अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों के खिलाफ बयानबाजी का स्तर बढ़ा दिया है। 8 जुलाई 2025 को उन्होंने कहा कि यह समूह अमेरिकी डॉलर की वैश्विक दादागीरी को खत्म करने की साजिश रच रहा है। ट्रंप ने साफ कर दिया है कि BRICS सदस्यता महंगी पड़ सकती है—सिर्फ शामिल होने पर ही 10% टैरिफ झेलना होगा। खासकर ब्राजील और भारत पर तो पहले ही 50% तक टैरिफ लगाने के ऑर्डर दे दिए गए हैं।
BRICS समिट इस साल 6-7 जुलाई को रियो डी जेनेरियो में हुई थी, जहां नए आर्थिक अवसरों पर चर्चा के बीच डॉलर पर निर्भरता कम करने के मुद्दे को प्रमुखता मिली। ट्रंप ने इन चल रही चर्चाओं को अमेरिका की अर्थव्यवस्था के लिए 'अस्तित्व का संकट' बता दिया और यहां तक कह डाला कि अगर BRICS ने अमेरिकी फाइनेंशियल प्रभुत्व को चुनौती देना जारी रखा, तो वे इस समूह को 'जमीन पर लाने' से भी पीछे नहीं हटेंगे।
ब्राजील फिलहाल BRICS की अध्यक्षता कर रहा है और राष्ट्रपति लुइज़ इनेसियो लूला डा सिल्वा ने ट्रंप के बयानों को 'साम्राज्यवादी सोच' कह कर खारिज कर दिया। लूला की मानें तो दुनिया को अब और 'सम्राट' नहीं चाहिए। वे BRICS के सहयोगी देशों के साथ मिलकर अमेरिका की इन 'आर्थिक धमकियों' का ठोस जवाब तैयार करने में लगे हैं।
वहीं, ट्रंप प्रशासन की ओर से 20 से ज्यादा देशों को पत्र भेज कर चेतावनी दी गई है कि अगर 1 अगस्त 2025 तक टैरिफ समझौतों पर सहमति नहीं बनी तो नए टैरिफ लागू कर दिए जाएंगे। खासतौर पर ब्राजील को इसका सीधा असर झेलना पड़ सकता है, क्योंकि वहां पर पूर्व राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो की जांच और अमेरिकी टेक कंपनियों के खिलाफ उठाए गए कदमों को लेकर अमेरिकी नाराजगी चरम पर है।
इस सबके बीच, BRICS लगातार डॉलर की निर्भरता से बाहर निकलने के विकल्पों पर काम कर रहा है। वहां सदस्य देशों के बीच स्थानीय मुद्राओं में व्यापार बढ़ाने की योजना चल रही है, जिससे अमेरिकी डॉलर की पॉवर पर सीधा असर पड़ सकता है। ट्रंप इसी मुद्दे को लेकर बार-बार आरोप लगा रहे हैं कि BRICS 'अमेरिका को चोट पहुंचाने के इरादे से बनाया गया है'।
वर्तमान स्थिति साफ कर रही है—अमेरिकी ट्रेड पॉलिसी और BRICS के बढ़ते प्रभाव के बीच टकराव आगे और तेज़ हो सकता है। इस भारी दबाव और धमकियों के दौर में अब अगला कदम क्या होगा, इस पर सबकी नजर है।
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