जब रजवीर जावांदा, पंजाबी गायक‑अभिनेता का 8 अक्टूबर 2025 को फोर्टिस अस्पताल, मोहाली में निधन हुआ, पूरे पंजाबी मनोरंजन जगत में शोक की लहर दौड़ गई। 35 साल की उम्र में, एक तेज़ी से बढ़ते सितारे का आकाश से गिरना सबको चौंका गया।
रजवीर जावांदा ने अपने शुरुआती सिंगल ‘काली जावांदे दी’ से ही संगीत प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया था। उसके बाद ‘खुश रहा कर’, ‘सरडारी’ (जिसे कई लोग ‘सर्दारी’ भी कहते हैं) और ‘डो नी सजन’ जैसे हिट गाने चार्ट पर बरसों तक चले। फ़िल्मी पर्दे पर उसने 2018 की ‘सुबेदार जागिंदर सिंह’ में स्पोय बहादर सिंह की भूमिका और 2019 की ‘जिंद जान’ में लीड रोल निभाया। छोटे-छोटे गाँवों में गूँजते उसके गीत आज भी बैंडों और डीजे सेट्स में बजते हैं।
27 सितंबर 2025 को रजवीर अपनी मोटरसाइकिल पर शिमला की ओर निकलते हुए हिमाचल प्रदेश के सोलान जिले के बड्डी के पास नियंत्रण खो बैठता है। प्रथम रिपोर्टों के अनुसार, रास्ते में भटकते भैंसों का झुंड आया और उनकी टक्कर से बाइक उलट गई। गिरते ही उसके सिर पर गंभीर चोटें और रीढ़ में फटा‑फटाव हुआ।
हतातकी बचाव टीम ने उसे नज़दीकी बड्डी के प्राथमिक अस्पताल में ले जाया, जहाँ प्रारम्भिक जाँच में गहन सिर‑दर्द और रीढ़ की हड्डी में बड़ा फटना सामने आया। फिर तुरंत ही रोगी को मोहाली स्थित फोर्टिस अस्पताल में منتقل किया गया, जहाँ वह वेंटिलेटर पर ‘अतिरिक्त गंभीर’ स्थिति में भर्ती हो गया।
फोर्टिस अस्पताल में 11 दिन तक रजवीर को जीवन‑संकल्पी देखभाल मिली। डॉक्टरों ने बताया कि उसके मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण हाइपॉक्सिक ब्रेन डैमेज हुआ था और रीढ़ में अपरिवर्तनीय चोटें थीं। कई बार सर्जरी की कोशिशें की गईं, परन्तु अंततः 8 अक्टूबर को सुबह 11 बजे (IST) उसने मल्टी‑ऑर्गन फेल्योर के कारण अपना जीवन खो दिया।
इसी दौरान, अस्पताल के बाहर मोहाली पुलिस ने अनियमित भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा तैनात कर दी। प्रशंसकों का जमावड़ा काफी तीव्र था, क्योंकि कई लोग आख़िरी विदाई देने आए थे।
जवाब के तौर पर नीरू बज्जा ने इंस्टाग्राम पर “हृदय टूट गया… बहुत छोटा और प्यारा इंसान गया” जैसा शोक संदेश साझा किया। साथ ही उन्होंने कहा, “उसका संगीत हमेशा हमारे दिलों में गूँजता रहेगा।”
कॉमेडियन गुरप्रीत घुगी ने “मौत ने जीत ली, युवा खो गया, छोटे भाई, तुम्हें कैसे भूलें?” कहा।
संगीतकार अम्मी वीर्क ने कब्रिस्तान की व्यवस्था और अंत्यसंस्कार की तिथि की पुष्टि की – 9 अक्टूबर को पाउना गांव, जगरौन (लुधियाना) में दाह संस्कार होगा। पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी शोक प्रकट किया, हालांकि उनका विस्तृत बयान अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ।
रजवीर की माँग ने तुरंत राजनैतिक और सामाजिक स्तर पर रोड‑सेफ़्टी के मुद्दे को उजागर किया। हिमाचल प्रदेश के शिमला‑बड्डी हाइवे को अक्सर तेज़ मोड़ और बिखरे हुए पशु मिलते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के क्षेत्रों में रीयल‑टाइम एलर्ट सिस्टम, बेहतर सड़क संकेत और त्वरित एम्बुलेंस पहुँच बहुत जरूरी है।
