क्या आप जानना चाहते हैं कि भारत कैसे अपना पहला मानव अंतरिक्ष मिशन तैयार कर रहा है? तो आप सही जगह पर आए हैं! यहाँ हम Gaganyaan के हर पहलू को आसान भाषा में समझाएँगे—ट्रेनिंग से लेकर लॉन्च तक, सब कुछ।
Gaganyaan का मतलब है "अंतरिक्ष में यात्रा" और यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का ध्येय है कि 2025‑26 में अपने पहले अंतरिक्ष यात्री को कक्षा में भेजा जाए। इसका मुख्य लक्ष्य दो‑तीन दिनों तक भारतीय कक्षा में रहने वाला एक छोटा अंतरिक्ष कार्यक्रम चलाना है, जिससे भविष्य में दीर्घकालिक मिशनों की तैयारी हो सके।
इस मिशन में दो मुख्य चरण हैं: पहले चरण में बिना मानव वाले ऑर्बिटर को लॉन्च करना, और दूसरे चरण में मानव वैमानिकों को अंतरिक्ष में भेजना। दोनों चरणों में उच्च सुरक्षा मानकों को लागू किया गया है, ताकि भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का अनुभव सुरक्षित रहे।
ISRO ने पहले ही कई उम्मीदवारों को स्क्रीन किया है। चुने हुए उम्मीदवारों को भारतीय वायु सेना के पायलट ट्रेनिंग सेंटर में बेसिक एयरोनॉटिकल ट्रेनिंग दी जाती है, फिर उन्हें रशिया के अंतरिक्ष केंद्र में माइक्रोग्रैविटी ट्रेनिंग मिलती है। इस दौरान वे यूरोपीय स्पेस एजेंसी की लूपिंग सिम्युलेटर और भारतीय निर्मित शून्य‑गुरुत्वाकर्षण मॉड्यूल का उपयोग करके वास्तविक स्थितियों की तैयारी करते हैं।
ट्रेनिंग के दौरान वे अंतरिक्ष में जीवन समर्थन सिस्टम, आपातकालीन परिस्थितियों का निपटारा और वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन सीखते हैं। इस प्रक्रिया में टीमवर्क पर बहुत ज़ोर दिया जाता है, क्योंकि अंतरिक्ष में हर कदम एक साथ तय करना पड़ता है।
यदि आप भविष्य में इस प्रकार की चुनौतियों में रूचि रखते हैं, तो विज्ञान, इंजीनियरिंग या मेडिकल फील्ड में अच्छी नींव बनाना फायदेमंद रहेगा। ISRO हर साल सिविल अभियानों को भी भर्ती करता है, तो नियमित अपडेट देखते रहें।
अब बात करें तकनीकी पहलू की। Gaganyaan के लिए भारत ने खुद का लॉन्चर—GSLV Mk III—तैयार किया है, जो 4 टन तक का पेलोड अंतरिक्ष में भेज सकता है। इस लॉन्चर पर फ़्यूज़न इंजन, प्रॉपल्शन सिस्टम और उच्च-शक्तिशाली कंप्यूटर्स लगे हैं, जो सटीक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। यह सिस्टम पहले ही रॉकेट परीक्षण में सफल रहा है, इसलिए भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान में भरोसा बढ़ गया है।
अंत में, Gaganyaan केवल एक मिशन नहीं, बल्कि भारत की तकनीकी स्वावलंबन की दिशा में एक बड़ा कदम है। इसका लाभ स्कूल‑कॉलेज में विज्ञान शिक्षा को प्रोत्साहन देना, नया रोजगार सृजन और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाना है। आप भी इस यात्रा में भाग लेकर अपने ज्ञान को बढ़ा सकते हैं—सिर्फ खबरें पढ़ें, इवेंट्स में भाग लें और सोशल मीडिया पर #Gaganyaan को फ़ॉलो करें।
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