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रतन टाटा की वसीयत: टाइटो, सब्बीया और शान्तनु नायडू के लिए अद्वितीय व्यवस्थाएँ

रतन टाटा की वसीयत: टाइटो, सब्बीया और शान्तनु नायडू के लिए अद्वितीय व्यवस्थाएँ

रतन टाटा की वसीयत में जानवरों और करीबी सहयोगियों के लिए विशेष प्रबंध

मशहूर उद्योगपति रतन टाटा, जिनका हाल ही में निधन हो गया है, ने अपनी वसीयत में अपने पालतू जानवरों और करीबी सहयोगियों के लिए विशेष प्रबंध किए हैं। उनकी वसीयत में पढ़कर समझा जा सकता है कि अपने जीवनकाल में उन्होंने ना केवल व्यापार के प्रसार बल्कि मानवीय जुड़ावों में भी अपनी गहरी रुचि और स्नेह बनाए रखा। रतन टाटा का जर्मन शेफर्ड, टाइटो, उनकी वसीयत में विशेष रूप से उल्लेखित है। इस प्यारे कुत्ते की देखभाल उनके लम्बे समय तक सेवा करने वाले कुक, राजन शॉ करेंगे। रतन टाटा का टाइटो के साथ मजबूत संबंध था, जिसे उन्होंने कई वर्ष पहले गोद लिया था।

प्रियजन के लिए विशेष प्रबंधन

रतन टाटा की वसीयत में उनके पुराने सेवक, सब्बीया, के लिए भी विशेष ध्यान रखा गया है। उनकी जिंदगी के तीन दशक का हिस्सा बनने वाले इस सेवक को उन्होंने अपनी वसीयत में एक महत्वपूर्ण जगह दी है। टाटा का उनके साथ यह गहरा संबंध इस बात का सबूत है कि कैसे उन्होंने न केवल व्यावसायिक संबंध बल्कि मानवीय संबंधों को भी महत्व दिया।

रतन टाटा की संपत्ति का वितरण

रतन टाटा की संपत्ति की चर्चा करें तो उनकी कुल संपत्ति 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की मानी जाती है। इसमें अलीबाग का 2,000 वर्गफुट का समुद्री बंगला, मुंबई के जुहू तारा रोड पर स्थित दो-मंजिल का मकान, 350 करोड़ रुपये से अधिक की फिक्स्ड डिपॉजिट्स और टाटा संस में 0.83 प्रतिशत हिस्सेदारी शामिल है। इस हिस्सेदारी को रतन टाटा एंडोउमेंट फाउंडेशन (RTEF) को ट्रांसफर किया जाएगा।

टेक्नोलॉजी और इनोवेशन में निवेश

ये फाउंडेशन 2022 में शुरू हुआ था और इसका उद्देश्य सामाजिक लाभकारी कार्यों को बढ़ावा देना है। इसने टाटा टेक्नोलॉजीज के शेयर खरीदकर अपनी पहली इक्विटी निवेश की थी और आगे चलकर टाटा डिजीटल में एक मामूली हिस्सेदारी भी अधिग्रहित की। टाटा डिजीटल टाटा न्यु ऐप संचालित करता है। उनके सभी स्टार्टअप निवेश, जिनमें RNT एसोसिएट्स और RNT एडवाइजर्स शामिल हैं, परिसमाप्त किए जाएंगे और उनके धन को RTEF में स्थानांतरित किया जाएगा।

व्यक्तिगत जीवन और आदर्श

रतन टाटा का उनके जीवन में हमेशा सम्मानीय स्थान रहा है और उन्होंने अपने सीमित निजी स्वामित्त्व के बावजूद कभी भी धनी सूची में अपना नाम नहीं देखा। उन्होंने अपने जीवन को समाज के विकास और उद्योग के उत्थान के लिए समर्पित किया। टाटा की वसीयत के अप्रूवल के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय जाएगा, जो पुष्टि की प्रक्रिया में कुछ महीनों का समय ले सकता है।

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