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सेमीकंडक्टर क्या है और क्यों जरूरी है?

सेमीकंडक्टर छोटे‑छोटे इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बनाते हैं जो हमारे फोन, लैपटॉप, कार और कई मशीनों को चलाते हैं। बिना सेमीकंडक्टर के आज के गैजेट्स नहीं चल पाएंगे, इसलिए इसे अक्सर ‘डिजिटलीज़ेशन की रीढ़’ कहा जाता है।

सेमीकंडक्टर में सिलिकॉन जैसी सामग्री का इस्तेमाल होता है, जिससे इलेक्ट्रिक करंट को कंट्रोल किया जा सकता है। एक छोटा चिप लाखों ट्रांजिस्टर रखता है, जो डेटा को प्रोसेस करता है। यही कारण है कि कंपनियां इसे ‘चिप’ के नाम से भी बुलाती हैं।

भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग की प्रगति

पिछले कुछ सालों में भारत ने सेमीकंडक्टर क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने ‘इंडस्ट्री 4.0’ और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत कई नीति घोषणा की – जैसे उत्पादन सुरक्षा, निवेश पर रियायत और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम। इन नीतियों से कंपनियों को फैक्ट्री सेट‑अप करने में आसानी हो रही है।

विकास में सबसे बड़ा बदलाव है प्रोसेसिंग यूनिट (Foundry) बनाना। अब कई भारतीय बड़े फर्म्स, जैसे टाटा ग्रुप और रिलायंस, अपने खुद के चिप फैक्ट्री खोल रहे हैं। इससे आयात पर निर्भरता कम होगी और रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

स्टार्ट‑अप भी इस धाकड़ उद्योग में अपना हिस्सा बना रहे हैं। कुछ छोटे कंपनियां डिजाइन में माहिर हैं, जबकि कुछ निर्माण में। उन्हें सरकारी फ़ंड्स और प्रोफेसर‑सहयोगी इंक्यूबेशन सेंटर से मदद मिल रही है। इससे इको‑सिस्टम में विविधता बढ़ रही है।

सेमीकंडक्टर के भविष्य की संभावनाएं

आगे चलकर AI, 5G, IoT और ऑटोमेटेड वाहन जैसी तकनीकों के विकास से चिप की डिमांड में तेजी आएगी। यह डिमांड भारत को विश्व स्तर पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना सकती है। अगर लोग स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देंगे, तो निर्यात भी बढ़ेगा और इंडस्ट्री को वैश्विक मान्यता मिलेगी।

ऐसी तकनीकों के लिए हल्की, तेज़ और कम पावर वाली चिप चाहिए। भारतीय कंपनियां अब रीसर्च में निवेश कर रही हैं, जैसे क्वांटम कंप्यूटिंग और नैनो‑टेक्नोलॉजी। अगर ये सफल हों तो सेमीकंडक्टर का भविष्य बहुत उज्ज्वल रहेगा।

लेकिन चुनौतियां भी कम नहीं हैं। कड़े अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, तकनीकी ज्ञान में अंतर और सप्लाई चेन की जटिलता बड़ी बाधाएं हैं। इनसे लड़ने के लिए लगातार प्रशिक्षण, फंडिंग और नीति समर्थन जरूरी है।

सारांश में, सेमीकंडक्टर भारत की टेक प्रगति का अहम हिस्सा है। सही दिशा में चलें तो यह न केवल घरेलू मार्केट को सशक्त करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ को भी मजबूत करेगा। अब वक्त है निवेशकों, इंजीनियरों और नीति निर्माताओं को मिलकर इस उद्योग को आगे ले जाने का।

इंटेल की चुनौतियाँ: एआई युग में वित्तीय संघर्ष, छंटनी और एनवीडिया का उदय

इंटेल की चुनौतियाँ: एआई युग में वित्तीय संघर्ष, छंटनी और एनवीडिया का उदय

इंटेल, जो कभी सिलिकॉन वैली का प्रमुख खिलाड़ी था, एआई युग में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रहा है। कंपनी ने बड़ी छंटनियों की घोषणा की है, स्टॉक डिविडेंड्स पर रोक लगा दी है और राजस्व में तेज गिरावट देखी है। इन संघर्षों के बावजूद, कंपनी अमेरिकी और वैश्विक बाजार के लिए महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हम इंटेल की स्थिति और उनकी संभावित सुधार रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।

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