हर परिवार चाहता है कि उसका बच्चा स्वस्थ और खुश रहे, लेकिन दुर्भाग्यवश साल भर कई बच्चे बीमारियों या दुर्घटनाओं में खो जाते हैं। अगर आप भी इस समस्या के बारे में गंभीरता से जानना चाहते हैं, तो पढ़िए ये आसान‑से‑समझाने वाला गाइड।
आंकड़ों के मुताबिक, भारत में बचपन की मौत के सबसे बड़े कारण हैं:
इन कारणों में से कई को बचाव के उपायों से कम किया जा सकता है।
1. टीकाकरण – भारतीय सरकार के राष्ट्रीय प्रतिरक्षण कार्यक्रम में सभी बच्चे को बुनियादी टीके लगवाएं।
2. स्वच्छता – हाथ धोना, साफ पानी पीना, और खाने को अच्छी तरह पकाना सबसे बुनियादी बचाव हैं।
3. समय पर डॉक्टर को दिखाएं – बुखार या खांसी थोड़ी देर में ठीक लगें तो भी दो‑तीन दिन में डॉक्टर से मिलें।
4. आहार पर ध्यान – अंडे, दाल, हरी सब्जियां और फल बालकों के विकास में मदद करते हैं। पोषक तत्वों की कमी से कई बीमारियों का जोखिम बढ़ता है।
5. सुरक्षा उपाय – घर में खिड़कियों पर जाल लगाएं, छोटे बच्चों को रसोई में न छोड़ें, कार सीट या हेल्मेट का उपयोग अनिवार्य बनाएं।
इन छोटे‑छोटे कदमों से बहुत सारी मौतें बच सकी हैं, बस तय करने की जरूरत है कि आप इन्हें तुरंत लागू करेंगे।
साथ ही, सरकार ने कई योजनाएँ शुरू की हैं जैसे आरोग्य बीमा योजना और बाल कल्याण मंच जो गरीब परिवारों को मुफ्त इलाज और पोषण मदद देती हैं। अगर आप इनका लाभ उठाते हैं, तो आपके बच्चे की सुरक्षा दो गुना हो जाती है।
बच्चों की मौत से जुड़ी ताज़ा खबरें भी हमारे पोर्टल पर रोज़ अपडेट होती रहती हैं। आजकल कई जगहों पर कोविड‑19 के बाद इम्यूनिटी कम होने से नई बीमारियों का डर बढ़ा है, इसलिए नियमित जांच ज़रूरी है। हमारी “बच्चों की मौत” टैग पेज पर आप इन घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट, विशेषज्ञों के टिप्स और सरकारी दस्तावेज़ पा सकते हैं।
अगर आप या आपका कोई परिचित इस समस्या से जूझ रहा है, तो तुरंत स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र या बच्चों के अस्पताल से संपर्क करें। छोटी‑सी देर में सही कदम उठाने से बड़ी चोटें बच सकती हैं। याद रखें, बचपन के कुछ साल ही जीवन की नींव बनाते हैं—उनको सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी हम पर है।
हमारे पेज पर पढ़ते रहिए, नई अपडेट और उपयोगी सुझावों के साथ। साथ मिलकर हम बच्चों की मौत को कम कर सकते हैं।
गुजरात में संदिग्ध चांडीपुरा वायरस संक्रमण से छह बच्चों की मौत हो गई है। राज्य में कुल 12 संदिग्ध मामलों की जानकारी दी गई है, जिसमें साबरकंठा, अरावली, महिसागर और खेड़ा जिलों के साथ राजस्थान और मध्य प्रदेश के मरीज शामिल हैं। यह संक्रमण संधिप्राणियों और मच्छरों के काटने से फैलता है और अधिकतर 15 साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करता है।
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