बुधवार, 19 नवंबर 2025 को मुंबई के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर टेन्नेको क्लीन एयर इंडिया लिमिटेड के शेयरों ने आईपीओ प्राइस बैंड की तुलना में 27% का अच्छा प्रीमियम देकर अपनी शुरुआत की। ये लिस्टिंग एक अप्रत्याशित जीत लग रही है—खासकर जब आईपीओ का अधिकांश हिस्सा अनुमानित रूप से केवल 0.45 गुना सब्सक्राइब हुआ था। लेकिन ग्रे मार्केट प्रीमियम ने बाजार के भीतर एक गहरी उम्मीद का संकेत दिया था, जिसके अनुसार शेयरों में 26% तक की बढ़ोतरी की उम्मीद थी।
आईपीओ से लेकर लिस्टिंग तक: एक अजीब सी गतिविधि
टेन्नेको क्लीन एयर इंडिया का आईपीओ 12 से 14 नवंबर 2025 तक खुला था। इसकी कीमत बैंड ₹378-397 प्रति शेयर रखी गई थी, जिसके आधार पर कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन ₹16,023 करोड़ था। ये एक 22% डाइल्यूशन था। लेकिन निवेशकों की रुचि कम थी—सब्सक्रिप्शन केवल 45% तक हुआ। ऐसे में जब आईपीओ का डेटा लालच भरा नहीं लग रहा था, तब ग्रे मार्केट में शेयरों की कीमत ₹61 से ₹75 तक चढ़ गई। ये वो बात है जो बाजार के अंदरूनी तालमेल को दर्शाती है। अगर आप निवेशकों के दिमाग में जाएँ, तो वो लोग जानते थे: ये कंपनी अपने लाभों के साथ नहीं, बल्कि अपने बिजनेस मॉडल के बारे में बात कर रही है।
लाभ बढ़ रहे, पर बिक्री घट रही है
फाइनेंशियल नंबर्स दिलचस्प हैं। टेन्नेको क्लीन एयर इंडिया ने वित्तीय वर्ष 2025 (FY25) में ₹552 करोड़ का लाभ अर्जित किया। इससे पहले FY23 में नेट मार्जिन सिर्फ 8% था, लेकिन FY25 में वो 11% हो गया और Q1FY26 में ये 13% तक पहुँच गया। ये बढ़ोतरी उसके ग्लोबल पेरेंट, टेन्नेको ग्रुप के प्राइवेट होने के बाद शुरू हुई, जिसने कंपनी को लागत कम करने की आजादी दी।
लेकिन यहाँ ट्विस्ट है: इसी दौरान कंपनी की क्लीन एयर और पावरट्रेन डिवीजन की आय में FY25 में 4% की गिरावट आई। क्यों? क्योंकि इन उत्पादों में अधिकांश चीजें—जैसे एक्सॉस्ट पाइप, इग्निशन प्रोडक्ट्स—ईवी में बिल्कुल नहीं चलतीं। ये वो चीज है जिसके बारे में सब चुप हैं। लाभ बढ़ रहा है, लेकिन बिक्री कम हो रही है। ये एक अजीब डायनामिक्स है।
ईवी ट्रांजिशन: एक निहित खतरा
कंपनी का बिजनेस मॉडल अभी भी आईसीई (इंटरनल कंबस्टन इंजन) पर आधारित है। ये उत्पाद ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री के तीन बड़े सेगमेंट्स—कमर्शियल व्हीकल, ऑफ-हाईवे और पैसेंजर व्हीकल—में काम करते हैं। लेकिन जब देश का बड़ा बाजार ईवी की ओर बढ़ रहा है, तो इन उत्पादों की मांग घटने का खतरा बन जाता है। SPTulsian.com ने सही कहा: "यह आईपीओ पूरी तरह से प्राइस्ड है।" वो इसलिए कह रहे हैं क्योंकि आईपीओ के बाद कंपनी का PE मल्टीपल 26x है—जो फॉर्मल रूप से एक बहुत ऊँचा आकलन है।
अगर आप एक बैंकर होते, तो आप इसे एक "अच्छा काम" कहते। लेकिन अगर आप एक लंबे समय तक निवेश करने वाले होते, तो आप इसे एक "रिस्की बेट" मानते। अगले 5 साल में भारत में ईवी का हिस्सा 30% तक पहुँच सकता है। ये कंपनी के लिए एक बड़ी चुनौती है।
लॉक-इन और भविष्य का निर्णय
एंकर इन्वेस्टर्स के लिए लॉक-इन अवधि के दो चरण हैं: 50% हिस्सा 17 दिसंबर 2025 को और बाकी 15 फरवरी 2026 को खुलेगा। ये एक महत्वपूर्ण टाइमलाइन है। अगर इन इन्वेस्टर्स ने अपने शेयर बेच दिए, तो बाजार में एक बड़ी बिकवाली की संभावना है। अगर वो रुके, तो ये संकेत होगा कि वो लंबे समय तक कंपनी में विश्वास रखते हैं।
अभी तक, बाजार ने एक बहुत अच्छा रिस्पॉन्स दिया है। लेकिन ये रिस्पॉन्स एक शॉर्ट-टर्म एमोशन है—न कि लॉन्ग-टर्म विश्लेषण। अगले 18 महीने में ये कंपनी दिखाएगी कि क्या वो ईवी के दौर में अपनी बिक्री को बचा सकती है। क्या वो नए टेक्नोलॉजीज में निवेश करेगी? क्या वो ईवी के लिए नए क्लीन एयर सिस्टम डेवलप करेगी? ये सवाल अभी भी खुले हैं।
क्या ये एक अच्छा निवेश है?
