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Novak Djokovic को विराट कोहली का खुला समर्थन: विंबलडन 2025 में सेंटर कोर्ट के दबाव की क्रिकेट से तुलना

Novak Djokovic को विराट कोहली का खुला समर्थन: विंबलडन 2025 में सेंटर कोर्ट के दबाव की क्रिकेट से तुलना

विंबलडन 2025 की सबसे चर्चित शामों में से एक—सेंटर कोर्ट पर एलेक्स डी मिनौर के खिलाफ मुकाबला, और स्टैंड्स में विराट कोहली- अनुष्का शर्मा के साथ रॉजर फेडरर, जो रूट और जेम्स एंडरसन। इस पृष्ठभूमि में Novak Djokovic ने फिर वही किया जिसके लिए उन्हें ‘ग्लैडिएटर’ कहा जाता है—पहला सेट 1-6 से गंवाने के बाद भी मैच पलट दिया। चौथे सेट में 1-4 से पीछे रहने पर लगातार पांच गेम जीतने वाला उनका रिबाउंड लंदन की ठंडी शाम में भी गर्मी भर गया।

सेंटर कोर्ट में कोहली, जोकोविच और ‘ग्लैडिएटर’ मोड

कोहली ने मैच के बाद इंस्टाग्राम स्टोरी पर जोकोविच की तारीफ करते हुए लिखा—‘क्या जीत! ग्लैडिएटर के लिए यह बिजनेस ऐज़ यूज़ुअल।’ जोकोविच ने भी कृतज्ञता में वह स्टोरी रीशेयर की। बाद में कोहली ने यह भी बताया कि दोनों के बीच मैसेज पर नियमित बातचीत होती रहती है—टोन गरिमामय रहता है, और खेल के प्रति साझा सम्मान साफ दिखता है।

मुकाबला खुद ड्रामा से भरा था। डी मिनौर ने तेज शुरुआत के साथ पहला सेट झटके से ले लिया। लेकिन दूसरे और तीसरे सेट में जोकोविच ने टेंपो बदला—रिटर्न डीप, रैलियों में धैर्य और नेट पर टाइट एंगल। चौथे सेट में जब ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी 4-1 की बढ़त पर थे, लगा कि तयशुदा डेसाइडर दिखेगा। तभी जोकोविच ने सर्विस पढ़ी, बैकहैंड लाइन पर पिन छोड़ते गए और पांच गेम की स्ट्रीक के साथ मैच समेट लिया।

यह जीत उनके लिए माइलस्टोन भी बनी—विंबलडन में 100वीं जीत और करियर में 16वीं बार क्वार्टरफाइनल। इस उपलब्धि तक पहुंचने वाले वे इतिहास के तीसरे खिलाड़ी बने—मार्टिना नवरातिलोवा और रॉजर फेडरर के बाद। यही नहीं, कोहली ने खुले तौर पर उम्मीद जताई कि जोकोविच इस बार 25वां ग्रैंड स्लैम उठाएं। उनकी ड्रीम फाइनल लाइन-अप? डिफेंडिंग दो-बार के चैंपियन कार्लोस अल्काराज़ बनाम जोकोविच—और अंत में सर्बियाई दिग्गज ट्रॉफी के साथ।

स्टैंड्स में स्टार पावर भी कम नहीं थी। फेडरर की मौजूदगी ने शाम को अतिरिक्त चमक दी, वहीं इंग्लैंड के जो रूट और जेम्स एंडरसन जैसे क्रिकेट दिग्गजों ने भी खेलों की सीमाओं के पार वाले सम्मान की तस्वीर पेश की। कोहली और अनुष्का की झलकियों ने सोशल मीडिया पर तुरंत ट्रेंड पकड़ा—क्रॉसओवर फैनबेस का असर साफ दिखा।

क्रिकेट बनाम टेनिस: दबाव, दूरी और दर्शक

कोहली ने सेंटर कोर्ट के माहौल को लेकर एक दिलचस्प तुलना की। उन्होंने कहा—क्रिकेट स्टेडियम विशाल होते हैं; मैदान और स्टैंड्स के बीच दूरी खिलाड़ियों को थोड़ा ‘स्पेस’ देती है। 60-90 हजार की भीड़ शोर करती है, पर एक-एक आवाज़ खिलाड़ी तक अक्सर साफ नहीं पहुंचती। वहीं, सेंटर कोर्ट पर दर्शक आपके बिल्कुल पास हैं—कुछ मीटर की दूरी, पिन-ड्रॉप साइलेंस के बीच हर सांस, हर चूक सुनाई देती है। यही निकटता मैच की मानसिक मुश्किल बढ़ा देती है।

