अभी तक आप शायद अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के बारे में बहुत कम सुनते हों। लेकिन यह दिन हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है और इसका मकसद पुरुषों के सकारात्मक योगदान को पहचानना है। चलिए, इस खास दिन के पीछे की कहानी और इसे कैसे खास बनाया जाए, समझते हैं।
1999 में ऑस्ट्रेलिया की एक गैर‑सरकारी संस्था ने पहला अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया। उनका लक्ष्य था ‘समानता, स्वास्थ्य, पितृत्व और मानवीय विषयों पर चर्चा को बढ़ावा देना’। बाद में विभिन्न देशों ने इसे अपनाया और आज लगभग 100 से ज्यादा देशों में यह दिन मनाया जाता है।
भारत में भी यह दिन धीरे‑धीरे लोकप्रिय हो रहा है। कई NGOs, स्कूल और कंपनियां इस दिन को लेकर कार्यक्रम आयोजित करती हैं। मुख्य बात यह है कि यह केवल ‘पुरुषों को खुश करने’ का दिन नहीं, बल्कि सामाजिक मुद्दों जैसे मानसिक स्वास्थ्य, पितृत्व, घरेलू हिंसा आदि पर खुल कर बात करने का मंच भी है।
यदि आप इस दिन को परिवार या दोस्तों के साथ खास बनाना चाहते हैं, तो कुछ आसान आइडिया अपनाएँ:
इन छोटे‑छोटे कदमों से आप न सिर्फ उनके दिल जीतेंगे, बल्कि इस दिन का असली मकसद भी पूरा करेंगे—समाज में पुरुषों की भूमिका को सकारात्मक रूप से दिखाना।
अंत में याद रखें, अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि एक सोच है। अगर हम सभी थोड़ा‑बहुत समझदारी और सम्मान दिखाएँ, तो यह दिन हर साल और भी खास बन जाएगा। आप भी इस 19 नवंबर को अपने जीवन में किसी खास पुरुष को सराहें और एक साथ मिलकर खुशियाँ बाँटें।
अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस हर साल 19 नवंबर को मनाया जाता है, जो समाज, परिवार और समुदाय में पुरुषों के महत्वपूर्ण योगदान को पहचानने और सम्मान देने के लिए है। यह दिन पुरुषों के स्वास्थ्य, उनकी भलाई और सकारात्मक भूमिका मॉडल पर ध्यान केंद्रित करता है, जबकि लैंगिक समानता और पुरुषों की समस्याओं पर चर्चा को बढ़ावा देता है।
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