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गुरु नानक जयंती 2025: घर पर बनाएं गुरुद्वारे जैसा कड़ा प्रसाद, जानें रेसिपी और धार्मिक महत्व

गुरु नानक जयंती 2025: घर पर बनाएं गुरुद्वारे जैसा कड़ा प्रसाद, जानें रेसिपी और धार्मिक महत्व

नवंबर 5, 2025 को पूरी दुनिया में सिख समुदाय गुरु नानक देव जी की जयंती को श्रद्धाभाव से मना रहा है। यह दिन सिख धर्म के संस्थापक और पहले गुरु के जन्म की याद में मनाया जाता है, और इस अवसर पर घरों में भी गुरुद्वारे जैसा कड़ा प्रसाद बनाया जा रहा है — न केवल स्वाद के लिए, बल्कि आध्यात्मिक आभार का एक प्रतीक के रूप में। जागरण न्यू मीडिया डिवीजन की पत्रकार बॉर्निका दास ने इस दिन दोपहर 1:19 बजे प्रकाशित लेख में स्पष्ट किया कि यह मिठाई सिर्फ अन्न और चीनी का मिश्रण नहीं, बल्कि गुरु की कृपा पाने का एक द्वार है।

कड़ा प्रसाद क्यों है इतना खास?

गुरुद्वारों में प्रसाद का वितरण सिख धर्म की मूलभूत अवधारणा — समानता और सेवा — का प्रतीक है। लंगर में कोई भी व्यक्ति, चाहे उसकी जाति, धर्म या सामाजिक स्थिति कुछ भी हो, एक ही बर्तन से खाना खाता है। इसी भावना को बरकरार रखते हुए, गुरुद्वारा में बनाया जाने वाला कड़ा प्रसाद एक अलग ही पवित्रता लिए हुए है। यह देखकर लगता है जैसे कोई भक्ति का रस ठोस रूप ले रहा हो। इसमें केवल चार चीजें होती हैं: शुद्ध घी, गेहूं का आटा, चीनी और पानी। कोई मैदा, कोई कंडेंस्ड मिल्क, कोई दूध पाउडर नहीं। इसी सादगी में इसकी गहराई है।

कैसे बनाएं गुरुद्वारे जैसा कड़ा प्रसाद?

यूट्यूब चैनल AnnuKiRasoi ने 2 नवंबर, 2025 को एक 8 मिनट 28 सेकंड का वीडियो अपलोड किया, जिसमें उन्होंने स्पष्ट किया: "हलवा है। देखिए। बिल्कुल भी लम्स नहीं आए हैं। भुनभुन के कलर भी काफी अच्छा आ गया है और पानी वगैरह बिल्कुल कम नहीं पड़ा है।" यह बात बहुत महत्वपूर्ण है। कई लोग घर पर बनाते समय आटा जल जाता है या गांठें बन जाती हैं। इसका समाधान है — धीमी आंच पर घी को पहले गर्म करें, फिर आटा डालें और उसे लगातार हिलाते रहें। जब आटा गहरे भूरे रंग का हो जाए और घी से अलग होने लगे, तभी पानी और चीनी मिलाएं। यही तकनीक है जो गुरुद्वारे में बनती है।

क्या है विकल्प? क्या मैदा छोड़ना जरूरी है?

Cadbury Desserts Corner ने एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत किया — उन्होंने आधुनिक और स्वास्थ्य-अनुकूल संस्करण प्रस्तावित किया, जिसमें मैदा की जगह अन्य अनाज जैसे ओट्स या ब्राउन राइस फ्लावर का उपयोग किया गया है। लेकिन यह ध्यान रखें: गुरुद्वारे में बनाया जाने वाला कड़ा प्रसाद कभी मैदा नहीं होता। यह शुद्धता का प्रश्न है। गुरु नानक देव जी ने अपने संदेश में सादगी और अहंकार के विरुद्ध जीवन जीने का आह्वान किया था। इसलिए, जब आप घर पर कड़ा प्रसाद बना रहे हों, तो उसे एक आध्यात्मिक अनुष्ठान के रूप में लें — न कि एक नया डेसर्ट ट्राय करने के लिए।

गुरु नानक देव जी का संदेश और प्रसाद का संबंध

गुरु नानक देव जी ने कहा था — "सबका साथ, सबका विकास"। यही भावना लंगर और कड़ा प्रसाद में बसी है। जब आप इस मिठाई को खाते हैं, तो आप एक ऐसी परंपरा को स्वीकार कर रहे हैं जिसमें भोजन को केवल पेट भरने का जरिया नहीं, बल्कि एक दान और कृपा का रूप माना जाता है। यह नहीं कि आप बिना बिना कुछ खाएं तो आपको बरकत नहीं मिलेगी — बल्कि यह है कि जब आप इसे श्रद्धा से खाते हैं, तो आप अपने अहंकार को छोड़ देते हैं।

क्या होगा अगले साल?

