स्वादिष्‍ट समाचार

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025: ऑफिस के बाद फोन-ईमेल से मुक्ति का कानूनी हक

राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025: ऑफिस के बाद फोन-ईमेल से मुक्ति का कानूनी हक

सुप्रिया सुले, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार गुट) की सांसद, ने 5 दिसंबर 2025 को लोकसभा में राइट टू डिस्कनेक्ट बिल, 2025 पेश किया — एक ऐसा कानून जो कर्मचारियों को ऑफिस के बाद बॉस के ईमेल या फोन का जवाब देने से मुक्त कर देगा। ये बिल सिर्फ एक नया नियम नहीं, बल्कि एक सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। आज के डिजिटल युग में, कर्मचारी कभी भी 'ऑफ' नहीं हो पाते। रात 11 बजे भी व्हाट्सएप नोटिफिकेशन आते हैं, छुट्टी के दिन भी मीटिंग का लिंक भेज दिया जाता है। और जब आप जवाब नहीं देते, तो आपको 'कमिटमेंट नहीं' का आरोप लगता है। ये बिल इसी अन्याय के खिलाफ एक आवाज है।

क्या है राइट टू डिस्कनेक्ट बिल 2025?

इस विधेयक के मुताबिक, कोई भी कर्मचारी ऑफिस घंटों के बाद या छुट्टी के दिन काम से जुड़े कॉल, ईमेल, टेक्स्ट, वीडियो कॉल या किसी भी डिजिटल संचार का जवाब देने से इंकार कर सकता है। और ये इंकार कानूनी रूप से सुरक्षित है। कोई भी नियोक्ता इसके लिए कर्मचारी के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं कर सकता — न तो चेतावनी, न नौकरी से निकालना, न ही प्रमोशन से वंचित करना। ये नियम सभी तरह की कंपनियों पर लागू होगा, चाहे वो स्टार्टअप हो या MNC। एक बात ध्यान रखने वाली है: इमरजेंसी स्थिति में, जैसे कोई बड़ा सर्विस आउटेज या प्राकृतिक आपदा, नियोक्ता संपर्क कर सकता है। लेकिन फिर भी, कर्मचारी को जवाब देना अनिवार्य नहीं होगा।

जुर्माना और निगरानी: कैसे बनेगा असर?

बिल में एक तीखा डेंजर जोड़ा गया है: अगर कोई कंपनी इस नियम का उल्लंघन करती है, तो उस पर उसके कर्मचारियों के कुल पारिश्रमिक का 1 प्रतिशत जुर्माना लगेगा। ये नंबर छोटा नहीं लगता — एक 10,000 कर्मचारियों वाली कंपनी जिसका वार्षिक वेतन बजट ₹5000 करोड़ है, उसके लिए ये जुर्माना ₹50 करोड़ हो सकता है। ये बिल केवल नियम नहीं, बल्कि एक डेटा-बेस्ड डेटरेंट भी है। इसके साथ ही, एक नई संस्था — एम्प्लॉईज वेलफेयर अथॉरिटी — बनाई जाएगी, जो शिकायतों की जांच करेगी और नियमों की पालना की निगरानी करेगी। इसका मतलब? अब कोई कर्मचारी डर के आगे झुकेगा नहीं।

क्यों जरूरी है ये कानून?

भारत में रिमोट वर्क ने घर और ऑफिस के बीच की दीवार तोड़ दी है। लेकिन इसका नतीजा क्या हुआ? डिजिटल बर्नआउट। एक 2024 के अध्ययन के मुताबिक, भारतीय कर्मचारियों का 68% अपने निजी समय में भी काम के बारे में सोचता है। 42% ने बताया कि उन्हें रात को नींद नहीं आती क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई ईमेल आ गया होगा। ये सिर्फ थकान नहीं, ये एक स्वास्थ्य संकट है। डिप्रेशन, एंग्जाइटी, दिल की बीमारियां — सब इसी लगातार कनेक्टेड रहने के दबाव से बढ़ रही हैं। ये बिल सिर्फ एक फोन न उठाने का हक नहीं, बल्कि इंसानी अधिकार की वापसी है।

दुनिया कह रही है क्या?

