, वो खुद भी नहीं जानते कि क्रिकेट क्या होता है।
    पिंक बॉल टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया ने हमेशा जीता है। अब फिर से वही देखने को मिलेगा।
    भारत के कोच को तुरंत बदल देना चाहिए। ये तो खेल नहीं, अपराध है।
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    Amar Sirohi

    दिसंबर 11, 2024 AT 19:26
    क्या आपने कभी सोचा है कि जब हम बल्लेबाजी करते हैं, तो हम अपने अंदर के डर को बाहर निकालने की कोशिश कर रहे होते हैं? स्टार्क की गेंदें तो बस एक दर्पण हैं - जिसने भी बल्ला उठाया, उसके अंदर की कमजोरियाँ उसने दिखा दीं।
    हम अपनी टीम को बदल रहे हैं, लेकिन क्या हम अपने दिमाग को बदल रहे हैं? क्या हम अभी भी वही भावनाएँ लिए हुए हैं जो 2003 में थीं - जब हम जीत के लिए नहीं, बल्कि हार से बचने के लिए खेलते थे?
    रोहित शर्मा वापस आए, लेकिन क्या उनके अंदर वही अहंकार था जो उन्हें लंबे समय तक शीर्ष पर रखता था? या फिर वो बस एक नाम बन गए हैं - जिसका इस्तेमाल लोग अपने विश्वास के लिए करते हैं?
    हम अश्विन को बुलाते हैं, लेकिन उन्हें किसी रणनीति के बीच नहीं, बल्कि एक निराशा के अंत में बुलाया गया।
    क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि जब ऑस्ट्रेलिया खेलता है, तो वो खुद को नहीं, बल्कि हमारे डर को खेलता है?
    हमारी टीम ने आज नहीं, बल्कि पिछले 15 सालों से अपनी आत्मा खो दी है।
    हम टीम के बदलावों की बात करते हैं, लेकिन क्या हमने कभी अपने दर्शकों की भावनाओं को बदलने की कोशिश की है?
    क्या हम अभी भी यही सोचते हैं कि जीतने के लिए बल्लेबाजी करनी होगी, न कि जीतने के लिए खेलना होगा?
    एडिलेड की धूल ने आज नहीं, बल्कि हमारे इतिहास की धूल उड़ा दी।
    हम विराट कोहली को लाते हैं, लेकिन क्या हमने कभी उनके बाद की टीम को बनाने की कोशिश की है?
    हम अपने बल्लेबाजों को बचाने की बजाय उन्हें दबाव देते हैं।
    हम जीत की आशा नहीं, बल्कि अपने अतीत की छाया में खेल रहे हैं।
    आज का दिन कोई टेस्ट नहीं, बल्कि एक आत्मचिंतन का दिन है।
    अगर आप अभी भी सोचते हैं कि बल्ला और गेंद ही खेल है, तो आपने क्रिकेट कभी नहीं देखा।

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