हिज़बुल्ला का नाम सुनते ही कई बार लेबनान, मध्य पूर्व या सशस्त्र समूह की छवि दिमाग में आ जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस समूह का इतिहास, लक्ष्य और आज की भूमिका कितनी जटिल हैं? इस लेख में हम सरल भाषा में हिज़बुल्ला के पीछे की कहानी, उसके राजनीतिक असर और आपको क्या‑क्या जानकारी चाहिए, यह सब बताएँगे।
हिज़बुल्ला 1982 में इज़राइल के लेबनान आक्रमण के जवाब में उभरा था। शुरुआती दिनों में यह सिर्फ एक धार्मिक मिलिशिया नहीं, बल्कि सामाजिक सहायता वाला समूह था। उन्होंने घायल सैनिकों की मदद की, अस्पताल और स्कूल खोलें, और दारिद्र्य में रहने वाले लोगों को भोजन दिया। यही कारण था कि स्थानीय लोगों ने उन्हें जल्दी अपनाया।
समय के साथ उनका सशस्त्र पक्ष ताकतवर होता गया। 1990 के दशक में इज़राइल के साथ लड़ाइयों में उन्होंने कई बार सफलताएँ हासिल कीं, जिससे उनका नाम अंतरराष्ट्रीय मीडिया में भी आया। लेकिन उनके उद्देश्य केवल सैन्य नहीं रहे – उन्होंने लेबनान की राजनीति में भी अपना प्रवेश दिया और 1992 में पहली बार संसद में सीट जीती।
आज हिज़बुल्ला एक जटिल इकाई है। एक तरफ वह लेबनान सरकार में भाग लेता है, विभिन्न विभागों में मंत्री पद संभालता है, और सामाजिक कार्यक्रम चलाता है। दूसरी तरफ वह इरान से मिलर्शिया, हथियार और वित्तीय सहायता प्राप्त करता है, जिससे उसके सैन्य क्षमताएँ अभी भी मजबूत हैं। इस द्वंद्व ने लीजन को दोनों ही दुनियाओं में एक खास पहचान दिलाई है – राजनीतिक शाखा और सशस्त्र शाखा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिज़बुल्ला को कई देशों ने आतंकवादी संगठना माना है, जबकि कुछ देशों ने उसे लेबनान की संप्रभुता के हिस्से के रूप में देखा। इस वजह से हर बार जब हिज़बुल्ला की कोई नई कार्रवाई या बयान आता है, तो मीडिया में दो तरह की रिपोर्ट्स आती हैं – एक जो उन्हें लेबनान की सुरक्षा के लिए जरूरी बताती है, और दूसरी जो उन्हें क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण मानती है।
देश के भीतर भी हिज़बुल्ला के सामाजिक कार्यों को कई लोग सराहते हैं। उनका मेडिकल क्लिनिक, स्कूल, और राहत अभियान अक्सर सरकारी से पहले चलाया जाता है। इसलिए जब आप लेबनान की सड़कों में देखते हैं तो आप अक्सर उनके फ्लायर या लोगो देखेंगे – यह उनकी जनता से जुड़ाव का प्रतीक है।
लेकिन यह भी सच है कि उनकी सशस्त्र कार्यशैली कभी‑कभी नागरिकों को भी प्रभावित करती है। सीमा क्षेत्रों में कभी‑कभी लडाइयाँ या ध्वस्त हो रहे इमारतें आम हो गई हैं। इन घटनाओं से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और राजनयिक बातचीत की जरूरत है।
यदि आप हिज़बुल्ला पर अपडेट चाहते हैं, तो हमारी साइट पर रोज़ नई रिपोर्ट्स, विशेषज्ञ राय और विश्लेषण मिलेंगे। आप यहाँ से देख सकते हैं कि उनके अगले कदम क्या हो सकते हैं, कौन सी राजनीतिक गठबंधनों में बदलाव आ सकता है, और किस तरह के अंतरराष्ट्रीय दबाव उनके काम को बदल सकते हैं।
सारांश में, हिज़बुल्ला सिर्फ एक सशस्त्र समूह नहीं, बल्कि लेबनान के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक ढांचे में गहराई से जुड़ा हुआ एक बहुअंगी संस्थान है। उसका प्रभाव समझने के लिए उसकी इतिहास, वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को एक साथ देखना जरूरी है। हम यहाँ हर परिप्रेक्ष्य को सरल भाषा में पेश करेंगे, ताकि आप इसे आसानी से समझ सकें और सूचित राय बना सकें।
हिज़बुल्ला ने पुष्टि की है कि हाशिम सफीद्दीन, जो समूह के अगले नेता माने जा रहे थे, एक इज़रायली हवाई हमले में मारे गए हैं। यह हमला दक्षिणी बेरूत में स्थित दाहियेह नामक स्थान पर हुआ, जहाँ सफीद्दीन और हिज़बुल्ला के अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे। इस हमले में महत्वपूर्ण क्षति हुई और संगठन ने हमला होने के बाद से सफीद्दीन से संपर्क खो दिया था।
© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|