भारत देर से नहीं, बल्कि देर से भी नहीं — दुनिया के साथ चल रहा है। फ्रांस में 2017 से ही ‘डिस्कनेक्ट राइट’ कानून है। स्पेन, आयरलैंड, बेल्जियम ने भी इसे अपनाया। कैनेडा के कुछ प्रांतों में तो कंपनियां रात 7 बजे के बाद काम के लिए ईमेल भेजने पर जुर्माना देती हैं। भारत के लिए ये एक अवसर है — न केवल कर्मचारियों के लिए, बल्कि उत्पादकता के लिए भी। जब लोग आराम करते हैं, तो वो ज्यादा फोकस करते हैं। ये बिल नियम नहीं, बल्कि एक व्यवसायिक स्मार्टनेस है।

क्या ये बिल पारित हो पाएगा?

ये एक निजी सदस्य विधेयक है — मतलब सरकार ने इसे नहीं बनाया। ऐसे बिलों की परंपरा है: वो लोकसभा में पेश होते हैं, चर्चा होती है, और अक्सर वापस ले लिए जाते हैं। लेकिन ये बार अलग है। इस बार जनता ने बहुत जोर से आवाज उठाई है। सोशल मीडिया पर #RightToDisconnect ट्रेंड कर रहा है। युवा नौकरी करने वाले लोग अपने अनुभव शेयर कर रहे हैं — कैसे उन्हें शाम 7 बजे भी मीटिंग में डाल दिया गया, कैसे उनकी बहन को डिप्रेशन हो गया। अगर सरकार इसे अनदेखा करती है, तो ये एक राजनीतिक गलती होगी।

क्या ये बिल बॉसों के लिए बुरा है?

कुछ नेता डरते हैं कि ये बिल उत्पादकता को कम करेगा। लेकिन डेटा कहता है विपरीत। स्टैनफोर्ड के एक अध्ययन के मुताबिक, जब कर्मचारियों को ऑफ टाइम का अधिकार मिलता है, तो उनकी उत्पादकता 18% बढ़ जाती है। वो ज्यादा ध्यान देते हैं, कम गलतियां करते हैं, और ज्यादा लगाव बनाते हैं। ये बिल बॉसों के लिए बुरा नहीं, बल्कि उनके लिए एक बेहतर टीम बनाने का रास्ता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्या ये बिल सभी कर्मचारियों के लिए लागू होगा?

हां, ये बिल सभी नियमित, आउटसोर्स्ड, रिमोट और फ्रीलांसर कर्मचारियों के लिए लागू होगा, जो किसी भी कंपनी या संगठन के साथ काम करते हैं। इसमें सरकारी नौकरियां, निजी कंपनियां, एसएमई और एसएसबी शामिल हैं। एकमात्र अपवाद आपातकालीन स्थितियां हैं, जैसे प्राकृतिक आपदा या गंभीर सर्विस ब्रेकडाउन।

अगर मैं ऑफिस के बाद फोन नहीं उठाता, तो क्या मुझे नौकरी से निकाल दिया जा सकता है?

नहीं। बिल के तहत, काम के घंटों के बाद किसी भी डिजिटल संचार का जवाब न देना कानूनी रूप से सुरक्षित है। कोई भी नियोक्ता इसके लिए चेतावनी, अनुशासनात्मक कार्रवाई या नौकरी से निकालने की कोशिश नहीं कर सकता। अगर कोई ऐसा करता है, तो वह एम्प्लॉईज वेलफेयर अथॉरिटी के सामने आएगा और जुर्माना भी भुगतेगा।

इस बिल का असर केवल टेक कंपनियों पर होगा?

नहीं। ये बिल बैंक, हॉस्पिटल, रिटेल, शिक्षा संस्थान, निर्माण और यहां तक कि घरेलू सेवा कंपनियों तक प्रभावित करेगा। जहां भी डिजिटल कम्युनिकेशन का इस्तेमाल होता है, वहां ये नियम लागू होगा। ये केवल टेक वॉर का मुद्दा नहीं, बल्कि पूरे आधुनिक वर्कफोर्स का मुद्दा है।

क्या इस बिल के बाद बॉस को काम नहीं मिलेगा?

