मेरठ की हवा अचानक साफ होने लगी है। शनिवार, 1 दिसंबर, 2025 को शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 197 पर पहुँच गया, जो 'गंदी' श्रेणी में आता है — पिछले दिन के 214 से 17 अंक की गिरावट के साथ। यह बदलाव अभी तक की सबसे बड़ी सुधार की रुख लग रहा है, जबकि नवंबर के अंत तक शहर का AQI 350 से ऊपर रहा था। यह गिरावट न सिर्फ आँखों को आराम दे रही है, बल्कि सांस लेने में आने वाली परेशानियों को कम कर रही है।
क्या बदला है? एक हफ्ते का अंतर
नवंबर के शुरुआती दिनों में मेरठ की हवा खतरनाक थी। 11 नवंबर को AQI 409 था — 'खतरनाक' श्रेणी में। अगले दिन भी 396, फिर 390, 365… लगातार एक सप्ताह तक शहर विषैली हवा के बीच डूबा रहा। लेकिन 25 नवंबर से 30 नवंबर तक गिरावट शुरू हुई: 350 से गिरकर 214 हो गया। और फिर 1 दिसंबर को यह गिरावट आगे बढ़ी — 197। यह बदलाव बस एक दिन का नहीं, बल्कि एक रुझान है।
लेकिन यहाँ एक बड़ी बात है: अलग-अलग स्रोतों से अलग-अलग आँकड़े आ रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, 1 दिसंबर को शाम 4 बजे मेरठ का AQI 268 था — 'बहुत गंदी' श्रेणी में। वहीं ABP Live का रिपोर्ट 197 बता रहा था। यह अंतर क्यों? कारण आसान है: शहर के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग सेंसर लगे हैं। एक स्थान पर वाहनों की भीड़, दूसरे पर उद्योगों के धुएँ, तीसरे पर खेतों में खलिहान जलाने की आदत — सबका असर अलग होता है।
मुख्य दुश्मन: PM2.5 और PM10
हवा में जो खतरनाक पदार्थ हैं, उनमें से सबसे खतरनाक हैं PM2.5 और PM10। ये इतने छोटे कण होते हैं कि वे फेफड़ों तक पहुँच जाते हैं और रक्त में घुल जाते हैं। CPCB की रिपोर्ट में यही दो प्रदूषक मुख्य रूप से जिम्मेदार बताए गए हैं। नवंबर के बीच में, PM2.5 के स्तर 185 µg/m³ तक पहुँच गए थे — विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सुरक्षित सीमा (5 µg/m³) के 37 गुना से ज्यादा। आज यह स्तर गिरकर लगभग 60-70 µg/m³ के आसपास है। अभी भी खतरनाक है, लेकिन बेहतर है।
एक और बात: तापमान और हवा की गति भी इस बदलाव में भूमिका निभा रही है। 25°C तापमान और 8 km/h हवा की गति ने धुएँ को फैलने से रोका। जबकि नवंबर के अंत तक हवा लगभग शांत रही, जिससे प्रदूषण जमा हो गया। अब थोड़ी हवा चल रही है — और यह बहुत अच्छी खबर है।
क्या बदला है आम आदमी के लिए?
एक बच्ची, जिसकी सांसें अक्सर तेज हो जाती थीं, अब बाहर खेलने के लिए तैयार है। एक बुजुर्ग, जो पिछले सप्ताह घर से बाहर निकलने से डरते थे, अब अपनी सुबह की टहल फिर से शुरू कर रहे हैं। ABP Live का स्वास्थ्य सलाह: "संवेदनशील लोगों को लंबे समय तक बाहर रहने से बचना चाहिए।" लेकिन अब यह सलाह ज्यादा जरूरी नहीं लग रही।
मेरठ के एक डॉक्टर, जिन्होंने अपना नाम छिपाने की अनुमति माँगी, ने कहा: "पिछले दो हफ्तों में हमारे आउटपेटिएंट वार्ड में सांस संबंधी बीमारियों के मामले 40% बढ़ गए। अब वो लगभग ठीक हो रहे हैं। यह बदलाव जानलेवा हो सकता था।"
साल भर का अंदाजा: बेहतरी या बस एक छोटी छूट?
क्या यह बदलाव स्थायी होगा? एक बात तो साफ है: 2025 के लिए मेरठ का औसत AQI 132 है — पिछले तीन सालों की तुलना में 8.8% सुधार। लेकिन यहाँ एक चिंता की बात है: इस साल के 212 दिनों में से कोई भी दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा पर नहीं पहुँचा। यानी, अभी भी हर दिन खतरनाक है।
क्या यह सुधार बस एक तापमान या हवा के बदलाव का नतीजा है? शायद। लेकिन एक और बात भी है: नवंबर के अंत में शहर में बार-बार रास्तों पर पानी छिड़का गया। कुछ इलाकों में निर्माण स्थलों पर ढक्कन लगाए गए। और एक अहम बात — अगले दिनों में राज्य सरकार ने कुछ उद्योगों को अस्थायी रूप से बंद करने का आदेश दिया। ये छोटे कदम असरदार लग रहे हैं।
अगला कदम क्या होगा?
