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ISRO के ताज़ा समाचार और अपडेट

नमस्ते! अगर आप भारत की अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की खबरों में रुचि रखते हैं, तो आप सही जगह पर आए हैं। यहाँ हम रोज़ के लॉन्च, नई तकनीक, और भविष्य के मिशनों को सरल भाषा में बताते हैं—बिलकुल आपके समझने के लायक।

अंतिम ISRO मिशन अपडेट

पिछले हफ्ते ISRO ने अपना नवीनतम चंद्र मिशन लॉन्च किया। यह मिशन चंद्रमा के दक्षिणीय ध्रुव क्षेत्र में सॉफ्ट-लैंडिंग करने की कोशिश करेगा, जहाँ अभी तक कोई भी देश नहीं पहुँचा है। रोकेट का नाम GSLV‑M3 था, और इसे भारत के पहले फंक्शनल सैटेलाइट, ऐडवांस्ड पायरोमैटिक सेंसर के साथ कक्षीय परीक्षण किया गया। लॉन्च के दौरान रडार और कैमरा ने वास्तविक‑समय डेटा दिखाया, जिससे मिशन टीम को आख़िरी मिनट में छोटे‑छोटे एडेप्टेशन करने में मदद मिली।

लॉन्च के बाद, मिशन कंट्रोल ने कहा कि सैटेलाइट सफलतापूर्वक कक्षा में पहुँच गया और सभी प्राथमिक सिस्टम ठीक काम कर रहे हैं। अगले दो हफ्तों में यह सैटेलाइट छोटे‑छोटे प्रयोग, जैसे कि मिट्टी की नमी मापने वाले सेंसर, को परखने वाला है। इस डेटा से कृषि, जल संसाधन और जलवायु मॉडलिंग में नई‑नई संभावनाएँ खुलेंगी।

भविष्य की योजनाएँ और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी

ISRO की अगली बड़ी योजना है मार्स ऑर्बिटर मिशन, जो 2026 में प्रस्थान करने की तैयारी में है। इस मिशन का मकसद मार्स की सतह की तस्वीरें लेना और वहॉँ के रासायनिक तत्वों का अध्ययन करना है। इसके साथ ही, ISRO ने इलेक्ट्रिक लॉन्चर (स्विफ्ट‑एल) के विकास की घोषणा की है, जो छोटे सैटेलाइट को सस्ता और जल्दी लॉन्च करने में मदद करेगा।

एक और दिलचस्प पहल है ‘न्यूस्पेस’—एक सार्वजनिक-निजी साझेदारी प्लेटफ़ॉर्म, जहाँ छोटे स्टार्ट‑अप अपने प्रयोगात्मक सैटेलाइट को ISRO के नेटवर्क से लॉन्च करा सकते हैं। इससे भारत में एरोस्पेस उद्योग का विकास तेज़ होगा और नई नौकरियों का सृजन होगा।

क्या आप अपने घर से इन मिशनों को फॉलो करना चाहते हैं? ISRO के आधिकारीक YouTube चैनल और मोबाइल ऐप पर लाइव स्ट्रीमिंग उपलब्ध है। आप रियल‑टाइम में लॉन्च से लेकर सैटेलाइट डेटा तक सब देख सकते हैं। इसी तरह से आप अपने स्कूल या कॉलेज के प्रोजेक्ट के लिए भी उपयोगी डेटा ले सकते हैं।

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चंद्रयान-3 की सॉफ्ट-लैंडिंग को एक साल पूरा होने पर क्या बदला? इसरो ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ताप, सल्फर और प्लाज़्मा का डेटा जुटाया, विक्रम ने ‘हॉप’ टेस्ट भी किया। इसी दौरान आदित्य-L1 L1 कक्षा में पहुँचा और गगनयान के एस्केप सिस्टम का टेस्ट हुआ। निजी कंपनियों की रफ्तार और नई नीतियों से स्पेस इकोसिस्टम तेज हुआ। आगे LUPEX और मानव अंतरिक्ष उड़ान अगली बड़ी कड़ी हैं।

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