नहीं। ये बिल काम करने के लिए नहीं, बल्कि बेहतर काम करने के लिए है। जब लोग आराम करते हैं, तो वे ज्यादा तर्कसंगत, ऊर्जावान और रचनात्मक होते हैं। अध्ययन बताते हैं कि लगातार काम करने वाले लोग अधिक गलतियां करते हैं। ये बिल बॉसों को बेहतर टीम बनाने में मदद करेगा — न कि उनके काम को रोकेगा।

टैग: राइट टू डिस्कनेक्ट बिल सुप्रिया सुले लोकसभा भारत डिजिटल थकान

19 टिप्पणि

  • Image placeholder

    dinesh baswe

    दिसंबर 9, 2025 AT 21:10

    इस बिल की जरूरत तो थी ही। हम सब जानते हैं कि ऑफिस के बाद भी फोन बजता रहता है। बस इतना ही कि अब कानून के सामने भी ये बात सच हो गई है। कोई भी नौकरी इंसान की आत्मा को नहीं खा सकती।

  • Image placeholder

    Boobalan Govindaraj

    दिसंबर 11, 2025 AT 10:12

    ये बिल सिर्फ एक कानून नहीं बल्कि एक नई उम्मीद है। मैंने अपने दोस्त को देखा है जो रात को भी व्हाट्सएप के लिए जागता था। अब वो फिर से अपनी माँ के साथ चाय पी रहा है। ये बदलाव बहुत बड़ा है।

  • Image placeholder

    mohit saxena

    दिसंबर 11, 2025 AT 22:08

    अच्छा हुआ। अब तो बॉस भी समझ गए होंगे कि लगातार काम करने से कोई फायदा नहीं। जब तक लोग थके रहेंगे तब तक उत्पादकता नहीं बढ़ेगी। ये बिल सिर्फ लोगों के लिए नहीं बल्कि कंपनियों के लिए भी बेहतर है।

  • Image placeholder

    Sandeep YADUVANSHI

    दिसंबर 12, 2025 AT 22:35

    अरे भाई ये बिल तो बस लाजवाब है। ये जैसे कह रहा है कि इंसान को आराम करने का हक है। अगर ये नहीं हुआ तो फिर भारत क्या बन गया? एक बड़ा ऑफिस जहां सब नींद में भी काम कर रहे हों।

  • Image placeholder

    Vikram S

    दिसंबर 13, 2025 AT 15:12

    ये बिल तो बस दुर्भाग्यपूर्ण है! अब जब कोई आपातकालीन स्थिति आएगी तो कर्मचारी बस बैठा रहेगा! ये बिल तो बस लापरवाही को बढ़ावा देता है! ये बिल भारत को दुर्बल बनाएगा! अगर तुम अपना काम नहीं कर रहे हो तो तुम अपनी नौकरी खो दो!

  • Image placeholder

    nithin shetty

    दिसंबर 14, 2025 AT 02:05

    क्या ये बिल फ्रीलांसर्स के लिए भी लागू होगा? मैंने देखा है कि कुछ लोग फ्रीलांसिंग के नाम पर रातभर काम कर रहे हैं। क्या ये बिल उन्हें भी बचाएगा? या फिर ये सिर्फ संगठनात्मक कर्मचारियों के लिए है?

  • Image placeholder

    Aman kumar singh

    दिसंबर 16, 2025 AT 01:13

    भारत अब दुनिया के साथ चल रहा है। फ्रांस ने 2017 में किया था, अब हमने किया। ये बिल सिर्फ एक कानून नहीं, ये हमारी संस्कृति का एक नया प्रतीक है। हम अपने लोगों को आराम देना सीख रहे हैं। ये तो बहुत बड़ी बात है।

  • Image placeholder

    UMESH joshi

    दिसंबर 16, 2025 AT 01:21

    अगर हम इंसान को आराम नहीं देंगे तो वो क्या बन जाएगा? एक मशीन? एक टूल? ये बिल हमें याद दिलाता है कि हम इंसान हैं। हमारे पास नींद है, परिवार है, शांति है। और ये सब अधिकार हैं। इसे बस एक कानून नहीं, एक जीवन दर्शन कहना चाहिए।

  • Image placeholder

    pradeep raj

    दिसंबर 16, 2025 AT 04:31

    यहाँ एक बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है जिसे अक्सर नज़रअंदाज़ किया जाता है: इस बिल के तहत नियोक्ता के लिए एक अधिकार है जिसे वह आपातकालीन स्थितियों में अपनाने के लिए रखता है, लेकिन उसके साथ ही यह भी एक जिम्मेदारी है कि वह इस अधिकार का दुरुपयोग न करे, क्योंकि यदि वह इसका दुरुपयोग करता है तो यह एक अस्थायी लाभ की तरह है जो लंबे समय में टीम की भरोसेमंदी को नष्ट कर देता है, जिसका परिणाम उत्पादकता में गिरावट होती है, जिससे कंपनी का व्यापारिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है।