गुरु नानक जयंती 2025 के बाद, लोगों के बीच घर पर प्रसाद बनाने की प्रवृत्ति और भी बढ़ने की उम्मीद है। यूट्यूब पर "गुरुद्वारा प्रसाद कैसे बनता है" जैसे वीडियोज़ के वायरल होने से स्पष्ट है कि नवीन पीढ़ी अपनी जड़ों से जुड़ना चाहती है। कई शिक्षक अब स्कूलों में इसे सांस्कृतिक शिक्षा का हिस्सा बना रहे हैं। अगले साल शायद हम देखेंगे कि गुरुद्वारे के बाहर भी घरों में बनाया गया कड़ा प्रसाद लंगर में वितरित किया जा रहा है।

इतिहास का एक पल

1469 में तलवंडी नामक गांव (अब नंगल कोटा, पंजाब) में जन्मे गुरु नानक देव जी ने एक ऐसा धर्म शुरू किया जिसने जाति, धर्म और लिंग के भेदभाव को खारिज कर दिया। उन्होंने लंगर की शुरुआत की, जहां राजा और गरीब एक साथ खाते थे। यही वही विचार है जो आज भी कड़ा प्रसाद के रूप में जीवित है। यह एक नाश्ता नहीं, यह एक क्रांति है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

कड़ा प्रसाद बनाने के लिए कितना घी चाहिए?

पारंपरिक रेसिपी के अनुसार, 1 कप आटे के लिए लगभग 3/4 कप शुद्ध घी की आवश्यकता होती है। यह अनुपात गुरुद्वारों में भी इस्तेमाल होता है। घी कम होने पर प्रसाद सूख जाता है, और ज्यादा होने पर तेलीय हो जाता है। बिल्कुल सही बिंदु तब मिलता है जब आटा घी से अलग होकर बर्तन के किनारे चिपकने लगे।

क्या कड़ा प्रसाद बिना चीनी के बनाया जा सकता है?

हां, लेकिन इसे तब तक गुरुद्वारे के तरीके से नहीं माना जाएगा। पारंपरिक रूप से, चीनी इसका अभिन्न अंग है — यह भावनात्मक रूप से आनंद और आशीर्वाद का प्रतीक है। अगर आप स्वास्थ्य कारणों से चीनी नहीं खा सकते, तो शहद या गुड़ का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन इसे तब भी बाद में मिलाएं, न कि घी के साथ भूनते समय।

कड़ा प्रसाद को कितने दिन तक रखा जा सकता है?

शुद्ध घी और चीनी के कारण कड़ा प्रसाद ताज़ा रहने के लिए बहुत अच्छा होता है। एयरटाइट कंटेनर में रखने पर यह 7-10 दिन तक बिना बिगड़े रह सकता है। लेकिन धार्मिक रूप से, इसे अक्सर एक दिन में ही वितरित कर दिया जाता है — क्योंकि इसकी शक्ति उसकी ताजगी में है।

क्या गुरुद्वारे में कड़ा प्रसाद बनाने के लिए कोई विशेष रसोई होती है?

हां, गुरुद्वारों में इसके लिए एक अलग किचन होता है जिसे "कड़ा प्रसाद की रसोई" कहते हैं। यहां कोई अन्य खाना नहीं बनाया जाता, और रसोइया भी शुद्ध वेशभूषा में और शुद्ध हाथों से काम करते हैं। इसे "सेवा" का अंग माना जाता है — न कि व्यापार।

बच्चों को कड़ा प्रसाद कैसे समझाएं?

इसे एक ऐसा उपहार समझाएं जो गुरु नानक देव जी ने हमारे लिए छोड़ा है। बताएं कि यह वही चीज है जो लाखों लोग एक साथ खाते हैं — अमीर और गरीब, बड़े और छोटे। इसे खाने से पहले एक पल के लिए आंखें बंद करके गुरु का ध्यान करें — यही इसका सबसे बड़ा रहस्य है।

क्या गुरुद्वारे में कड़ा प्रसाद की रेसिपी बदलती है?

नहीं। गुरुद्वारों में कड़ा प्रसाद की रेसिपी 500 साल से लगभग अपरिवर्तित है। यह एक जीवित परंपरा है। यहां तक कि विभिन्न देशों में भी — अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा — गुरुद्वारे एक ही तरीके से बनाते हैं। यह एकता का प्रतीक है।

टैग: कड़ा प्रसाद गुरु नानक देव जी गुरुद्वारा नवंबर 5 2025 धार्मिक प्रसाद

17 टिप्पणि

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    Kamal Gulati

    नवंबर 7, 2025 AT 14:19

    ये कड़ा प्रसाद बनाने वाले लोग अपनी जेब से घी खरीदते हैं या गुरुद्वारे के पैसे से? कल एक दोस्त ने बताया कि अमेरिका में कुछ गुरुद्वारे इसे बेच रहे हैं। ये सेवा है या बिजनेस?

