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बोलचिस्तान की आज़ादी का ऐलान: मीर यार बलोच की मांगें, भारत-पाक तनातनी के बीच बढ़ी हलचल

बोलचिस्तान की आज़ादी का ऐलान: मीर यार बलोच की मांगें, भारत-पाक तनातनी के बीच बढ़ी हलचल

मीर यार बलोच का बड़ा ऐलान: बोलचिस्तान बना चर्चा का केंद्र

बलोचिस्तान का नाम एक बार फिर दुनियाभर के सुर्खियों में है। बलोच लेखक और एक्टिविस्ट मीर यार बलोच ने खुलकर यह ऐलान कर दिया कि बोलचिस्तान अब पाकिस्तान से स्वतंत्र है। ये फैसला ऐसे समय में आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में फौजी टकराव चरम पर है। भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी ठिकानों पर हमले किए थे, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने भी ड्रोन और मिसाइल हमलों की बौछार कर दी। भारत ने इन हमलों का उसी सख्ती से जवाब दिया—ड्रोन, फाइटर जेट और यहां तक कि पाकिस्तान का AWACS विमान भी गिरा दिया।

ऐसे तनावपूर्ण माहौल में मीर यार बलोच का यह एलान पाकिस्तान के लिए एक नई मुसीबत बनकर उभरा है। उन्होंने न सिर्फ पाकिस्तान की सेना पर लगातार नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप लगाया, बल्कि इसे पूरी बलोच जनता का राष्ट्रीय निर्णय बताया। बलोच आंदोलनकारियों का कहना है कि दशकों से उनपर जबरन लापता किए जाने, उत्पीड़न और जातीय सफाए जैसी घटनाएं होती रही हैं।

दूतावास की मांग, यूएन से दखल और अंतरराष्ट्रीय आंदोलन

मीर यार बलोच ने कोरोना की तरह फैल रही इस 'आज़ादी' की पुकार को सारी दुनिया तक पहुँचाने की कोशिश की है। उन्होंने भारतीय सरकार से कहा है कि दिल्ली में बोलचिस्तान का दूतावास खोला जाए, ताकि दुनिया जान सके कि यहां की जनता पाकिस्तानी जुल्म से आज़ादी चाहती है। साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्र से अपील की है कि पाकिस्तानी सेना तुरंत बोलचिस्तान से हटाई जाए और वहां यूएन शांति सेना भेजी जाए, ताकि मानवाधिकारों की रक्षा हो सके।

उनकी अगुआई में 'फ्री बलोच मूवमेंट' ने यूरोप के बड़े देशों—जर्मनी, फिनलैंड, नीदरलैंड्स आदि में विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है। इनका मकसद है कि सोशल मीडिया के जरिए #RepublicOfBalochistan और #BalochistanAirways जैसे हैशटैग ट्रेंड करवा कर दुनियाभर में बलोच मुद्दे को जिन्दा रखा जाए। ये आंदोलन अब सिर्फ जमीनी स्तर पर ही नहीं, बल्कि डिजिटल मोर्चे पर भी लड़ाई बन चुका है।

पाकिस्तान सरकार की तरफ से इस घोषणा को सिरे से खारिज किया जा सकता है, लेकिन मीर यार बलोच और उनके साथी आंदोलकारियों का आत्मविश्वास नए मुकाम पर है। वे अब सीधे-सीधे भारत और पश्चिमी देशों से समर्थन की उम्मीद कर रहे हैं। जिस तरह से बलोच आंदोलन ने वैश्विक मीडिया में जगह बनाई है, उससे पाकिस्तान के लिए चुनौती और बढ़ सकती है।

भारत-पाकिस्तानी संबंधों की तल्खी के बीच बलोचिस्तान की आज़ादी की आवाज क्या कोई नई दिशा ले पाएगी? आने वाले दिन इस पूरे इलाके के लिए बेहद अहम हो सकते हैं, जिसमें सिर्फ फौजी ताकत नहीं, बल्कि कूटनीति, मानवाधिकार और अंतरराष्ट्रीय राजनीति की परीक्षा भी होगी।

टैग: बोलचिस्तान मीर यार बलोच भारत-पाक तनाव आज़ादी

7 टिप्पणि

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    Preeti Bathla

    मई 16, 2025 AT 18:07
    ये सब बकवास है। बलोचिस्तान अलग करने की बात? भारत को भी अपने अंदर के विद्रोही इलाकों का ख्याल रखना चाहिए। ये लोग बस पाकिस्तान के लिए आवाज बन रहे हैं। 😒
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    Aayush ladha

    मई 18, 2025 AT 00:18
    इस बात को लेकर भारत को चुप रहना चाहिए। जो अपनी जमीन को बेच रहा है, वो दूसरे की जमीन के लिए आवाज नहीं उठाएगा। ये सब अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र है।
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    Annapurna Bhongir

    मई 19, 2025 AT 22:30
    अगर बलोच लोग असली आज़ादी चाहते हैं तो अपने अंदर की लड़ाई लड़ें न कि दूसरे के बीच बैठकर बातें करें
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    PRATIKHYA SWAIN

    मई 20, 2025 AT 02:21
    अच्छा हुआ। अब दुनिया देखेगी कि पाकिस्तान क्या करता है। 🙌
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    Akash Mackwan

    मई 20, 2025 AT 13:55
    ये सब बस एक नाटक है। एक लेखक जो अपने घर से बाहर निकलने का हौसला नहीं रखता, वो दुनिया को बता रहा है कि बलोचिस्तान आज़ाद है? बस एक शोर है। और ये भारत को इसमें घसीटने की कोशिश कर रहा है। बेवकूफ बन रहे हो। 😤
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    Amar Sirohi

    मई 21, 2025 AT 02:51
    इस आंदोलन को सिर्फ राजनीति या भू-राजनीति के नजरिए से नहीं देखना चाहिए। ये एक ऐसी जनसामूहिक आत्म-चेतना का उदय है जिसकी जड़ें शायद एक सौ साल पहले रखी गईं, जब बलोच जनजाति को अपनी भाषा, संस्कृति और जमीन के लिए लड़ना पड़ा। आज का ये ऐलान एक नए इतिहास की शुरुआत हो सकता है-एक ऐसा इतिहास जिसमें राष्ट्र-राज्य की अवधारणा अपने आप को फिर से परिभाषित कर रही है। जब एक आदमी अपनी आत्मा की आवाज उठाता है, तो उसे अंतरराष्ट्रीय ताकतों के खेल में बदल दिया जाता है। ये बस एक नारा नहीं, ये एक अस्तित्व का दावा है।
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    Nagesh Yerunkar

    मई 21, 2025 AT 18:37
    इस घोषणा को वैधता नहीं दी जा सकती। कोई भी अंतरराष्ट्रीय संगठन इसे स्वीकार नहीं करेगा। और भारत को इस बात में शामिल होने की कोई आवश्यकता नहीं है। इस तरह के नाटकों में शामिल होना बस अपनी राष्ट्रीय छवि को नुकसान पहुंचाएगा। #BalochistanIsNotAState 😒

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