हाल ही में पुणे में खेले गए चौथे T20 मुकाबले में भारत ने एक रोमांचक जीत दर्ज की, लेकिन मैच के बाद की चर्चाओं में इंग्लैंड के कप्तान जोस बटलर ने कुछ गंभीर सवाल उठाए। इस मैच से पहले सीरीज 2-1 से भारत के पक्ष में थी और इस मुकाबले को जीतकर भारत ने सीरीज अपने नाम कर ली। लेकिन मैच के दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिसने खेल के नियमों पर चर्चा छेड़ दी है।
मैच के दौरान, इंग्लैंड ने टॉस जीतकर गेंदबाजी का फैसला किया था और शुरूआती झटकों के बाद भारत को मजबूत स्थिति में लाने का प्रयास हार्दिक पांड्या और शिवम डूबे ने किया। शिवम डूबे जिन्हें जीवनदान मिला जब जोस बटलर की कप्तानी में उनके कैच को गिरा दिया गया। यह हिंदी की पुरानी कहावत "कैच पकड़ो, मैच जीतो" को साकार करता है। डूबे ने इसका पूरा फायदा उठाया और पांड्या के साथ महत्वपूर्ण 87 रन की साझेदारी की।
मैच का नाटकीय मोड़ तब आया जब शिवम डूबे चोटिल हो गए। उन्हें जेमी ओवर्टन की एक तेज गेंद लगी और इसका परिणाम यह हुआ कि डूबे को मैदान छोड़ना पड़ा। यहाँ पर भारतीय टीम ने हरषित राणा को एक सरल उपाने के रूप में शामिल किया। यही निर्णय बटलर के लिए चिंता का कारण बना। डूबे जिनका मुख्य योगदान बल्लेबाजी में है, के स्थान पर गेंदबाज हरषित राणा को शामिल करके भारत ने इंग्लैंड को करारा झटका दिया, खासकर जब राणा ने ताबड़तोड़ तीन विकेट झटके।
यह तर्क इंग्लैंड की टीम और उनके प्रशंसकों के लिए विवाद का विषय बन गया, कि क्या यह वास्तव में निष्पक्ष था? बटलर की शिकायत थी कि इस तरह के बदलाव की अनुमति दिए जाने से खेल की निष्पक्षता प्रभावित होती है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के बारे में इंग्लैंड टीम से कोई परामर्श नहीं किया गया जिसके जिम्मेदार तत्कालीन मैच रेफरी जवागल श्रीनाथ थे।
हालांकि, भारतीय टीम के सहायक कोच मोरने मोकल ने इस निर्णय का बचाव किया। उनका कहना था कि डूबे को हेमा के दौरान कुछ असामान्य लक्षण दिखाई दिए, जिसके कारण भारतीय टीम ने जरूरी समझा कि राणा को शामिल किया जाए। रेफरी जवागल श्रीनाथ ने भारतीय टीम के प्रस्ताव को मान्यता दी।
भारत की इस ऐतिहासिक जीत से ज्यादा चर्चा में यह विवाद रहा। दोनों टीमों के बीच आखिरी T20 मुक़ाबला वानखेड़े स्टेडियम, मुंबई में खेला जाएगा। इंग्लैंड टीम के लिए यह मुकाबला गर्व की लड़ाई साबित होगी, वहीं भारत अपने जीत की लय को बनाए रखने की उम्मीद करेगा।
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