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    Atanu Pan

    नवंबर 7, 2025 AT 19:13

    मैंने पिछले साल घर पर बनाया था। आटा जल गया, घी ज्यादा डाल दिया, बिल्कुल बर्बाद हो गया। लेकिन फिर भी खाया। क्योंकि ये बस एक चीज नहीं, एक इरादा है।

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    megha u

    नवंबर 8, 2025 AT 23:48

    मैदा नहीं डालना? 😏 ये सब गुरुद्वारे वालों का गुप्त नियम है ताकि हम नए रेसिपीज़ न आजमाएं। ओट्स वाला वर्जन तो बेहतर है। 🤫

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    pranya arora

    नवंबर 10, 2025 AT 04:21

    मैं हमेशा सोचती रही - ये कड़ा प्रसाद जब तक बिना किसी अहंकार के खाया जाए, तब तक ये एक पवित्र चीज़ है। अगर इसे इंस्टाग्राम पर पोस्ट करने के लिए बनाया जा रहा है, तो ये बस एक डेसर्ट बन जाता है।

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    Arya k rajan

    नवंबर 11, 2025 AT 12:59

    मैंने अपनी बहन के साथ इसे बनाया था। बच्चे ने पहली बार खाया और बोला - 'मम्मी, ये तो गुरु जी का प्यार है!' उस दिन मैंने समझा कि ये रेसिपी नहीं, एक अनुभव है।

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    Sree A

    नवंबर 11, 2025 AT 22:30

    घी:आटा:चीनी = 3:4:1. गुरुद्वारे में भी यही रेशियो। बाकी सब बातें धार्मिक फिल्टर हैं।

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    mala Syari

    नवंबर 13, 2025 AT 11:26

    अगर ये इतना पवित्र है तो फिर गुरुद्वारे में इसे बर्तन में नहीं, सोने के बर्तन में क्यों नहीं बनाते? ये सब नाटक है।

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    Kishore Pandey

    नवंबर 14, 2025 AT 07:12

    आप सभी भ्रमित हैं। गुरु नानक देव जी ने कभी कड़ा प्रसाद की बात नहीं की। यह एक बाद की आविष्कार है। आध्यात्मिकता का नाम लेकर लोग अपने अहंकार को छिपाते हैं।

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    Pankaj Sarin

    नवंबर 15, 2025 AT 22:09

    मैदा नहीं? तो फिर ये बर्गर नहीं बल्कि ब्रेड है? 😂 ये सब बातें तो बस लोगों को अपने घर में घी खर्च करने का जायजा देने के लिए हैं।

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    Mahesh Chavda

    नवंबर 16, 2025 AT 12:17

    मैंने इसे बनाने की कोशिश की। घी बह गया। आटा जल गया। चीनी बर्बाद हो गई। लेकिन मैंने इसे खाया। क्योंकि मैं एक सिख हूँ। और इसकी शक्ति मुझे नहीं, इसकी शक्ति गुरु जी की है।

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    Sakshi Mishra

    नवंबर 18, 2025 AT 09:35

    क्या हम इसे बस एक 'प्रसाद' के रूप में देख रहे हैं? या यह एक 'अभिव्यक्ति' है - एक आध्यात्मिक, सामाजिक, और राजनीतिक अभिव्यक्ति? क्योंकि जब एक व्यक्ति घी का उपयोग करता है, तो वह अपने अहंकार को भी भून रहा होता है।

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    Radhakrishna Buddha

    नवंबर 20, 2025 AT 06:42

    ये कड़ा प्रसाद जब तक तुम इसे बिना फोन लेकर खाओगे, तब तक ये तुम्हारे लिए अर्थपूर्ण है! फोटो नहीं, भावना है चाहिए! 😭

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    Govind Ghilothia

    नवंबर 20, 2025 AT 10:45

    गुरु नानक देव जी के सिद्धांतों के अनुसार, यह प्रसाद एक सामाजिक समानता का अभिनय है। इसकी सादगी उस दर्शन की निरंतरता है, जिसने विश्व के अधिकांश धर्मों को चुनौती दी।

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    Sukanta Baidya

    नवंबर 21, 2025 AT 01:28

    घी का इतना इस्तेमाल? ये तो डाइटिंग के लिए बर्बादी है। लेकिन फिर भी... मैं इसे खाता हूँ। क्योंकि ये बस एक अच्छी चीज़ है।

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    Adrija Mohakul

    नवंबर 22, 2025 AT 19:32

    मैंने अपनी दादी के साथ बनाया था। उन्होंने कहा - 'बेटी, ये आटा जब घी से अलग होता है, तो तुम्हारा दिल भी अलग हो जाता है।' मैंने तब समझा।

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    shyam majji

    नवंबर 24, 2025 AT 18:59

    कल मैंने एक अजनबी को इसे खिलाया। उसने कहा - 'ये तो बचपन की याद दिला देता है।' उस एक पल में मैंने समझ लिया कि ये बस एक मिठाई नहीं, एक जुड़ाव है।

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    Khagesh Kumar

    नवंबर 24, 2025 AT 22:26

    अगर आप घर पर बना रहे हैं, तो बस धीमी आंच पर भूनें। बाकी सब बातें बस बातें हैं। खाना खाओ, शांति महसूस करो।

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