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दिल्ली की सियासी जंग: मुख्यमंत्री आतिशी के घर से सामान हटाने की खींचतान

दिल्ली की सियासी जंग: मुख्यमंत्री आतिशी के घर से सामान हटाने की खींचतान

दिल्ली की राजनीति में नया मोड़

दिल्ली की राजनीति में विवादों का सिलसिला हर दिन नया मोड़ ले रहा है। हाल ही में, मुख्यमंत्री आतिशी की सरकारी निवास पर हुए घटनाक्रम ने इसे और भी ज्यादा उलझा दिया। सोमवार को जब आतिशी ने अपना कुछ सामान मुख्यमंत्री निवास पर भेजा था, तो बुधवार को सार्वजनिक निर्माण विभाग ने वहां कब्ज़ा कर लिया। यह कदम राजनीतिक तनाव का कारण बन गया।

आरोप लगाया जा रहा है कि लेफ्टिनेंट गवर्नर वी.के. सक्सेना ने भारतीय जनता पार्टी के दबाव में यह कदम उठाया है। मुख्यमंत्री कार्यालय का दावा है कि बीजेपी, जो पिछले 27 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से बाहर है, वह अब इस मौके का लाभ उठाकर निवास पर कब्जा करना चाहती है। वही दूसरी ओर, पीडब्ल्यूडी अधिकारियों का कहना है कि यह कदम मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफ़े के बाद खाली हुए निवास का निरीक्षण करने के लिए लिया गया।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

इस विसंगति के बाद, दोनों पक्षों के नेताओं ने जम कर एक दूसरे पर आरोप लगाए। आम आदमी पार्टी के नेताओं का आरोप है कि बीजेपी केवल इसलिए यह सब कर रही है क्योंकि वह चुनावों में जीत हासिल नहीं कर पाई है। विपक्ष के नेता, विजयेंद्र गुप्ता ने सवाल उठाया कि निवास की चाबी पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पीडब्ल्यूडी को क्यों नहीं सौंपी और आतिशी के पास कैसे पहुँच गई।

दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा का कहना है कि केजरीवाल का 'शीश महल' आखिरकार सील हो गया है और इसमें कई रहस्य छुपे हो सकते हैं। जबकि, आतिशी के समर्थकों का कहना है कि बीजेपी असमंजस में है कि कैसे दिल्ली के नेतृत्व को हरा सके।

मामले की गहनता

मामले की गहनता

इस पूरे प्रकरण ने दिल्ली की राजनीतिक जंग को एक नई दिशा दी है। आम आदमी पार्टी के एमएलए सौरभ भारद्वाज ने लेफ्टिनेंट गवर्नर के इस कदम की निंदा की और कहा कि देश की जनता के अधिकारों के प्रतीक इन घरों को बिना वजह खाली करवाना अस्वीकार्य है।

राज भवन के सूत्रों ने स्पष्ट किया है कि राज निवास जैसे घरों की स्वामित्व वाले लेफ्टिनेंट गवर्नर होते हैं, यह अन्य सरकारी घरों से अलग हैं।

आगामी चुनावी समीकरण

आगामी चुनावी समीकरण

इस विवादास्पद घटना ने विधानसभा चुनाव के पहले राजनीति का पारा बढ़ा दिया है। राजनीतिक हलकों में इस घटना को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं कि इसका असर आगामी चुनावी समीकरण पर पड़ेगा। बीजेपी और आप दोनों ही दल इस मामले को अपने-अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रहे हैं।

आने वाले दिनों में, यह देखना दिलचस्प होगा कि यह मामला किस दिशा में जाता है और दिल्ली की जनता इसे कैसे देखती है।

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