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अंतर्राष्ट्रीय संन्यास: आज क्या चल रहा है?

आपने एक बार तो "संन्यासी" शब्द सुना ही होगा, पर क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में इस जीवनशैली में क्या बदलाव आ रहा है? आजकल सोशल मीडिया, पर्यटन और राजनीति सबका असर इस पर दिख रहा है। इस लेख में हम सरल भाषा में बताएंगे कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संन्यासी जीवन कैसे बदल रहा है, कौन‑से नए ट्रेंड सामने आए हैं और इसका समाज पर क्या असर है।

संकल्पित जीवनशैली में नई लहरें

पिछले कुछ सालों में कई देशों में युवा लोग "फ़ॉक्सट्रैड" जीवन से दूर होकर आध्यात्मिक साधना की ओर बढ़ रहे हैं। यूरोप में कई मैड्रिड, लंदन और पेरिस के युवा ध्यानी केंद्रों में योग, ध्यान और प्राचीन शास्त्रों की पढ़ाई कर रहे हैं। ये लोग अक्सर "डिजिटल नोमैड संन्यासी" कहलाते हैं—इंटरनेट की मदद से कमाई करते हुए, रोज़मर्रा की ज़िंदगी से अलग लेकिन फिर भी जुड़े रहते हैं।

एशिया में, खासकर थाईलैंड और बर्मुडा में, आध्यात्मिक पर्यटन के मामले में बढ़ोतरी देखी गई है। यहाँ के मोनास्टिक मंदिर अब केवल प्रार्थना के स्थान नहीं रहे, बल्कि भाषा कोर्स, हस्तशिल्प और पर्यटक गाइड जैसी सुविधाएं भी देते हैं। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बूस्ट मिला है।

राजनीति, नीति और संन्यासी समुदाय

कई देशों में संन्यामिक समुदाय अब सिर्फ धर्म के उपासक नहीं रहे, बल्कि सामाजिक परिवर्तन के एजेंट बन गए हैं। उदाहरण के तौर पर, कुछ लैटिन अमेरिकी देशों में बुद्‍धिस्‍तक संन्यासी हवाओं को पर्यावरण के प्रति जागरूक करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाते हैं। इनका असर नीति‑निर्माताओं तक पहुँचता है और अक्सर नई पर्यावरणीय नीतियों का जन्म होता है।

इसी तरह, यूरोप में कई बिशप और पाद्री अपने मंचों पर शरणार्थी संकट, मानवाधिकार और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर खुलकर बात करते हैं। इससे आम जनता में धर्म को सामाजिक न्याय के साथ जोड़ने का नया विचार उभरता है।

भारत में भी अंतर्राष्ट्रीय संन्यास का असर बढ़ रहा है। कई भारतीय योगा शिक्षक अब विदेश में अपने आश्रम स्थापित कर अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को परम्परागत भारतीय आध्यात्मिकता सिखा रहे हैं। इससे भारतीय संस्कृति का ग्लोबल स्तर पर प्रचार-प्रसार बढ़ रहा है।

इन प्रवृत्तियों को समझने के लिए हमें यह देखना चाहिए कि टेक्नोलॉजी, यात्रा और सामाजिक मुद्दे किस तरह संन्यासी जीवन को नया रूप दे रहे हैं। यदि आप भी इस सफ़र में शामिल होना चाहते हैं, तो स्थानीय आश्रम या ऑनलाइन ध्यान समूहों से संपर्क कर सकते हैं। छोटे‑छोटे कदम, जैसे रोज़ पाँच मिनट ध्यान, आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकते हैं।

संक्षेप में, अंतर्राष्ट्रीय संन्यास अब सिर्फ दूरस्थ जंगलों में रहने तक सीमित नहीं है। यह एक गतिशील, बहुआयामी आंदोलन है जो व्यक्तिगत विकास, सामाजिक दायित्व और वैश्विक जुड़ाव को एक साथ जोड़ता है। आज का समय इस राह पर कदम रखकर खुद को पुनः खोजने का सबसे अच्छा मौका है।

डेविड मलान ने 36 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की

डेविड मलान ने 36 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा की

इंग्लैंड के पूर्व टी20 बल्लेबाज डेविड मलान ने 36 साल की उम्र में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट से तत्काल प्रभाव से संन्यास की घोषणा की है। उन्होंने अपने करियर में 92 व्हाइट-बॉल इंटरनेशनल्स और 22 टेस्ट मैच खेले। मलान का ओडीआई करियर औसत 55.76 था और उन्होंने टी20 वर्ल्ड कप 2022 में इंग्लैंड की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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