हर साल साल के जुढ़ महीने में जब जलवायु धूप से हल्की ठंडी हो जाती है, भारत के कई हिस्सों में हरीयाली तीज मनाई जाती है। यह तीज मुख्य रूप से महिलाओं के लिये है, जो अपने पति की लम्बी उम्र और अपने परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।
इस दिन लोग घर में साफ‑सफाई, हरे पत्तों और फूलों से सजा कर पूजा करते हैं। तीज के दिन ग्रीन पत्तियों को ‘हरी कली’ कहा जाता है और इन्हें पति की माया के रूप में सम्मानित किया जाता है।
तेज पवन देवता और माँ पार्वती के बीच प्रेम का प्रतीक माना जाता है। कथा के अनुसार, पार्वती ने सती के जलस्राव को रोकने के लिये अपने पति शिव को पुनः मिलाने के लिये तीज व्रत रखा था। इसलिए तीज को महिलाओं का सशक्तिकरण और संगीनी शक्ति माना जाता है।
व्रत रखने वाली महिलाएँ सुबह स्नान कर, हरे रंग का कपड़ा पहनकर, लाल समस्या के साथ मंदिर में जाती हैं। यहाँ वे गीता, रामायण या देवी‑देवता की कहानी सुनती हैं और अपने पति के लिये प्रार्थना करती हैं।
तीज पर सबसे प्रमुख रिवाज है ‘हरी कली’ का धागा बांधना। महिलाएँ गुठली हुई हरी पत्तियों को कपड़ों के दुङार अथवा कंधे पर बाँध लेती हैं और इसे “परोव” कहते हैं। साथ ही घी, अष्टविनध्य या चंदन का दीपक जलाया जाता है।
भोजन में मुख्य रूप से ‘हरीहरी सब्ज़ी’, ‘मखाने लड्डू’, ‘फालूदा’ और ‘शरबत’ शामिल होते हैं। ये सभी खाने वाले को ठंडक और ताजगी का एहसास दिलाते हैं। अक्सर दाल और चावल के साथ मीठा लेकर दादी‑नानी की यादें ताज़ा होती हैं।
तीज के दिन महिलाओं के लिए एक खास परिधान भी होता है – घुंघरू वाले साड़ी या लहंगा, जिसमें हरे रंग के शेड्स होते हैं। इस परिधान को देखकर गाँव‑शहर में सभी की नज़रें उस पर टिकी रहती हैं।
बच्चे भी इस मौसमी उत्सव में हिस्सा लेते हैं। छोटी-छोटी लड़कियाँ मरही (हाथ में धागा बांध कर) पहनती हैं और बड़े युवा पुरुष अपने घर के बाहर ‘ऊँट’ खेलते हैं। इससे समारोह में एक जीवंत माहौल बन जाता है।
व्रत के बाद, जो भी महिला नहीं रखती वह भी तीज की शांति और खुशहाली का हिस्सा बन सकती है। कई बार लोग मिलजुल कर ‘एक साथ रोटी’ बनाते हैं और इसे बाँटते हैं। यही भावना इस त्यौहार को खास बनाती है।
आप भी अगर हरीयाली तीज मनाना चाहते हैं तो घर में साफ़‑सफ़ाई करके, हरी पत्ता और फूल लगाकर शुरू कर सकते हैं। पानी में थोड़ा गुलाब जल डालें, इससे महक भी बनेगी और वातावरण सुहावना रहेगा।
अंत में यह याद रखें कि त्यौहार का असली मक़सद है परिवार में प्यार और ख़ुशी बढ़ाना। चाहे आप बड़े शहर में रहें या छोटे गाँव में, हरीयाली तीज आपके जीवन में नई ऊर्जा और सकारात्मक भावनाएँ लाईगी।
हरीयाली तीज, जो हिंदू संस्कृति में एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, 7 अगस्त 2024 को मनाई जाएगी। यह त्यौहार भगवान शिव और देवी पार्वती के मिलन का प्रतीक है और इसे सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। महिलाएं पारंपरिक सोलह श्रृंगार करती हैं और व्रत रखती हैं। यह त्यौहार विशेष रूप से विवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो अपने वैवाहिक सुख और समृद्धि के लिए प्रार्थना करती हैं।
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