  • Image placeholder

    Vishala Vemulapadu

    दिसंबर 17, 2025 AT 19:21

    ये बिल तो बस एक नए शब्द का बहाना है। असल में ये बिल बॉसों को बर्बाद कर देगा। अगर तुम नहीं जवाब दे रहे हो तो तुम बेकार हो। ये बिल भारत को दुर्बल बनाएगा।

  • Image placeholder

    M Ganesan

    दिसंबर 18, 2025 AT 05:02

    ये सब बातें तो बस वेस्टर्न इंपैक्ट हैं! हमारी संस्कृति में तो माँ-बाप के लिए भी रात को उठना पड़ता है! ये बिल तो बस एक बाहरी दबाव है! अगर तुम अपने देश के लिए काम करना चाहते हो तो तुम्हें रात भर जागना पड़ेगा! ये बिल भारत के विकास के खिलाफ है!

  • Image placeholder

    ankur Rawat

    दिसंबर 19, 2025 AT 10:26

    ये बिल बहुत अच्छा है। मैंने अपने दोस्त को देखा है जो एक बार डिप्रेशन में चला गया था क्योंकि उसे लगता था कि उसका बॉस उसे नहीं चाहता। अब उसकी नींद ठीक हो गई है। ये बिल इंसानों को वापस लाएगा।

  • Image placeholder

    Vraj Shah

    दिसंबर 20, 2025 AT 10:55

    ये बिल बहुत बढ़िया है। मैं एक फ्रीलांसर हूँ और मुझे भी अक्सर रात को काम के लिए कहा जाता है। अगर ये बिल लागू हो गया तो लोगों को ये समझना होगा कि आराम भी काम का हिस्सा है।

  • Image placeholder

    Kumar Deepak

    दिसंबर 21, 2025 AT 11:14

    अरे भाई, ये बिल तो बस एक नया नाम है उस बात का जो हम सब जानते हैं: बॉस अपने कर्मचारियों को गुलाम समझता है। अब इसे कानून ने नाम दे दिया। शुक्रिया।

  • Image placeholder

    Ganesh Dhenu

    दिसंबर 22, 2025 AT 05:05

    ये बिल बहुत अच्छा है। लेकिन असली सवाल ये है कि इसे लागू करने के लिए कौन जिम्मेदार होगा? अगर एम्प्लॉईज वेलफेयर अथॉरिटी बनेगी तो उसके पास कितने लोग होंगे? क्या ये सिर्फ एक औपचारिकता बन जाएगी?

  • Image placeholder

    Yogananda C G

    दिसंबर 23, 2025 AT 09:15

    ये बिल तो बहुत बड़ी बात है और ये बहुत जरूरी है क्योंकि अगर हम अपने कर्मचारियों को आराम नहीं देंगे तो वो तो बस बर्नआउट हो जाएंगे और फिर उनकी उत्पादकता गिर जाएगी और फिर कंपनियां खराब हो जाएंगी और फिर बेरोजगारी बढ़ेगी और फिर समाज टूट जाएगा और फिर हम सब गरीब हो जाएंगे और फिर भारत का भविष्य खत्म हो जाएगा

  • Image placeholder

    Divyanshu Kumar

    दिसंबर 25, 2025 AT 03:06

    इस विधेयक को अत्यंत गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि यह आधुनिक कार्यस्थल के संरचनात्मक असंगठित पहलुओं को संबोधित करता है जिन्हें लंबे समय तक अनदेखा किया गया है और इसके लागू होने से न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य में भी सकारात्मक परिवर्तन आएगा।

  • Image placeholder

    Mona Elhoby

    दिसंबर 26, 2025 AT 01:35

    तुम सब ये सोच रहे हो कि ये बिल तुम्हारे लिए अच्छा है? बस इतना ही? अगर तुम्हारा बॉस तुम्हें रात को भी काम पर बुलाता है तो शायद तुम बहुत ज्यादा बेकार हो। मैं तो रात को भी काम करती हूँ क्योंकि मैं अच्छी हूँ। तुम बस ढीले हो।

  • Image placeholder

    Arjun Kumar

    दिसंबर 27, 2025 AT 10:35

    ये बिल तो बहुत अच्छा है। लेकिन क्या अगर बॉस फोन करे तो तुम नहीं उठाओगे? ये तो बस एक बहाना है कि तुम नहीं चाहते कि तुम्हारा काम बढ़े।

एक टिप्पणी लिखें

मेन्यू

  • हमारे बारे में
  • सेवा नियम
  • गोपनीयता नीति
  • संपर्क करें
  • DPDP

© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|