झीका वायरस एक एंजीवी रोग है जो मुख्य तौर पर मच्छरों के काटने से इंसानों में फैलता है। आमतौर पर ये मच्छर Aedes aegypti और Aedes albopictus होते हैं, जो दीगर बुखार और डेंगू भी ले जा सकते हैं। भारत में भी कुछ क्षेत्र में यह वायरस मिला है, इसलिए जागरूकता जरूरी है।
ज्यादातर लोग सिर्फ हल्का बुखार, सर्दी या मांसपेशियों में दर्द महसूस करते हैं। कुछ लोगों को हल्के रैश, आँखों में जलन या जोड़ों में दर्द भी हो सकता है। अगर महिला गर्भवती है तो झीका वायरस गंभीर समस्या बना सकता है, क्योंकि यह बच्चे के मस्तिष्क में माइक्रोसिज़ी (छोटे सिर) का कारण बन सकता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं की विशेष देखभाल जरूरी है।
झीका से बचने के लिए सबसे असरदार तरीका है मच्छर का प्रकोप कम करना। घर के आसपास किसी भी रेस्टिंग वॉटर को खाली करें, पानी के टंकी को ढक कर रखें और नियमित तौर पर कीटाणुनाशक छिड़कें। सफ़ेद पंधा (मशरूम) या लीकी कंटेनर न रखें, क्योंकि ये मच्छरों को अंडा देने के लिये पसंद आते हैं। कपड़े ऐसे पहनें जो बड्डा (बाजू) तक कवर करे और शाम के समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
यदि आप या आपका कोई जानने वाला जलन, बुखार या रैश की शिकायत कर रहा हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। इलाज में अक्सर लक्षणों को कम करने के लिए दर्द निवारक दवाएँ और हाइड्रेशन की सलाह दी जाती है। अभी तक झीका का कोई विशेष वैक्सीन नहीं है, पर शोध चल रहा है और भविष्य में वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है।
भारत में स्वास्थ्य मंत्रालय ने झीका की रिपोर्टिंग को अनिवार्य कर दिया है, इसलिए यदि कोई केस मिलता है तो उसे जल्दी से जल्दी दर्ज किया जाता है। यह डेटा हमें जल्द ही एरियाज़ में संभावित प्रकोप को पहचानने में मदद करता है। आप स्थानीय स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट या हेल्पलाइन पर अपडेट ले सकते हैं।
संक्षेप में, झीका वायरस खतरनाक हो सकता है, विशेषकर गर्भवती महिलाओं के लिए। लेकिन सही कदम उठाने से आप इसे आसानी से रोक सकते हैं। अपने घर की सफाई रखें, मच्छरदानी का उपयोग करें और अगर कोई अजीब लक्षण दिखे तो डॉक्टर से परामर्श करें। स्वस्थ रहें और जानकारी में बने रहें।
पुणे क्षेत्र में झीका वायरस संक्रमण के छह नए मामले सामने आए हैं, जिनमें दो गर्भवती महिलाएं शामिल हैं। एरंडवणे क्षेत्र की एक 28 वर्षीय गर्भवती महिला और 12 हफ्ते की गर्भवती दूसरी महिला इस वायरस से संक्रमित पाई गई हैं। दोनों महिलाएं फिलहाल स्वस्थ हैं और उनमें कोई लक्षण नहीं हैं। स्वास्थ्य विभाग ने संक्रमण रोकने के लिए सर्विलांस और फॉगिंग की व्यवस्था की है।
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