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DRS विवाद: क्या है सच्चाई और क्यों बन रहा है चर्चा

फ़ैसला‑समीक्षा प्रणाली (DRS) क्रिकेट में लाइनों को उलटने का काम करती है, लेकिन हर साल इसके आसपास नई‑नई बहसें उभरती हैं। खिलाड़ी, कोच और फैंस अक्सर पूछते हैं‑ क्या DRS वास्तव में न्याय देता है या फिर खेल को जटिल बना देता है? इस लेख में हम DRS के मूल काम, हाल के बड़े विवाद और इसका भविष्य देखेंगे।

DRS का काम कैसे करता है

जब गेंदबाज़ या बल्लेबाज़ को आउट कहा जाता है, तो दोनों पक्षों को 15‑सेकंड का समय मिलता है रिव्यू माँगने का। उस बाद में वीडियो‑टेक्नोलॉजी, बॉल‑टर्रैकिंग और साउंड‑अवेयरिटी चेक होते हैं। अगर तकनीक दिखाती है‑ कि फैसला गलत है, तो आउट या नॉट‑आउट को बदला जाता है। इस प्रक्रिया से ग़लतियों को रोकना आसान हो जाता है, लेकिन हर तकनीक में त्रुटि की संभावना रहती है।

हाल के प्रमुख DRS विवाद

2025 की आईपीएल सीज़न में कई मैचों में DRS ने विवाद को आगाज़ किया। एक हाई‑प्रोफ़ाइल खेल में, रवी रैडुल की तेज़ बॉल को ‘नो‑बॉल’ घोषित किया गया, लेकिन रीप्ले दिखाने पर वही बॉल वैध निकली। इस निर्णय ने खिलाड़ियों को नाराज़ किया और ट्विटर पर बहस छिड़ गई। इसी तरह, भारत‑ऑस्ट्रेलिया टी‑20 श्रृंखला में एक आखिरी ओवर में शीन की आउट‑डिसिप्लिन में DRS ने फिर से सवाल उठाए। कई विशेषज्ञों ने कहा‑ कि सिस्टम की गति और कैमरा एंगल अभी भी सुधारने योग्य हैं।

नवीनतम केस में, विराट कोहली ने 2025 के विंबलडन मैच में DRS का प्रयोग किया, लेकिन रीप्ले में फैसला उलट गया, जिससे कोहली ने ‘DRS पर भरोसा नहीं’ कहा। इस घटना ने क्रिकेट और टेनिस दोनों में डिवाइस‑उपयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाए।

इन विवादों के बावजूद, कई लोग DRS को खेल की सच्ची भावना रखने वाला मानते हैं। उन्होंने बताया‑ कि बिना DRS के ग़लत फैसले अधिक होते और टीमों को अनायास नुकसान हो सकता है। फैंस के बीच भी राय विभाजित है: कुछ तकनीक को सराहते हैं, तो कुछ कहते हैं‑ “रिव्यू की लहर” खेल को धीमा कर देती है।

अगर आप किसी भी टीम के फैन हैं या सिर्फ खेल की सही समझ चाहते हैं, तो DRS को समझना जरूरी है। सबसे पहले, रिव्यू की लागत और टर्नअराउंड टाइम को जानें‑ हर रिव्यू का एक मूल्य है, चाहे वह पॉइंट्स में हो या समय में। दूसरा, रीप्ले के विभिन्न एंगल देखें‑ कभी‑कभी एक एंगल से स्पष्ट होता है, लेकिन दूसरा एंगल उल्टा दिखा सकता है।

भविष्य में DRS में क्या बदलाव हो सकते हैं? कई बोर्ड्स अब AI‑आधारित एन्हांसमेंट की बात कर रहे हैं जो सोर्स कोड को तेज़ और सटीक बना सके। अगर यह सफल रहा, तो रिव्यू की समय सीमा घटेगी और खिलाड़ियों को कम इंतजार करना पड़ेगा। साथ ही, छोटे‑स्तर के टूरनमेंट में भी DRS को अपनाने की योजना है, जिससे स्थानीय खेल में भी न्याय का स्तर बढ़ेगा।

अंत में, DRS विवाद सिर्फ तकनीक की कमी नहीं, बल्कि लोगों की उम्मीदों और खेल की भावना का टकराव है। अगर आप इस बहस को समझना चाहते हैं, तो हर मैच के बाद रीप्ले देखना, विशेषज्ञों की राय पढ़ना और सोशल मीडिया पर फैंस की आवाज़ सुनना मददगार रहेगा। इस तरह आप न केवल खेल का आनंद लेंगे, बल्कि यह भी जान पाएँगे कि निर्णय‑समीक्षा प्रणाली कब काम करती है और कब नहीं।

IPL 2025: दिल्ली कैपिटल्स बनाम गुजरात टाइटंस मैच में DRS विवाद पर कुलदीप यादव का अंपायर से टकराव

IPL 2025: दिल्ली कैपिटल्स बनाम गुजरात टाइटंस मैच में DRS विवाद पर कुलदीप यादव का अंपायर से टकराव

दिल्ली कैपिटल्स और गुजरात टाइटंस के बीच आईपीएल 2025 के मुकाबले में कुलदीप यादव और अंपायर के बीच DRS फैसले पर विवाद हुआ। कुलदीप ने एलबीडब्ल्यू को लेकर नाराजगी दिखाई, जिससे उनके खिलाफ आचार संहिता के तहत कार्रवाई हो सकती है। दिल्ली की हार के साथ टीम की बल्लेबाजी और बॉलिंग की कमजोरियां भी सामने आईं।

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