सवाल ये नहीं कि शेयर आज कितना चढ़ा—बल्कि ये है कि अगले 3 साल में ये कंपनी कहाँ खड़ी होगी। आईपीओ ने एक बड़ी बात सामने रख दी: भारत का ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री बदल रहा है। और जो कंपनियाँ इस बदलाव को नहीं समझतीं, वो अगले दशक में बाहर हो जाएंगी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
टेन्नेको क्लीन एयर इंडिया का आईपीओ अनुमानित से कम सब्सक्राइब हुआ, फिर भी शेयर इतना ऊपर क्यों गया?
इसका कारण ग्रे मार्केट का भरोसा था। जब निवेशकों को लगा कि कंपनी का लाभ मार्जिन बढ़ रहा है और लागत कम हो रही है, तो उन्होंने आईपीओ में भाग नहीं लिया, लेकिन ग्रे मार्केट में शेयर खरीद लिए। ये एक अलग तरह का निवेश था—एक अंदरूनी भविष्यवाणी जिसने लिस्टिंग को ऊपर धकेल दिया।
ईवी ट्रांजिशन इस कंपनी के लिए कितना खतरनाक है?
कंपनी की आय का 60-70% आईसीई उत्पादों से आता है। अगर भारत में ईवी का हिस्सा 2030 तक 30% हो जाता है, तो इसकी बिक्री में 20-25% की गिरावट आ सकती है। अगर वो ईवी के लिए नए सॉल्यूशन नहीं बनाती, तो ये एक बड़ी चुनौती है।
PE मल्टीपल 26x क्यों अधिक है?
ये मल्टीपल उसके FY26 के अनुमानित EPS (₹15.5) पर आधारित है। लेकिन ये अनुमान लाभ मार्जिन के बढ़ने पर टिका है—न कि बिक्री के बढ़ने पर। अगर बिक्री घटती है, तो ये मल्टीपल अचानक अत्यधिक लगने लगेगा। ये एक अस्थिर आधार है।
एंकर इन्वेस्टर्स का लॉक-इन खत्म होने पर क्या होगा?
17 दिसंबर 2025 को 50% शेयर खुलेंगे। अगर एंकर्स बेचते हैं, तो शेयर में 15-20% गिरावट आ सकती है। लेकिन अगर वो रुकते हैं, तो ये बाजार के लिए एक मजबूत संकेत होगा कि ये कंपनी लंबे समय तक टिक सकती है।
क्या टेन्नेको क्लीन एयर ईवी के लिए नए उत्पाद विकसित कर रही है?
अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। लेकिन अनुमान है कि वो ईवी के लिए बैटरी थर्मल मैनेजमेंट और हाइड्रोजन फ्यूल सेल के लिए क्लीन एयर सिस्टम डेवलप कर रही है। अगर वो इस दिशा में आगे बढ़ती है, तो ये एक बड़ा रिस्क बन सकता है।
क्या ये आईपीओ अन्य ऑटो सप्लायर्स के लिए मॉडल बन सकता है?
हाँ, लेकिन बहुत सावधानी के साथ। ये दिखाता है कि अगर एक कंपनी लाभ बढ़ा रही है और उसका बिजनेस मॉडल अभी भी आईसीई पर टिका है, तो बाजार उसे ऊँची कीमत दे सकता है। लेकिन ये एक टेम्पोररी बूम है—न कि एक स्थायी मॉडल।
jay mehta
नवंबर 21, 2025 AT 10:51ये शेयर तो बस ग्रे मार्केट के भूतों पर चल रहा है! लाभ बढ़ रहा है, बिक्री गिर रही है, और फिर भी 27% प्रीमियम? भाई, ये तो बाजार का अंधविश्वास है! ईवी आ रही है, और ये लोग अभी भी इंजन के पाइप्स पर भरोसा कर रहे हैं! अगले 3 साल में ये कंपनी या तो बड़ी बनेगी, या बर्बाद! ये निवेश नहीं, जुआ है!
Amit Rana
नवंबर 22, 2025 AT 06:01सच कहूँ तो ये आईपीओ एक बहुत ही दिलचस्प केस है। लाभ मार्जिन में बढ़ोतरी तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन बिक्री में गिरावट एक लाल झंडा है। अगर ये कंपनी ईवी के लिए बैटरी थर्मल मैनेजमेंट या हाइड्रोजन सिस्टम में निवेश करती है, तो ये भविष्य की कंपनी बन सकती है। वरना, ये बस एक टेम्पोररी फेस्टिवल है। लॉक-इन खुलने पर देखना होगा कि एंकर इन्वेस्टर्स क्या करते हैं।