हाल ही में इज़राइल ने गाज़ा पट्टी पर कई हवाई हमले किए। ये हमले अक्सर टकराव के बढ़ते तनाव के बाद होते हैं, लेकिन हर बार उनका असर अलग रहता है। अगर आप इस खबर को पहली बार सुन रहे हैं, तो समझिए कि ये हमले सिर्फ वधिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक ताने-बाने को भी बदलते हैं।
इज़रायल अक्सर उन कारणों को बताता है जो उसके हमलों को वैध बनाते हैं – जैसे कि हथियार बनाते समूहों पर हमला, या सुरक्षा बलों के खिलाफ रोके गए हमले। इस बार भी इज़रायल ने कहा कि गाज़ा में हथियार निर्माण साइटों को नष्ट करना उनका प्राथमिक लक्ष्य था। इस तरह के कारण अक्सर स्थानीय जनसंख्या को भी प्रभावित करते हैं, जिससे नुकसान और मानवीय संकट बढ़ता है।
हवाई हमलों से सिविल इमारतों, स्कूलों, और अस्पतालों को भी क्षति पहुंची है। कई परिवारों को रहने की जगह खोनी पड़ी और बहुत सारे लोग घायल या मार गए। दुनिया भर की सरकारें इस पर अलग-आज़ा जवाब दे रही हैं – कुछ ने इज़रायल को समर्थन दिया, तो कुछ ने तुरंत नरसंहार रोकने की अपील की। संयुक्त राष्ट्र के पास भी इस मुद्दे पर विशेष सत्र चल रहा है।
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हवाई हमले के बाद अक्सर एम्बुलेंस, राहत सामग्री, और अस्थायी शरणस्थली की जरूरत बढ़ती है। कई NGOs और अंतरराष्ट्रीय संस्थान तुरंत मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन ज़मीनी स्थिति की अनिश्चितता उन्हें अक्सर बाधित करती है।
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हिज़बुल्ला ने पुष्टि की है कि हाशिम सफीद्दीन, जो समूह के अगले नेता माने जा रहे थे, एक इज़रायली हवाई हमले में मारे गए हैं। यह हमला दक्षिणी बेरूत में स्थित दाहियेह नामक स्थान पर हुआ, जहाँ सफीद्दीन और हिज़बुल्ला के अन्य वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे। इस हमले में महत्वपूर्ण क्षति हुई और संगठन ने हमला होने के बाद से सफीद्दीन से संपर्क खो दिया था।
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