23 जुलाई 2024 को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य को केंद्र सरकार द्वारा विशेष दर्जा न मिलने के बाद एक गूढ़ प्रतिक्रिया दी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2012 में आई इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप (आईएमजी) की रिपोर्ट के आधार पर बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने से इनकार कर दिया था। यह रिपोर्ट बताती है कि बिहार विशेष श्रेणी का राज्य बनने के मानदंडों को पूरा नहीं करता, जिसमें पहाड़ी और कठिन भू-भाग, निम्न जनसंख्या घनत्व, रणनीतिक स्थिति, आर्थिक और बुनियादी ढांचे की पिछड़ापन, और राज्य की वित्तीय स्थितियों की अविश्वसनीयता शामिल हैं।नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) पार्टी लंबे समय से बिहार के लिए विशेष दर्जा की मांग कर रही है और संसद सत्र से पहले एक सर्वदलीय बैठक के दौरान इस मांग को दोहराया। इस अस्वीकृति को जनता दल (यू) के लिए एक महत्वपूर्ण झटका माना जा रहा है जो लोकसभा में भाजपा का समर्थन करती है।
2012 की आईएमजी रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए, यह महत्वपूर्ण है कि बिहार जैसे राज्य की आकांक्षाओं को समझा जाए। यह रिपोर्ट बिहार को विशेष दर्जा देने की मांग को खारिज कर दी थी क्योंकि राज्य कई मानकों पर खरा नहीं उतरा। इनमें पहाड़ी और कठिन भू-भाग, निम्न जनसंख्या घनत्व, और आर्थिक पिछड़ापन जैसी विशेषताएं शामिल हैं जो अन्य विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों की तुलना में बिहार में अपेक्षाकृत कम पाई गईं। इस रिपोर्ट को आधार बनाकर केंद्र ने राज्य के विशेष दर्जे की मांग को अस्वीकार कर दिया था।
इस पर नीतीश कुमार का कहना था, 'सब कुछ धीरे धीरे होगा।' इस गूढ़ प्रतिक्रिया को अब अनेक संज्ञाएँ दी जा रही हैं और उनके समर्थक इसका निहितार्थ निकालने में लगे हैं। कुमार ने केंद्र सरकार पर आरोप नहीं लगाए, बल्कि उन्होंने अपने लंबे संघर्ष की बात को ध्यान में रखते हुए कहा कि समय के साथ इस मांग को लेकर उनके प्रयास जारी रहेंगे।
इस फैसले का जनता दल (यू) और बिहार पर काफी असर पड़ सकता है। विशेष दर्जा नहीं मिलने से राज्य को वित्तीय और विकासात्मक सहायता में भारी कमी हो सकती है। जनता दल (यू) लंबे समय से इस मांग को लेकर संघर्षरत है और अब आने वाले समय में इस पर क्या कदम उठाएगी, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।
बीजेपी और जेडीयू के बीच यहां जारी गठबन्धन को इस अस्वीकृति से धक्का लग सकता है। वहीं, विपक्षी दल इस मौके को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि नीतीश कुमार और उनकी पार्टी ने बीजेपी पर अपने समर्थन के बावजूद राज्य के विकास के मुद्दों को नजरअंदाज किया है।
अगले कुछ वर्षों में बिहार के विकास को लेकर क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना अहम होगा। केंद्र और राज्य सरकार के बीच सहयोग के साथ-साथ विकास के लिए राज्य की अपनी योजनाएं बहुत महत्वपूर्ण होंगी।
नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का भविष्य किस दिशा में जाएगा, यह आने वाले समय में निर्धारित होगा। इस बीच, राज्य के लोग और उनके नेता केंद्र सरकार पर दबाव बनाने और राज्य के विकास के लिए प्रयासरत रहेंगे।
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