अगर पहली शादी से कुछ नहीं चलता, तो कई लोग दूसरी शादी का सोचते हैं। लेकिन इस फैसले से पहले कानूनी और सामाजिक पहलू समझना जरूरी है। आज हम बात करेंगे कि दूसरी शादी के लिए क्या‑क्या शर्तें हैं, कोर्ट क्या कहता है और आम जनता इसका कैसे स्वागत करती है।
भारत में दूसरी शादी तभी वैध मानी जाएगी जब पहले का बंधन समाप्त हो। इसका मतलब दो विकल्प हैं – तलाक या मृत्यु। तलाक की प्रक्रिया में दोनों पक्षों का साक्ष्य, संपत्ति का बंटवारा और बच्चों की भविष्य देखभाल तय करनी होती है। कोर्ट समाप्ति के बाद ही आप नई शादी कर सकते हैं, नहीं तो ग़ैर‑क़ानूनी माना जाएगा।
विवाह के बाद यदि आपका पहला साथी अभी भी जीवित है, तो दूसरी शादी पर 1901 के हिन्दू वैवाहिक कानून के तहत रोक लगती है। इसको तोड़ने के लिए विशेष अनुमति नहीं मिलती, इसलिए तलाक या मृत्यु के बाद ही नया बंधन बनाना सुरक्षित है।
समाज में दूसरी शादी को लेकर राय बहुत वैरायटी वाली होती है। छोटे शहरों में अक्सर यह सामाजिक कलंक का कारण बन जाता है, जबकि बड़े शहरी इलाकों में इसे व्यक्तिगत विकल्प के रूप में देखा जाता है। लोगों की प्रतिक्रियाएँ अक्सर परिवार, धर्म और आर्थिक स्थिरता पर निर्भर करती हैं।
कई मामलों में दूसरी शादी से बच्चों की ज़िन्दगी में बदलाव आता है। नए साथी की भूमिका, बच्चों के साथ संबंध और संपत्ति का पुनर्विभाजन सभी चीज़ें दिखाती हैं कि सिर्फ कानूनी प्रक्रिया ही नहीं, बल्कि भावनात्मक समझ भी जरूरी है।
यदि आप दूसरी शादी पर विचार कर रहे हैं, तो पहले अपने पहले रिश्ते को साफ़ रहना चाहिए। यह न सिर्फ कोर्ट की प्रक्रिया को आसान बनाता है, बल्कि बच्चों और रिश्तेदारों के साथ तनाव घटाता है।
अंत में, दूसरी शादी का फैसला व्यक्तिगत होता है, पर उसके साथ जुड़ी ज़िम्मेदारियाँ भी बड़ी होती हैं। सही जानकारी, कानूनी सलाह और खुली बातचीत से आप अपने भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं। स्वादिष्ट समाचार पर हम लगातार नई खबरें और विशेषज्ञ राय लाते रहते हैं, ताकि आप हर कदम पर समझदार निर्णय ले सकें।
तेलुगु फिल्म निर्देशक कृष्ण जगर्लमूड़ी ने डॉ. प्रीति चल्ला के साथ दूसरी शादी की है। डॉ. प्रीति हैदराबाद की एक डॉक्टर हैं और इसका विवाह समारोह हाल ही में संपन्न हुआ। पहले से शादीशुदा प्रीति ने विभिन्न कारणों से तलाक लिया था। यह विवाह निर्देशक के जीवन में एक नया अध्याय लाता है।
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