मलयालम अभिनेता-निर्माता बाबूराज पर एक जूनियर आर्टिस्ट ने यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाया है। आरोप के अनुसार, यह घटना 2019 की है जब बाबूराज ने उन्हें एक फिल्म में भूमिका देने का झांसा देकर अपने घर बुलाया था। आर्टिस्ट का दावा है कि बाबूराज ने उन्हें अपने अलुवा स्थित घर पर बुलाया था जहां फिल्म के उत्पादन नियंत्रक और अन्य तकनीशियनों के होने की बात कही गई थी, लेकिन पहुंचने पर उन्होंने अपने आप को अकेला पाया और बाद में बाबूराज द्वारा उत्पीड़ित हुईं।
बाबूराज ने इन सभी आरोपों से साफ इनकार किया है और इसे उनकी छवि धूमिल करने की साजिश करार दिया है। उन्होंने दावा किया कि यह आरोप उन्हें AMMA (मलयालम मूवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन) के महासचिव पद पर आने से रोकने के लिए लगाए गए हैं। बाबूराज ने यह भी कहा कि आरोप लगाने वाली महिला का फिल्म जगत से कोई संबंध नहीं है और उसे उन्होंने अपने रिसॉर्ट में काम पर रखा था।
आरोप लगाने वाली जूनियर आर्टिस्ट ने अपना नाम सार्वजनिक नहीं किया है और अब वह अपने परिवार के साथ केरल से बाहर रह रही हैं। उन्होंने अपनी बात पुलिस के सामने रखने की पूरी तैयारी की है और कहा है कि अगर आवश्यकता हुई तो वह अपने अनुभव को सार्वजनिक रूप से भी साझा करेंगी।
यह हालांकि पहली बार नहीं है जब मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है। इससे पहले भी कई महिला कलाकारों ने अपने अनुभवों को साझा किया है। हमा कमेटी की रिपोर्ट भी इस बात को लेकर काफी चर्चित रही है। इस रिपोर्ट में महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के कई मामलों का उल्लेख किया गया था, जो फिल्म उद्योग में व्याप्त हैं। इस रिपोर्ट के बाद से जारी इन घटनाओं ने मलयालम फिल्म उद्योग के माहौल को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इससे पहले, केरला राज्य चलचित्र अकादमी के अध्यक्ष रंजीत और कलाकार संघ के महासचिव सिद्दीक दोनों ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था। इन दोनों पर भी यौन दुर्व्यवहार के आरोप लगे थे। इन इस्तीफों ने मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा को लेकर बड़े प्रश्न खड़े किए हैं।
हाल ही में मलयालम फिल्म उद्योग के भीतर महिलाओं की सुरक्षा और उनके साथ होने वाले बर्ताव को लेकर चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। इस उद्योग में काम करने वाली महिलाओं ने कई बार अपने साथ हुए दुर्व्यवहार के अनुभव साझा किए हैं, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महिलाओं के लिए इसमें काम करना कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
हिमा कमेटी की रिपोर्ट के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि फिल्म उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इस रिपोर्ट में महिलाओं के उत्पीड़न, यौन शोषण और भेदभाव के मामलों पर विस्तार से प्रकाश डाला गया था। इस रिपोर्ट ने फिल्म उद्योग के भीतर सुरक्षा और समानता के मुद्दे पर एक बड़े विमर्श को जन्म दिया है।
यह मामला और इससे जुड़े अन्य मामले यह स्पष्ट करते हैं कि फिल्म उद्योग में महिलाओं के अधिकारों और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जरूरत है। इसके लिए उचित कानून और नियम बनाए जाने चाहिए जिससे इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।
इस पूरे मामले में दोनों पक्षों ने कानून का सहारा लेने की बात कही है। जहां बाबूराज ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है, वहीं जूनियर आर्टिस्ट ने भी पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी की है। इससे यह मामला कानूनी जटिलताओं का रास्ता पकड़ सकता है।
इस घटना ने यह सवाल भी उठाया है कि फिल्म उद्योग और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि वे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि महिलाओं को एक सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण मिले, जहां वे अपने करियर को बिना किसी डर के आगे बढ़ा सकें।
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