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उत्तर प्रदेश में भारी बारिश का खतरा: पश्चिमी व्यवधान से 6 अक्टूबर को तीव्र झड़पट

उत्तर प्रदेश में भारी बारिश का खतरा: पश्चिमी व्यवधान से 6 अक्टूबर को तीव्र झड़पट

जब भारत मौसम विज्ञान विभाग ने 2 अक्टूबर 2025 को आधिकारिक मौसम चेतावनी जारी की, तो पूरे उत्तर प्रदेश में धड़कन तेज हो गई। विभाग ने बताया कि आगामी पश्चिमी व्यवधानउत्तरी भारत से 5 से 7 अक्टूबर तक भारी‑से‑बहुत भारी वर्षा, गरज‑बिजली और ओले की संभावना है, सबसे तीव्र बारिश 6 अक्टूबर को अनुमानित है।

पश्चिमी व्यवधान की पृष्ठभूमि और मौसम विज्ञान

पश्चिमी व्यवधान एक ठंडी हवा की परिसीमा है जो अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से नमी लेकर आती है। इस बार, नमी के दो स्रोत—अरेबियन सागर और बंगाल की खाड़ी—एक ही समय पर उत्तर‑पश्चिम भारत के नीचे के ट्रोपोस्फीयर में मिल रहे हैं। उपरली हवा में अरुणाचल प्रदेश के पास एक सायक्लोनिक सर्कुलेशन चल रहा है, जो पूरे मौसम प्रणाली को और अनिश्चित बना रहा है।

एमडी द्वारा जारी विस्तृत अग्रिम पूर्वानुमान दस्तावेज़ में बताया गया है कि 5‑7 अक्टूबर के बीच नमी‑संतृप्त हवा के साथ तेज़ हवाओं का संयोजन होगा, जिससे ओले और तीव्र वर्षा की संभावना बढ़ेगी।

उत्तरी प्रदेशों में संभावित बारिश की विस्तृत जानकारी

मुख्य रूप से पूर्वी उत्तर प्रदेश में 21 सेमी से अधिक की ‘अत्यधिक भारी बारिश’ की चेतावनी दी गई है। लखनऊ, कानपुर, आहर, गाज़ीपुर आदि बड़े शहरी केंद्रों में अधिकतम तापमान 34 °C तक पहुँच सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 24 °C के आसपास रहेगा। लखनऊ के मौसम विभाग ने बताया कि एसीव्यूवेदर डेटा के अनुसार, अगले दो सप्ताह में उच्चतम तापमान 30‑36 °C के बीच रहेगा, इसलिए दिन में जलयोजना का पालन आवश्यक है।

अल्लाहाबाद (प्रयागराज) में औसत अक्टूबर तापमान 25.9 °C है, अधिकतम 31.2 °C और न्यूनतम 20.8 °C, साथ ही महीने भर में लगभग 36 mm वर्षा की औसत रिकॉर्ड हो रही है। इस दौरान संभावित हवाओं की गति 70‑75 km/h तक पहुँच सकती है, जिससे सड़कों पर जलभराव की संभावना है।

डीडी न्यूज़ के अनुसार व्यापक प्रभाव क्षेत्र

DD News ने भी बताया कि यह व्यवधान केवल उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं, बल्कि मध्य भारत के पूर्वी भाग, ओडिशा, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल के गांगेय क्षेत्र में भी भारी बारिश लाएगा। पिछले 24 घंटों में ओडिशा में एक डिप्रेसन ने अत्यधिक वर्षा के प्रभाव दिखाये, वहीं अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, पश्चिम बंगाल, और कच्छ के किनारे भी बाढ़ की लहरें उठी हैं।

फ़ॉल्टलाइन पर ‘स्थानीय बाढ़’ और ‘ट्रैफ़िक जाम’ की चेतावनी के साथ, विभाग ने महाप्रबंधक, स्थानीय प्रशासन और शहरी विकास प्राधिकरणों को सतर्क रहने, जल निकासी प्रणाली की जाँच‑परख करने, तथा स्कूल‑कॉलेज में विद्यार्थियों को घर से पढ़ाने की सलाह दी।

जलभराव‑संबंधी जोखिम और विशेषज्ञों की राय

जलभराव‑संबंधी जोखिम और विशेषज्ञों की राय

वित्तीय और जलवायु विशेषज्ञ डॉ. अनीता शर्मा, जो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्लाइमैट रिसर्च में कार्यरत हैं, ने कहा, “ऐसे अचानक होने वाले नमी‑संकेंद्रित व्यवधान शहरों की नाली‑प्रणाली को भारी दबाव में डाल देते हैं। यदि नगर निगम समय पर जल निकासी की देखरेख नहीं करता, तो छोटे‑बड़े बाढ़ की स्थिति बन सकती है।” उन्होंने जल निकासी के लिए तत्काल ‘सफ़ाई‑अभियान’ चलाने की अपील की।

सड़क किनारे रहने वाले छोटे‑बड़े किरायेदारों से भी कई गवाही मिल रही हैं—कुछ ने बताया कि पिछले रात तेज़ हवा और लकीर‑बारीक ओले ने उनकी छत को झकझोर दिया, जबकि कुछ ने बताया कि ‘आगे‑आगे के दिन में तरबूज जैसी बाढ़ का डर रहता है’।

