अगर आप क्रिकेट के फैंस हैं तो शायद आपने कभी ग्राहम थॉर्प का नाम सुनाया होगा। 1970 के दशक में जन्मे थॉर्प ने 1990‑1999 के बीच इंग्लैंड के लिए 100 से अधिक टेस्ट मैच खेले और टीम की बट्सिंग में अहम योगदान दिया। उनका खेल सरल, साफ‑सुथरा और हमेशा मैच के मोमेंट पर भरोसेमंद रहा। इस लेख में हम उनके शुरूआती दिनों से लेकर करियर की प्रमुख उपलब्धियों तक हर चीज़ को आसान भाषा में समझेंगे।
ग्राहम थॉर्प ने अपना पहला प्रोफेशनल क्रिकेट 1990 में ससेक्स के लिए खेला। जल्दी ही उनकी कड़ी मेहनत और तकनीकी समझ ने उन्हें इंग्लैंड की राष्ट्रीय टीम में जगह दिला दी। उनका टेस्ट डेब्यू 1993 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ था, जहाँ उन्होंने 114 रन की शानदार पारी बनाकर सबको चकित कर दिया। इस पारी ने उन्हें “नयी आशा” बना दिया और आने वाले सालों में वह लगातार इंग्लैंड की नियमित टॉप ऑर्डर में जगह बनाते रहे।
थॉर्प की सबसे बड़ी उपलब्धि 1998 में शानद्री चैंपियनशिप के दौरान उनके 108* का इनिंग था, जो इंग्लैंड को तीव्र दबाव वाले मैच में बचाने में मददगार साबित हुआ। उन्होंने कुल 5,416 रन 72 टेस्ट इनिंग में बनाए, औसत 36.68 और 10 शतक लिखे। उनके 138* का पारी जब उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ खेली, तो वह इंग्लैंड की सबसे बड़े व्यक्तिगत स्कोर में से एक बन गया। बट्समैन के रूप में उनका सबसे बड़ा गुण था लम्बी गेंदबाज़ी के लिए स्थिर रहने की क्षमता, जिससे वह टीम को कई बार बचा पाते थे।
खेल के बाद थॉर्प ने कोचिंग और कमेंट्री में कदम रखा। उन्होंने इंग्लैंड के युवा खिलाड़ियों को मार्गदर्शन दिया और कई टैलेंट को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चमकाने में मदद की। आज भी उनका नाम इंग्लैंड की बट्सिंग की पहली पंक्ति में सम्मान से लिया जाता है। अगर आप उन्हें देखना चाहते हैं तो YouTube पर उनके क्लासिक इनिंग का वीडियो देखें, जहाँ उनकी तकनीक को विस्तार से समझाया गया है।
सारांश में, ग्राहम थॉर्प न सिर्फ एक शानदार बट्समैन थे, बल्कि एक टीम प्लेयर भी थे जो कठिन परिस्थितियों में अपने साथियों को आगे बढ़ाते रहे। उनकी कहानी नई पीढ़ी के क्रिकेटरों को प्रेरित करती है कि दृढ़ता, निरंतर अभ्यास, और टीम वर्क से बड़े लक्ष्य हासिल किए जा सकते हैं।
इंग्लैंड के पूर्व क्रिकेटर ग्राहम थॉर्प का 55 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। थॉर्प ने 1993 से 2005 के बीच इंग्लैंड की राष्ट्रीय क्रिकेट टीम के लिए खेलते हुए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए थे। उन्होंने 100 टेस्ट मैचों में 6,744 रन और 82 वन-डे इंटरनेशनल्स में 1,849 रन बनाए थे। क्रिकेट जगत में उनके निधन से शोक की लहर दौड़ गई है।
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