एक स्थानीय डॉक्टर ने बताया, “यदि दुर्घटना के तुरंत बाद एम्बुलेंस पहुंचती, तो रजवीर की स्थिति शायद बच सकती थी।” इस कारण से नीतिनिर्माताओं से मांग है कि पहाड़ी क्षेत्रों में हेलीकॉप्टर एम्बुलेंस का विस्तार किया जाए।
अम्मी वीर्क के अनुसार, रजवीर के शरीर को 8 अक्टूबर शाम को ही पाउना गांव ले जाया गया। स्थानीय परंपराओं के अनुसार, दाह संस्कार शाम 6 बजे शुरू हुआ, जहाँ कई कलाकार, फिल्म-निर्माता और प्रशंसक इकठ्ठा हुए। संगीतमय श्रद्धांजलियों के बाद, रजवीर की कड़ाह पर “सर्दारी” और “डो नी सजन” के गीत बजाए गए।
रजवीर जावांदा की अचानक मौत ने न सिर्फ़ संगीत उद्योग को बल्कि आम जनता को भी एक बड़ा सन्देश दिया – सुरक्षित यात्रा, विशेषकर पहाड़ी क्षेत्रों में, प्राथमिकता होनी चाहिए। कई युवा कलाकार अब अपनी टीम में आपातकालीन चिकित्सा सपोर्ट को अनिवार्य बना रहे हैं। साथ ही, सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ के निरंतर प्रसार को रोकने हेतु सख़्त कदम उठाने की भी मांग उठ रही है।
मुख्य रूप से पंजाबी संगीत और फिल्म उद्योग ने बड़ी क्षति झेली। वह कई युवा कलाकारों के लिए प्रेरणा स्रोत थे, और उनके कई भविष्य के प्रोजेक्ट्स अभी भी प्री‑प्रोडक्शन में थे।
स्थानीय प्रशासन से तेज़ संकेत, पशु नियंत्रण के लिए बाड़ और एम्बुलेंस‑हीलिकॉप्टर सेवाओं को सड़कों के निकट रखने की सलाह दी गई। कई विशेषज्ञों ने रीयल‑टाइम ट्रैफिक मोनिटरिंग सिस्टम की भी मांग की।
उनकी आखिरी रिकॉर्डिंग ‘डो नी सजन’ के रीमिक्स का काम चल रहा है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक रिलीज़ डेट घोषित नहीं की गई है।
हॉस्पिटल ने बहु‑ऑर्गन सपोर्ट, हाइपरबैरिक ऑक्सीजन थेरेपी और नवीनतम न्यूरोसर्जिकल उपकरणों का उपयोग किया, परन्तु गंभीर रीढ़ की चोटों के कारण परिणाम सीमित रहे।
परिवार ने कहा है कि उनके स्मरण में एक संगीत विद्यालय स्थापित किया जाएगा, ताकि आने वाली पीढ़ी को सिखाने में उनका योगदान जारी रहे।
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Hitesh Soni
अक्तूबर 9, 2025 AT 00:16रजवीर जावांदा का अकस्मात निधन अत्यंत दु:खप्रद है। इस प्रकार की दुर्घटना न केवल कलाकार के परिवार बल्कि सम्पूर्ण संगीत परिप्रेक्ष्य को भी प्रभावित करती है। उनके संगीत कार्यों का सांस्कृतिक महत्व अनदेखा नहीं किया जा सकता। यह तथ्य स्पष्ट है कि युवा वर्ग में उनके गीतों का व्यापक प्रभाव रहा है। इसके अतिरिक्त, सड़क सुरक्षा के मुद्दे को लेकर सार्वजनिक चर्चा आवश्यक है। प्रशासनिक ढाँचे को इस दिशा में त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए। अस्पताल में प्रदान की गई उन्नत चिकित्सीय उपायों की सराहना करनी चाहिए, परन्तु समय पर एम्बुलेंस पहुँच न हो पाना बड़ी त्रुटि थी। इस घटना से सीख लेकर भविष्य में सुधारात्मक कदम उठाए जाने चाहिए।