अक्टूबर 20, 2024 को दिल्ली के रोहिणी में स्थित एक सीआरपीएफ स्कूल में हुए बम धमाके ने न केवल स्कूल की इमारत को क्षति पहुंचाई बल्कि राज्य और केंद्र सरकारों के बीच की राजनीति को भी गरम कर दिया। इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन स्थानीय निवासियों के बीच भय का माहौल बन गया। धमाका इतना तेज था कि इसके प्रभाव से आसपास खड़ी गाड़ियों की भी स्तिथि दयनीय हो गई।
इस घटना के पश्चात दिल्ली की मुख्यमंत्री, आतिशी ने केंद्र सरकार को खरी-खोटी सुनाई, इसे मुंबई में वर्चस्व करने वाले अंडरवर्ल्ड काल से जोड़ते हुए उन्होंने तीखी आलोचना की। इसके प्रतिक्रिया स्वरूप भाजपा के प्रवक्ता ने उन पर पलटवार करते हुए उन्हें 'कठपुतली मुख्यमंत्री' करार दिया। राजनीतिक खींचतान के बीच, यह घटना अब गंभीर सुरक्षा मसले के रूप में उभर कर सामने आई है।
इस बम धमाके से जुड़े एक नए मोड़ के रूप में, दिल्ली पुलिस ने खालिस्तानी संलिप्तता की जांच शुरू कर दी है। दरअसल, 'जस्टिस लीग इंडिया' नामक एक टेलीग्राम चैनल ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। इस चैनल पर उपलब्ध एक वीडियो में 'खालिस्तान जिंदाबाद' के नारे के साथ-साथ भारतीय एजेंसियों के खिलाफ और हमले की धमकी दी गई है। इस चौकाने वाले दावे ने सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है।
पुलिस टेलीग्राम से इस चैनल और इसके निर्माताओं के बारे में जानकारी प्राप्त करने की दिशा में काम कर रही है। टेलीग्राम पर पहले भी इस प्रकार की संलिप्तता के आरोप लगे हैं, खासकर जब इनका उपयोग अंडरवर्ल्ड अपराधियों और चरमपंथी समूहों के द्वारा किया जाता है।
टेलीग्राम ऐप की सुरक्षा और इसके दुरुपयोग के मुद्दे ने एक बार फिर से बहस को जन्म दिया है। यह कोई पहली बार नहीं है जब इस ऐप का उपयोग इस प्रकार की गतिविधियों के लिए किया गया है। इसकी गोपनीयता नीतियों के कारण, किसी भी प्रकार की निगरानी रखना कठिन होता है। इस घटनाक्रम ने ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर नवीनतम नियामक उपायों की आवश्यकता को बढ़ा दिया है, जिससे इस प्रकार की नकारात्मक गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके।
दिल्ली पुलिस ने मामले की जांच को तेज कर दिया है और जिस रात घटना हुई थी उसकी सीसीटीवी फुटेज भी बरामद की है। इस फुटेज में एक संदिग्ध दिखाई दे रहा है, जिसकी पहचान और उसका ताल्लुक खोजने का प्रयास किया जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इस मामले में आंतरिक और बाहरी सभी पहलुओं की गंभीरता से जांच की जा रही है।
यह घटनाक्रम यह संकेत देता है कि ऐसे समय पर बहुत ही सतर्कता की आवश्यकता है जहां सोशल मीडिया को गलत हाथों में पड़ने से रोकना चाहिए। इसके साथ ही, यह भी आवश्यक है कि इस घटना के मूल कारणों के साथ-साथ उसके प्रवर्तकों को जल्द से जल्द पकड़ लिया जाए।
इस घटना ने सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों को ही नहीं बल्कि आम जनता को भी सतर्क रहने की सीख दी है। सूचनाओं का आदान-प्रदान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर जितनी आसानी से होता है, उतनी ही आसानी से इनका दुरुपयोग भी हो सकता है। इसलिए इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए समाज को अधिक जागरूक और संवेदनशील बनना पड़ेगा।
ऐसी घटनाएं न केवल देश की सुरक्षा के लिए खतरा होती हैं बल्कि हर नागरिक से यह अपेक्षा होती है कि वे इन्हें रोकने में अपना योगदान दें, समझदारी और सतर्कता से कार्य करें। क्योंकि आज के डिजिटल युग में टेक्नोलॉजी जितनी सहायक है, गलत हाथों में पड़ने पर उतनी ही खतरनाक भी।
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