कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में यह बड़ी घोषणा की है कि प्रियंका गांधी वाड्रा केरल के वायनाड सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। वायनाड सीट वर्तमान में उनके भाई राहुल गांधी के पास है, जिन्होंने 2024 के चुनावों में यह सीट जीती थी। राहुल गांधी ने अब फैसला लिया है कि वे उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट से ही अपनी मुकाबला करेंगे। इसी निर्णय से गांधी परिवार के तीन सदस्य अब संसद में हो सकते हैं, जिसमें उनकी मां सोनिया गांधी हाल ही में राज्यसभा के लिए चुनी गई हैं।
राहुल गांधी ने जब वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों को जीता था, तब से यह कयास लगाए जा रहे थे कि वे किस सीट को प्राथमिकता देंगे। अंततः उन्होंने रायबरेली की सीट को बनाए रखने का निर्णय लिया है, जिससे प्रियंका गांधी को वायनाड से लड़ने का अवसर मिल सके। कांग्रेस पार्टी इस निर्णय को पूर्वी और पश्चिमी भारत में अपनी पकड़ को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मान रही है, जहां हाल ही में पार्टी ने अपनी स्थिति को पुनः सशक्त किया है।
प्रियंका गांधी ने राजनीति में प्रवेश करने के बाद से कई महत्वपूर्ण योगदान दिए हैं, विशेषकर कांग्रेस के लिए कई महत्वपूर्ण लोकसभा सीट जीतने में। मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रियंका के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उनका चुनाव लड़ना पार्टी की रणनीति के लिए निर्णायक साबित हो सकता है, विशेषकर भाजपा के विरुद्ध 'वंशवाद' के आरोपों का सामना करने के लिए। प्रियंका गांधी को वायनाड में जीत का पक्का विश्वास है और उन्होंने रायबरेली की सीट को समर्थन देने की भी प्रतिबद्धता जताई है।
प्रियंका के चुनाव लड़ने के निर्णय ने कांग्रेस समर्थकों में उत्साह भर दिया है। वायनाड कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण सीट मानी जाती है और प्रियंका के चुनाव प्रचार से पार्टी को अच्छी खासी मजबूती मिलने की उम्मीद है। आगामी चुनाव में प्रियंका के शामिल होने से पार्टी में नई ऊर्जा का संचार होगा और समर्थकों को भी एक नए नेतृत्व का अहसास होगा।
प्रियंका गांधी वाड्रा का राजनीतिक सफर कोई नया नहीं है, लेकिन वे पहली बार लोकसभा चुनाव मैदान में उतर रही हैं। इस कदम से कांग्रेस पार्टी को उम्मीद है कि वे बिना किसी संदेह के वायनाड सीट से जीत हासिल करेंगी और संसद में गांधी परिवार की उपस्थिति को सशक्त बनाए रखेंगी।
कांग्रेस की यह रणनीति, विशेष रूप से प्रियंका गांधी को वायनाड से चुनाव लड़ाने का, भविष्योन्मुख बनी रह सकती है। पार्टी के नेताओं को विश्वास है कि इस निर्णय से न केवल पार्टी की स्थिती मजबूत होगी, बल्कि नए नेताओं को भी प्रेरणा मिलेगी। प्रियंका गांधी वाड्रा का राजनीति में यह कदम निश्चित रूप से भारतीय राजनीति में नये समीकरण लाएगा।
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