अगर आप नई रिलीज़ हुई बॉलीवुड फिल्म "अमरन" के बारे में सच्ची और ताज़ा राय चाहते हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम बिना किसी भी भड़काऊ शब्दों के सीधे बता रहे हैं कि फिल्म में क्या खास है, क्या नहीं, और आपका टाइम वाच करने लायक है या नहीं।
फिल्म की कहानी एक छोटे शहर के कॉलेज छात्र अभय (मुख्य किरदार) की है, जो एक हादसे में अमरत्व की शक्ति पा लेता है। अब उसे अपनी नई क्षमताओं को समझते‑समझते अपने परिवार, दोस्त और समाज को बचाने का काम मिलता है। कहानी में गाँव‑शहर के अंतर, नैतिक दायित्व और व्यक्तिगत स्वार्थ के बीच झगड़ा दिखाया गया है।
पहले आधे हिस्से में हल्का‑फुल्का कॉमेडी और दोस्ती के पलों का बहुत उपयोग है, जिससे दर्शकों को जुड़ाव महसूस होता है। जैसे‑जैसे अमरत्व की बड़ी जिम्मेदारी सामने आती है, टोन थोड़ा गंभीर हो जाता है और सवाल उठता है – "अमरत्व का असली मतलब क्या है?" यह सवाल पूरे फिल्म में दोहराया जाता है, जिससे दर्शक सोचते‑समझते बैठते हैं।
अभय का किरदार निभाने वाले शौर्य सिंह ने अपनी साधारण अभिव्यक्तियों से बड़े भावनात्मक मोड़ को सहजता से व्यक्त किया। उनका बॉडी लैंग्वेज और आँखों का इशारा अक्सर शब्दों से ज्यादा बोले। साथ में राजमती (मुख्य महिला भूमिका) ने खुद को केवल रोमांटिक लीड नहीं, बल्कि एक साहसी और समझदार दोस्त के रूप में पेश किया। उनके बीच की केमिस्ट्री प्राकृतिक लगती है, जिससे सीन वास्तव में जीवंत बनते हैं।
परफ़ॉर्मेंस के अलावा, साइड कैरेक्टर्स की भी बड़ी भूमिका है। कुमिल के भाई, गली के शेरवानी वाले, और गाँव के सरपंच ने छोटे‑छोटे कॉमिक सीन में फिल्म को हल्का किया, लेकिन साथ ही मुख्य थीम को भी उभारा। कई बार ऐसा लगा कि ये छोटे किरदार ही कहानी को आगे बढ़ाते हैं, जबकि प्रमुख किरदारों पर थोड़ा बोझ पड़ रहा था।
डायरेक्टर ने गली‑गली के पैनोरामिक शॉट्स को बड़े टेक्निकल सेट‑अप के साथ दिखाया है, जिससे शहर‑गांव का कंट्रास्ट साफ़ दिखता है। संगीत में दो बड़े कंपोज़र – अमन शेख़ और रिया बासवानी – ने पॉप और फोक का मिश्रण किया है, जो कहानी के मोमेंट्स के साथ ठीक बैठता है। खास तौर पर एन्डिंग सॉन्ग, जो अमरत्व की पीड़ा को गाने की कोशिश करता है, बहुत असरदार है।
बॉक्स‑ऑफ़िस की बात करें तो पहले दो हफ़्ते में फिल्म ने 1.2 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया, और अभी भी शॉर्टलाइन में है। यह संकेत देता है कि फिल्म ने मध्यम वर्ग के दर्शकों को अच्छे से आकर्षित किया है, लेकिन बड़े पैमाने पर पॉपुलर नहीं बनी।
रिव्यू में हम एक रेटिंग देना चाहेंगे – 4 में से 3.2। कहानी की गहराई, एक्टिंग और संगीत ने 3.5 का स्कोर दिया, जबकि पेसिंग और संक्षिप्तता के कारण 2.5 अंक घटे। कुल मिलाकर, अगर आप एक ऐसी फिल्म देखना चाहते हैं जो आपसे सवाल पूछे और साथ में हल्का‑फुल्का एंटरटेनमेंट भी दे, तो "अमरन" आपके प्लेलिस्ट में जगह बना लेगी।
अंत में एक सवाल – क्या आप अमरत्व को वास्तव में चाहते हैं या फिर असली ज़िंदगी की छोटी‑छोटी खुशी में संतोष पाते हैं? "अमरन" वही सवाल हमारे सामने लाता है, और जवाब आपका खुद का ही होगा।
तेलुगु फिल्म 'अमरन' का समीक्षा जिसमें अद्वितीय कहानी और अभिनय की तारीफ की गई है। यह फिल्म भारतीय सेना अधिकारी मेजर मुकुंद वरदराजन की जीवनी पर आधारित है। सिवाकार्थिकेयन और साई पल्लवी के प्रमुख प्रदर्शन की सराहना हुई है। यहां फिल्म की कथा, तकनीकी पहलुओं और विशेष रूप से पिता-बेटी के संबंध का प्रभावी चित्रण बड़े आकर्षण के रूप में उभरता है।
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