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महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ी बैठक: फडणवीस, शिंदे और अजित पवार अमित शाह से करेंगे मुलाकात

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद के लिए बड़ी बैठक: फडणवीस, शिंदे और अजित पवार अमित शाह से करेंगे मुलाकात

महाराष्ट्र में राजनीतिक गहमागहमी

महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों जबरदस्त हलचल मची हुई है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में महायुति गठबंधन की प्रचंड जीत के बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए कवायद तेज हो गई है। भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने 288 सीटों में से 230 पर जीत दर्ज की है, जिससे यह गठबंधन स्पष्ट रूप से सत्ता में आने के लिए तैयार है।

भाजपा ने 132 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरती हुई अपने पैर जमाए हैं। शिवसेना और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी का फडणवीस की केंद्रित राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। ऐसे में राजनीतिक समीकरणों के बीच मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं।

बैठक में अहम मुद्दे

आज की अहम बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में इस बारे में चर्चा होगी कि महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा। एकनाथ शिंदे, जो अपनी मुख्यमंत्री पद से पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि वे नरेंद्र मोदी और भाजपा के नेतृत्व द्वारा लिए गए फैसले के आड़े नहीं आएंगे।

सूत्रों की मानें तो देवेंद्र फडणवीस का मुख्यमंत्री बनना लगभग तय माना जा रहा है क्योंकि भाजपा ने इन चुनावों में सबसे बड़े संख्या बल के आधार पर जीत दर्ज की है। हालांकि, माराठा समुदाय की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह फैसला आसान नहीं होगा।

सत्ता संतुलन और आगे की राह

सत्ता संतुलन और आगे की राह

अजित पवार ने संकेत दिया है कि समारोह का आयोजन 30 नवंबर या 1 दिसंबर को हो सकता है, और इस सरकार में दो उपमुख्यमंत्रियों का पद भी होगा। संभावना यह जताई जा रही है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिंदे सेना से 6 और अजित पवार की पार्टी से 4 विधायक कैबिनेट मंत्री के पद की शपथ लेंगे।

फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि महायुति में किसी तरह की फूट नहीं है, और सभी सहयोगी पूरे समर्थन के साथ भाजपा द्वारा किए जा रहे फैसलों के साथ खड़े हैं। इस बार का चुनाव और गठबंधन महाराष्ट्र की राजनीति के भविष्य को नया दिशा देने वाला साबित होगा।

समाज की भूमिका और चुनौतियाँ

हालांकि, इस महत्वपूर्ण फैसले के लिए समाज के विभिन्न वर्गों की भूमिका पर भी चर्चा होगी। महाराष्ट्र में माराठा समुदाय का एक बड़ा राजनीतिक प्रभाव है, और नए मुख्यमंत्री के रूप में गैर-माराठा का चयन सामाजिक प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है।

यह महत्वपूर्ण होगा कि भाजपा और उसके सहयोगी दल इन चुनौतियों का समाधान निकालने में सफल रहें ताकि राज्य में स्थिरता बनी रहे और आगामी वर्ष में उनका सहयोगी गठबंधन अधिक मजबूत हो।

कुल मिलाकर, महाराष्ट्र में राजनीतिक परिदृश्य में बदलाव के बीच यह बैठक सभी की नजरों में महत्वपूर्ण साबित होगी, क्योंकि इसका असर न केवल राज्य की राजनीति पर बल्कि राष्ट्रीय राजनीति पर भी पड़ सकता है।

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