टेनिस में एक-एक पॉइंट की कीमत अलग तरह से महसूस होती है। सर्व टॉस के वक्त खड़खड़ाती सीट, या लाइन जज के पास फुसफुसाहट भी खिलाड़ी के दिमाग में टिक सकती है। क्रिकेट में फील्डिंग या नॉन-स्ट्राइकर एंड पर कुछ सेकंड का ‘कुशन’ मिल जाता है—आप भीड़ से दूर हैं, साथी खिलाड़ी से बातचीत है, खेल रुक-रुक कर चलता है। टेनिस में यह राहत नहीं—लगातार सर्व, रैली, काउंटर। कोहली का तर्क यही था कि अगर क्रिकेट भी इसी निकटता में खेला जाए, तो मनोवैज्ञानिक दबाव बहुत ज्यादा हो सकता है।

कोहली की इस नजर में एक और बात छिपी है—टॉप एथलीट्स के बीच आपसी समझ। उन्होंने जोकोविच के ‘कम्पोज़र’ की तारीफ यूं ही नहीं की। 1-6 से पिछड़कर रफ्तार पकड़ना, फिर 1-4 से उठकर पांच गेम की लड़ी बनाना—यह केवल फिटनेस या तकनीक नहीं, माइंड-गेम की जीत भी है। यही बात उन्हें ‘ग्लैडिएटर’ बनाती है, और यही बात युवा विरोधियों पर असर डालती है।

टूर्नामेंट की तस्वीर की बात करें तो जोकोविच की टाइमिंग ऐसी जीत के बाद और खतनाक दिखती है। अल्काराज़ दो बार के डिफेंडिंग चैंपियन हैं, घास पर उनका ऑल-कोर्ट गेम परिपक्व हो चुका है। लेकिन जोकोविच की स्टैटेजी—सर्व रिटर्न की गहराई, बैकहैंड क्रॉस से कोर्ट ओपन करना, और दबाव के क्षणों में अनफोर्स्ड एरर से बचना—उन्हें हर बार खतरनाक प्रतिद्वंद्वी बनाती है। कोहली का ‘25वां’ वाला संदर्भ इसी एथलेटिक स्थिरता पर भरोसा है।

सेंटर कोर्ट की यह रात खेलों के ‘क्रॉसओवर पल’ का अच्छा नमूना भी है। एक तरफ टेनिस का इतिहास—100वीं जीत, रिकॉर्ड की दौड़; दूसरी तरफ क्रिकेट का मेगास्टार, जो उस इतिहास का लाइव गवाह है और उसकी बारीकियां समझता है। यही वजह है कि कोहली के कुछ वाक्य सोशल मीडिया पोस्ट से आगे जाकर बहस बन गए—तनाव कहां ज्यादा है, कौन सा खेल मानसिक तौर पर सख्त है, और भीड़ खिलाड़ी के दिमाग में क्या करती है।

  • जोकोविच ने डी मिनौर के खिलाफ पहला सेट गंवाया, फिर दो बार बड़ा कमबैक किया।
  • यह विंबलडन में उनकी 100वीं जीत और 16वीं बार क्वार्टरफाइनल में एंट्री रही।
  • विराट कोहली स्टैंड्स में मौजूद रहे, सोशल मीडिया पर उन्होंने जोकोविच को ‘ग्लैडिएटर’ कहा।
  • कोहली ने सेंटर कोर्ट के ‘करीबी दर्शक-प्रेशर’ की तुलना क्रिकेट के ‘दूरी वाले स्पेस’ से की।
  • कोहली की ड्रीम फाइनल—जोकोविच बनाम अल्काराज़; लक्ष्य—25वां ग्रैंड स्लैम।

अब नजरें क्वार्टरफाइनल लाइन-अप पर हैं। जो भी सामने हो, जोकोविच की फॉर्म का संकेत साफ है—धीमी शुरुआत के बाद नियंत्रण वापस लेने की उनकी कला वैसी ही है जैसी लोग उनसे उम्मीद करते हैं। और स्टैंड्स में बैठे खेल जगत के सितारे बताते हैं कि यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि एक मंच है जहां हर पॉइंट पर इतिहास लिखा जा सकता है।

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