भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने घोषणा की है कि वह लोकसभा 2024 चुनाव के परिणाम घोषित होने से पहले एक्जिट पोल और उनसे संबंधित चर्चाओं का बहिष्कार करेगी। इस निर्णय का स्पष्ट मतलब यह है कि कांग्रेस पार्टी के नेता न तो टीवी चैनलों पर और न ही अन्य मीडिया प्लेटफार्मों पर एक्जिट पोल बहस में शामिल होंगे।
कांग्रेस के इस निर्णय के पीछे एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि पार्टी की नेतृत्व टीम, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं, ने एक्जिट पोल की विश्वसनीयता और कार्यप्रणाली पर संदेह जताया है। पार्टी का कहना है कि अतीत में भी कई बार एक्जिट पोल गलत साबित हुए हैं, जिससे इनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठते हैं।
कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि कुछ मीडिया चैनल और एजेंसियां बीजेपी के प्रति पक्षपाती हैं और एक्जिट पोल का उपयोग मतदाताओं की धारणाओं को प्रभावित करने और गलत नैरेटिव बनाने के लिए किया जाता है। इसलिए पार्टी के नेताओं को निर्देश दिया गया है कि वे एक्जिट पोल बहसों में भाग न लें और इसके बजाय 3 जून को होने वाली मतगणना की तैयारी पर ध्यान केंद्रित करें।
कांग्रेस ने चुनाव आयोग से भी अपील की है कि वह चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पवित्रता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए। पार्टी ने यह जोर देकर कहा कि ऐसे समय पर, जब लोकसभा चुनाव परिणाम को लेकर गहमागहमी और अनुमानों का दौर चल रहा हो, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण है।
कांग्रेस ने इस निर्णय को लेते हुए पिछले अनुभवों का भी उल्लेख किया है। पार्टी का कहना है कि अतीत में कई बार एक्जिट पोल गलत साबित हुए हैं और चुनाव के वास्तविक परिणाम इन अनुमानों से बिल्कुल अलग रहे हैं। इन गलत अनुमानों के चलते जनता के बीच भ्रम पैदा हुआ और यह भी देखा गया कि ऐसे परिणामों का सीधा लाभ बीजेपी को मिला।
इसलिए, कांग्रेस ने निर्णय लिया है कि एक्जिट पोल का बहिष्कार करके वह अपने नेताओं और समर्थकों को गलत धारणाओं से दूर रखेगी। पार्टी का मानना है कि एक्जिट पोल अधिकतर मामले में जनमत को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल होते हैं, जो चुनावी प्रक्रिया के पवित्रता को चोट पहुंचाता है।
कांग्रेस ने अपने प्रवक्ताओं और नेताओं को निर्देश दिया है कि वे एक्जिट पोल चर्चाओं से दूर रहें और 3 जून को मतगणना के दिन के लिए पूरी तैयारी में जुट जाएं। पार्टी का मुख्य फोकस अब चुनाव में अपनी जीत सुनिश्चित करने और मतगणना के दिन की रणनीति पर है।
इस बीच, विभिन्न एक्जिट पोल आईं अनुमानों पर लगातार चर्चाएं हो रही हैं और यह देखा जा रहा है कि विभिन्न एजेंसियों द्वारा पेश किए गए परिणाम काफी भिन्न-भिन्न हैं। जिससे आम लोग और राजनीतिक विश्लेषक भी असमंजस में हैं।
कांग्रेस के इस निर्णय पर मीडिया और जनता के बीच भी मिश्रित प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। कुछ लोग कांग्रेस के इस कदम को सही ठहरा रहे हैं और मानते हैं कि यह पार्टी का सही निर्णय है, जबकि कुछ लोग इसे एक्जिट पोल की विश्वसनीयता पर उठाया गया एक बड़ा सवाल मान रहे हैं।
इस पूरे परिदृश्य में, एक बात स्पष्ट है कि लोकसभा 2024 चुनाव के परिणाम को लेकर सभी को इंतजार है और 3 जून को होने वाली मतगणना पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं।
कुल मिलाकर, कांग्रेस ने एक्जिट पोल की विश्वसनीयता को लेकर संदेह जताते हुए एक्जिट पोल बहस से दूर रहने का निर्णय लिया है और अपने नेताओं को भी इसका पालन करने का निर्देश दिया है। पार्टी अब चुनाव परिणाम की तैयारी में जुटी है और मतगणना के दिन के लिए पूरी तरह से तैयार हो रही है।
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