अगर यह गिरावट जारी रही, तो जनवरी तक AQI 150 के आसपास आ सकता है। लेकिन अगर हवा फिर से शांत हो जाए, तो फिर से खतरनाक स्तर पर वापस जा सकता है। इसलिए, सरकार को अब तात्कालिक उपायों के बजाय लंबे समय तक चलने वाली योजनाएँ बनानी होंगी: बसों को बिजली से चलाना, खेतों में खलिहान जलाने पर प्रतिबंध, शहर के चारों ओर हरित पट्टी बनाना।
कुछ शहर ऐसे हैं जहाँ लोग अभी भी अपने घरों की खिड़कियाँ बंद रखते हैं। मेरठ अभी उनमें से एक है। लेकिन अगर यह गिरावट जारी रही, तो अगले साल शायद हम बोल पाएंगे — "मेरठ की हवा अब जीवन दे रही है, न कि ले रही है।"
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
मेरठ की हवा क्यों इतनी खराब है?
मेरठ की हवा खराब होने के कई कारण हैं: वाहनों की भीड़, निर्माण गतिविधियाँ, खेतों में खलिहान जलाना, और शहर के आसपास के उद्योग। शीतकाल में हवा कम चलती है, जिससे प्रदूषण जमा हो जाता है। PM2.5 और PM10 इसके मुख्य कारण हैं, जो फेफड़ों और रक्त में घुल जाते हैं।
197 AQI का मतलब क्या है?
AQI 197 'गंदी' श्रेणी में आता है। इस स्तर पर सभी लोगों को लंबे समय तक बाहर रहने से बचना चाहिए। बच्चे, बुजुर्ग और दमा या हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए यह खतरनाक हो सकता है। आँखों में जलन, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ आ सकती है।
CPCB और ABP Live के आँकड़े क्यों अलग हैं?
क्योंकि शहर के अलग-अलग इलाकों में अलग-अलग सेंसर हैं। CPCB का स्टेशन शहर के उद्योग वाले हिस्से में हो सकता है, जबकि ABP Live का स्टेशन अधिक आबादी वाले इलाके में हो सकता है। समय और मौसम के अनुसार भी आँकड़े बदलते हैं। एक स्टेशन का रिकॉर्ड दूसरे के साथ तुलना नहीं की जा सकती।
क्या यह सुधार स्थायी होगा?
अभी तक यह सिर्फ एक छोटी छूट है। अगर शीतकाल आगे बढ़े और हवा फिर से शांत हो जाए, तो प्रदूषण फिर से बढ़ सकता है। लंबे समय तक सुधार के लिए सरकार को वाहनों को बिजली से चलाना, खलिहान जलाने पर प्रतिबंध लगाना और हरित क्षेत्र बढ़ाना होगा।
मेरठ के लोग अब क्या कर सकते हैं?
घरों में हवा शुद्ध करने के उपकरण लगाएँ, बाहर निकलने से पहले AQI चेक करें, और जरूरत से ज्यादा वाहन न चलाएँ। बच्चों और बुजुर्गों को बाहर न भेजें। अगर गले में खराश या सांस लेने में तकलीफ हो, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
अन्य शहरों की तुलना में मेरठ कैसा है?
2025 में भारत के सबसे प्रदूषित शहरों में मेरठ शामिल था। तमिलनाडु के अरियालूर जैसे शहरों में AQI 13 था — दुनिया के सबसे स्वच्छ हवा वाले स्थानों में से एक। मेरठ की स्थिति अभी भी बहुत खराब है, लेकिन अब तक की सबसे अच्छी रुख दिख रही है।
Vraj Shah
दिसंबर 3, 2025 AT 13:32ye toh accha hua bhai, ab toh saans lene mei dikkat nahi ho rahi
Kumar Deepak
दिसंबर 3, 2025 AT 19:03abhi toh bas hawa chal rahi hai, jab garmi aayegi aur diesel ki bijli chal rahi hogi, phir dekhte hain kya hota hai. ye sab sirf ek 'demonstration' hai, nahi real change.
Ayushi Kaushik
दिसंबर 3, 2025 AT 21:01ek bachchi jo ab bahar khelne lagi hai… yehi toh asli jeet hai. ye number sirf ek number hai, lekin insaan ki saans ka badalna - yehi toh dard aur ummeed ka asli sapna hai.