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नाबालिग रक्त परीक्षण: क्यों, कब और कैसे?

बच्चों की सेहत का पहला संकेत अक्सर रक्त में छिपा रहता है। आप भी कभी सोचते होंगे कि क्या हर बुखार या छोटे‑छोटे लक्षणों के बाद रक्त जांच जरूरी है? जवाब है‑हां, लेकिन सही समय और सही टेस्ट चुनना चाहिए।

रक्त जांच का लक्ष्य क्या होता है?

रक्त के टेस्‍ट से डॉक्टर को शरीर में एनीमिया, इन्फेक्शन, विटामिन की कमी या एनीमिया जैसी बड़ी बीमारियों का पता चलता है। इससे समय रहते इलाज शुरू किया जा सकता है और बच्चा स्वस्थ रहता है।

कब करवाएँ नाबालिग रक्त परीक्षण?

• नियमित बालविकास चेक‑अप में (6 महीने, 1 साल, 2 साल, 5 साल आदि)
• लगातार थकान, पल्ला या चक्कर आना 
• लगातार बुखार या संक्रमण के बाद
• डॉक्टर को शारीरिक विकास में कोई गड़बड़ दिखे

इनमें से कोई भी कारण दिखे तो जल्दी से बच्चों के हेल्थ‑केयर सेंटर में अपॉइंटमेंट बुक करें।

कौन‑से टेस्ट सामान्यतः होते हैं?

1. CBC (Complete Blood Count) – एनीमिया, सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या, प्लेटलेट्स आदि देखता है।
2. इज़र आयरन प्रोफ़ाइल – आयरन की कमी या अधिकता का पता लगाता है।
3. विटामिन D और B12 – हड्डी और न्यूरोलॉजिकल स्वास्थ्य के लिए जरूरी।
4. लीवर और किडनी फंक्शन टेस्ट – महत्त्वपूर्ण अंगों की कार्यक्षमता देखता है।
5. विशेष रोग के शंका होने पर टाइपोइड, एचआईवी, हिपेटाइटिस आदि के एंटीबॉडी या एंटीजन टेस्ट भी लगते हैं।

टेस्ट से पहले की तैयारी

भोजन‑पानी पर ध्यान दें। अधिकांश टेस्ट के लिए खाली पेट (अर्थात् पिछले रात 10 बजे के बाद कुछ न खाएँ) रखना चाहिए। अगर डॉक्टर ने फास्टिंग नहीं बताया, तो हल्का नाश्ता कर सकते हैं। दवा ले रहे हों तो डॉक्टर को बताएं, कुछ दवाओं को ब्लड टेस्ट से पहले रोकना पड़ता है।

बच्चे को कैसे आरामदायक बनायें?

रक्त निकालना बच्चों के लिए डरावना हो सकता है। आप उन्हें खेल‑खेल में बात करवा कर, या छोटे‑छोटे इनाम (स्टिकर, मीठा) दे कर तनाव कम कर सकते हैं। अगर बच्चा बहुत छोटा है, तो डॉक्टर के पास पेनिसिलिन‑कोटेड नाइफ़ या वैक्यूम‑सक्शन वाला सेट हो सकता है जो कम दर्द देता है।

परिणामों की व्याख्या

रिपोर्ट में सामान्य रेंज के साथ आपकी मानें होंगी। अगर किसी मान में गिरावट या वृद्धि दिखे, तो डॉक्टर उसके कारण बताएगा। अक्सर एक ही टेस्ट दो बार दोहराने की जरूरत पड़ती है, जिससे सुधरते स्तर देखे जा सकें।

आखिर में, नाबालिग रक्त परीक्षण एक सटीक पायलट की तरह काम करता है—यह बताता है कि आपका बच्चा सही दिशा में है या नहीं। अगर कोई असामान्य दिखे, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें, ताकि उपचार जल्दी शुरू हो सके। स्वस्थ बचपन का राज़ है—समय पर जांच, सही जानकारी और सही इलाज।

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