नीति आयोग की शासकीय परिषद की बैठक में प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुई, लेकिन इसमें 10 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों की अनुपस्थिति ने ध्यान खींचा। नीति आयोग के सीईओ बी.वी.आर. सुब्रह्मण्यम ने बताया कि इस बैठक का मुख्य उद्देश्य भारत को एक विकसित अर्थव्यवस्था बनाने के लिए रोडमैप पर चर्चा करना था। इसमें राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है, जो इस लक्ष्य की प्राप्ति में अहम योगदान दे सकते हैं।
कांग्रेस सहित विपक्षी नेताओं ने इस बैठक का बहिष्कार किया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार का हालिया बजट उन राज्यों और लोगों के खिलाफ एक प्रतिशोधात्मक कदम था, जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी का बहिष्कार किया। उन्होंने बैठक में भाग न लेकर अपने विरोध को स्पष्ट किया।
हालांकि, बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह उपस्थित थे, साथ ही भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी इसमें भाग लिया। बैठक का आयोजन राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र, नई दिल्ली में किया गया था।
बैठक के दौरान विभिन्न विकास संबंधित मुद्दों पर चर्चा की गई। यह स्पष्ट किया गया कि किस प्रकार से राज्य और केंद्र मिलकर कार्य करके भारत को एक विकसित राष्ट्र बना सकते हैं। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और आधारभूत संरचना क्षेत्र में सुधार की रणनीतियों पर विचार-विमर्श किया गया।
इसके अतिरिक्त, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने भी अपने उम्मीदवार होने की घोषणा की। उन्होंने आश्वासन दिया कि वे एक जन-शक्ति आधारित अभियान चलाएंगी। वर्तमान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा एवं उनकी पत्नी मिशेल ओबामा ने कमला हैरिस का समर्थन व्यक्त किया है।
इस बीच, जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा पर एक फायरिंग के दौरान तीन सेना कर्मी घायल हो गए। यह घटना तब हुई जब दोनों पक्षों के बीच गोलीबारी हुई। घटना के बाद सेना ने इलाके में तलाशी अभियान शुरू किया।
नीति आयोग की बैठक से साफ संदेश दिया गया कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने में राज्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर ही इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकती हैं। बैठक में चर्चा किए गए मुद्दों में राज्यों की विशेष भागीदारी तय की गई, ताकि समावेशी विकास संभव हो सके।
मुख्यमंत्रियों द्वारा बैठक का बहिष्कार अपने आप में केंद्र सरकार के प्रति एक विरोधी स्टैंड को दर्शाता है। इसका सीधा असर उन राज्यों की नीतियों और उनकी जनता पर पड़ सकता है। विरोध के यह कदम कहीं न कहीं जनता के हितों के साथ भी खिलवाड़ दिखता है।
भारत में विकास की राह में अनेकों चुनौतियां हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर एक सशक्त और विकसित भारत का निर्माण कर सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि सभी पक्ष मिलकर काम करें और विकास की राह पर अग्रसर हों। नीति आयोग जैसी बैठकों में शामिल होकर ही इस दिशा में सार्थक कदम उठाए जा सकते हैं।
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