सेंट लूसिया की 23 वर्षीय धाविका जूलियन अल्फ्रेड ने पेरिस 2024 ओलंपिक में इतिहास रच दिया। उन्होंने 100 मीटर दौड़ में स्वर्ण पदक जीतकर न केवल अपने देश का पहला ओलंपिक पदक जीता, बल्कि अपनी अद्वितीय क्षमता और मेहनत से सभी को प्रभावित किया।
जूलियन अल्फ्रेड का सफर आसान नहीं था। बचपन में ही एक स्कूल लाइब्रेरियन ने उनकी गतिशीलता को पहचाना और उन्हें खेल की ओर प्रेरित किया। पर उनका यह सफर आसान नहीं रहा। अपने पिता की मृत्यु के बाद, वे खेल से दूर हो गईं, लेकिन उनके कोच ने उन्हें वापस मैदान में लाने के लिए प्रेरित किया। यह वही कोच थे जिन्होंने उनकी क्षमता को परखा और उन्हें दोबारा से खेल की दुनिया में कदम रखने का साहस दिया।
अल्फ्रेड ने जमैका में प्रशिक्षण लिया और फिर टेनेसी यूनिवर्सिटी में जाने के बाद एनसीएए चैंपियन बन गईं। जमैका का कठिन प्रशिक्षण कभी उन्हें हिम्मत हारने नहीं दिया। वहां की मिट्टी ने उन्हें और भी मजबूत बनाया। टेनेसी में उन्होंने कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और हर बार अपनी ताकत को और निखारा।
अपने स्वर्ण पदक जीतने से एक रात पहले, उन्होंने उसैन बोल्ट के वीडियो देखे और अपनी तकनीक को और निखारा। यह उनकी प्रतिबद्धता और प्रेरणा का प्रतीक है कि उन्होंने अंतिम दौड़ में अपनी बेहतरीन प्रदर्शन दिया और 10.72 सेकंड में अपनी दौड़ पूरी की।
पेरिस 2024 ओलंपिक की अंतिम दौड़ में अल्फ्रेड ने अपने प्रतिद्वंद्वियों जैसे कि शा'केरी रिचर्डसन को भी मात दी और स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया। इस जीत ने न केवल सेंट लूसिया को गौरवान्वित किया बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान दिलाई।
जूलियन अल्फ्रेड की इस उपलब्धि ने सेंट लूसिया को अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स मानचित्र पर मजबूती से स्थापित किया है। उनकी इस जीत ने उनके देशवासियों को गर्व और खुशी से भर दिया है। जूलियन की इस सफलता का जश्न न केवल सेंट लूसिया बल्कि पूरे विश्व ने मनाया। यह सेंट लूसिया के एथलेटिक्स के नए युग का प्रतीक है और इससे युवा धावकों को एक नई दिशा मिलेगी।
और इस प्रकार, जूलियन अल्फ्रेड की यह यात्रा हमें सिखाती है कि कठिनाइयों को पार करते हुए, समर्पण और मेहनत से किसी भी मंजिल को हासिल किया जा सकता है।
© 2024. सर्वाधिकार सुरक्षित|