अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन सुप्रीम कोर्ट की संरचना में पुनः परिवर्तन करने की योजना बना रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत न्यायाधीशों के कार्यकाल की सीमाएं और एथिक्स कोड को लागू करना शामिल है। यह प्रस्ताव अगले कुछ हफ्तों में सार्वजनिक किया जा सकता है, लेकिन इसे मूर्त रूप देने के लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक होगी। कांग्रेस में वर्तमान समय में रिपब्लिकन का नियंत्रण होने के कारण यह योजना जटिल प्रतीत होती है।
जिस तरह से बाइडेन सुप्रीम कोर्ट को देख रहे हैं, वह उनके पिछले दृष्टिकोण से भिन्न है। जहां पहले उन्होंने प्रोग्रेसिव एक्टिविस्टों और विद्वानों द्वारा कोर्ट की संरचना में बदलाव की मांग का विरोध किया था, अब वे टर्म लिमिट्स लगाने पर विचार कर रहे हैं। इससे न्यायाधीशों का कार्यकाल नियत समय तक सीमित हो जाएगा, जो वर्तमान में एक जीवनभर की नियुक्ति होती है। बाइडेन की यह योजना उस समय सामने आई है जब सुप्रीम कोर्ट की रूढ़िवादी बहुमत फैसलों ने व्यापक प्रभाव डाले हैं।
सिर्फ टर्म लिमिट्स ही नहीं, बल्कि बाइडेन ने जस्टिस के लिए एथिक्स कोड लागू करने पर भी जोर दिया है। यह प्रस्ताव विशेष रूप से इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि हाल के वर्षों में कई न्यायाधीशों पर नैतिकता संबंधी सवाल उठे हैं। इनमें जस्टिस क्लेरेंस थॉमस द्वारा खुलासा नहीं किए गए महंगे उपहार और लक्जरी यात्रा एवं जस्टिस सैमुएल ए अलिटो जूनियर की पत्नी का एक विशेष झंडा दिखाना शामिल है जो जनवरी 6 के दंगाइयों के समर्थन को दर्शाता है।
बाइडेन एक संवैधानिक संशोधन की भी संभावना पर विचार कर रहे हैं जो सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में समर्थित व्यापक राष्ट्रपतिीय प्रतिरक्षा को सीमित करेगा। संवैधानिक कानून प्रोफेसर लॉरेन्स ए ट्राइब की पुष्टि के अनुसार, बाइडेन ने कोर्ट द्वारा राष्ट्रपतिीय प्रतिरक्षा के विस्तार पर भी चर्चा की है और इस प्रक्रिया को शुरू करने की आवश्यकता को रेखांकित किया है।
यह बदलाव ऐसे समय पर प्रस्तावित किया जा रहा है जब बाइडेन 2024 के चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं। बाइडेन के समर्थकों में से कई लोग, विशेष रूप से वे जिन्होंने हाल के रूढ़िवादी फैसलों पर नाराजगी जताई है, इस प्रस्ताव को लेकर सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के लिए टर्म लिमिट्स और एथिक्स कोड लागू करना जनता के बीच व्यापक और द्विदलीय समर्थन प्राप्त कर चुका है। हालिया जनमत सर्वेक्षणों में यह स्पष्ट हुआ है कि अमेरिकी जनता टर्म लिमिट्स और नैतिकता कोड के प्रति सकारात्मक रुख रखती है। हालांकि, इसे लागू करने के लिए कांग्रेस की मंजूरी आवश्यक होगी, और वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के तहत इसे हासिल करना एक बड़ी चुनौती होगी, क्योंकि हाउस में रिपब्लिकन का बहुमत है और सीनेट में डेमोक्रेट्स का बहुत ही पतला बहुमत है।
विदित हो कि हाल के वर्षों में सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं जिनमें रो वी. वेड को उलटना, गन कंट्रोल उपायों को ब्लॉक करना, कॉलेज में प्रवेश हेतु सकारात्मक भेदभाव को खत्म करना और LGBTQ+ अधिकारों को कम करना शामिल है। इन फैसलों ने अदालत की रूढ़िवादी 6-3 बहुमत को दर्शाया है।
न्यायपालिका में स्थिरता और परिवर्तन को संतुलित करना हर लोकतंत्र के लिए एक चुनौती है। सुप्रीम कोर्ट की संरचना में बदलाव संभवतः न्यायपालिका की स्वतंत्रता और इसके प्रभाव में संतुलन स्थापित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
जो बाइडेन की योजना सुप्रीम कोर्ट को और अधिक पारदर्शी और उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक प्रयास है। यह बदलाव न केवल अदालत के कार्यों को बेहतर तरीके से समझने और उनके प्रति विश्वास को मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित कर सकता है कि न्यायाधीशों का कार्यकाल और उनके निर्णय जनता के प्रति जिम्मेदार हों।
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