भविष्य की दिशा‑निर्देश और संभावित अगले कदम

6 अक्टूबर के बाद मौसम थोड़ा स्थिर होने की उम्मीद है, लेकिन विभाग ने दो‑तीन दिन की ‘रिडिंडेंट रेनफॉल’ की संभावना को भी नोट किया है। इससे निचले मैदानों में जल स्तर धीरे‑धीरे बढ़ता रहेगा। स्थानीय प्रशासन ने शौचालय‑सुविधा, मोबाइल हाइड्रेंट, और अस्थायी आश्रय स्थलों की व्यवस्था के लिए ‘आपदा प्रतिक्रिया योजना’ को सक्रिय किया है।

नागरिकों को सलाह दी गई है कि जलजला के निवारण के लिए बोतल के पानी की पर्याप्त स्टॉक रखें, सड़क पर चलने‑फिरने के समय ‘रेनकोट’ और ‘छाता’ रखें, तथा तेज़ धारा वाले जल निकायों के पास से दूर रहें।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और पूर्वी उत्तर प्रदेश का जलवायु प्रोफाइल

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और पूर्वी उत्तर प्रदेश का जलवायु प्रोफाइल

पिछले दशकों में उत्तर प्रदेश पर ‘पश्चिमी व्यवधान’ कई बार आया है, लेकिन 2025 का व्यवधान दुर्लभ रूप से दो स्रोतों—अरेबियन सागर और बंगाल की खाड़ी—से समवर्ती नमी लाता है। 1998, 2004 और 2016 में इसी तरह की घटनाओं ने कुछ क्षेत्रों में ‘दुर्लभ भारी बारिश’ दर्ज की थी, जिससे बड़ी बाढ़ और कृषि‑हानि हुई थी। इस बार, इंटेंसिटी के स्तर को ‘21 सेमी से अधिक’ बताकर, विभाग ने अपने सबसे गंभीर चेतावनी स्तर को सक्रिय किया है।

ऐसी प्राकृतिक घटनाएं जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर करती हैं, जिससे मोनसून‑आधारित खेती पर दबाव बढ़ता है और किसान वर्ग को समय‑समय पर जल‑संपती विरासत तैयार करनी पड़ती है।

मुख्य बिंदु

  • पश्चिमी व्यवधान 4‑7 अक्टूबर 2025 के बीच उत्तर‑पश्चिम भारत को प्रभावित करेगा।
  • उत्तरी प्रदेशों में विशेषकर पूर्वी उत्तर प्रदेश में 21 सेमी से अधिक की अत्यधिक बारिश की संभावना।
  • ओले, तेज़ हवाएँ (70‑75 km/h) और स्थानीय बाढ़ के जोखिम।
  • डीडी न्यूज़ ने कहा कि मध्यमप्रदेश, ओडिशा, झारखंड समेत कई क्षेत्रों में भी भारी बारिश होगी।
  • वहिकल्पिक जल निकासी, अस्थायी आश्रय और पानी की आपूर्ति पर स्थानीय प्रशासन की चेतावनी।

Frequently Asked Questions

भारी बारिश से किसे सबसे अधिक नुकसान हो सकता है?

मुख्यतः निचले इलाकों में रहने वाले किसान, छोटे‑बड़े व्यवसायी और शहर के उन निवासियों को प्रभावित करेगा, क्योंकि जल निकासी प्रणाली अधूरी होने पर पानी जमा हो जाता है।

पश्चिमी व्यवधान कब तक रहेगा?

विचाराधीन व्यवधान 4 अक्टूबर से शुरू होकर 7 अक्टूबर तक सक्रिय रहेगा, जबकि सबसे तीव्र बारिश का असर 6 अक्टूबर को अनुमानित है।

क्या दिल्ली में भी यही असर दिखेगा?

दिल्ली के लिये इस व्यवधान की सीधी चेतावनी नहीं है, लेकिन उत्तरी भारत के पास स्थित होने से उच्च तापमान और धुंध के नुक़सान का जोखिम रहा है।

स्थानीय प्रशासन ने कौन‑सी सावधानी बरती है?

नगर निगम ने जल निकासी सफाई, अस्थायी आश्रय, मोबाइल जलसंपूर्ति और स्कूल‑ऑफ़लाइन शिक्षा के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं।

क्यों इस बार बारिश इतनी तीव्र है?

अरुणाचल प्रदेश के ऊपर मौजूद साइकलोनिक सर्कुलेशन और दो समुद्री क्षेत्रों से एक साथ नमी की आपूर्ति ने वायुमंडल में वॉटर कंटेंट को रिकॉर्ड स्तर तक पहुंचा दिया, जिससे भारी‑बारिश की संभावना बढ़ी।

1 Comment

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    Sweta Agarwal

    अक्तूबर 6, 2025 AT 20:44

    लगता है आधिकारिक चेतावनी को देख कर भी लोग अपना दिल नहीं बदलते, बस ट्विटर पर एक-एक रिएक्शन कर देते हैं। जैसा कि कहा जाता है, “बारिश के बाद शरबत” से पहले ही किवी बन जाओ।

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