अगर आप बिहार की राजनीति या विकास की बातें सुनते‑सुनते थक गए हैं, तो नीतीश कुमार का नाम अक्सर कानों में गूँजता है। चाहे वह ज़िला‑स्तर की योजना हो या राष्ट्रीय स्तर की नीति, उनका असर साफ़ दिखता है। इस लेख में हम उनके प्रमुख कदम, चालें और आगे की योजनाओं को आसान शब्दों में बताएँगे।
पहली बार 2005 में बिहार का सीएम बना, लेकिन 2010‑2015 के बीच उनका राज तब तक नहीं रुकता जब तक उन्होंने विकास के सात कदम नहीं रखे। उन्होंने सड़कों को खेती योग्य जमीन में बदल दिया, बिजली के बिल को कम किया और सरकारी स्कूलों में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया।
उन्हें सबसे ज़्यादा सराहा जाता है ग्रामीन विकास नीति के लिए, जिससे गाँव‑गाँव में स्वच्छ पानी, बेहतर चिकित्सा सुविधा और रोजगार के अवसर बढ़े। साथ ही, उन्होंने डिजिटल बिहार पहल शुरू की, जिससे हर स्कूल में कंप्यूटर और इंटरनेट की सुविधाएँ मिल गईं।
किसान के लिए उन्होंने कर्ज़ में छूट और सिंचाई के नए प्रोजेक्ट लागू किए, जिससे फसल उत्पादन में 30% तक बढ़ोतरी हुई। इन कदमों ने ग्रामीण इलाकों में गरीबी को घटाने में मदद की और कई युवा को खेती में वापस लाया।
अब बात करते हैं भविष्य की। नीतीश कुमार ने अगली विधानसभा में पर्यटन को धक्का देना बताया। उन्होंने कहा कि मिथिला‑पटनायक सफ़र को अंतरराष्ट्रीय दिशा में ले जाना चाहते हैं। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए उन्होंने नए हवाई अड्डे, हाईवे और होटल प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है।
साथ ही, उन्होंने स्वचालित शिक्षण मंच बनाने की योजना बनाई है, जिससे हर बच्चे को घर बैठे ही टॉप‑क्लास की शिक्षा मिल सके। यह पहल खासकर दूर‑दराज़ इलाकों में बहुत फायदेमंद होगी।
चुनौतियों की बात करें तो जलसंकट, बेरोज़गारी और स्वास्थ्य सेवा का विस्तार अभी भी समस्याएँ हैं। नीतीश कुमार इन समस्याओं को हल करने के लिए जल संरक्षण और इनोवेटिव स्वास्थ्य मॉडल को लागू करने की बात लगातार कर रहे हैं।
सारांश में, नीतीश कुमार का सफर सिर्फ सत्ता में बैठने तक सीमित नहीं, बल्कि हर कदम पर प्रदेश के लोगों की ज़रूरतों को समझ कर ठोस काम करने का प्रयास रहता है। चाहे सड़क हो, पाठशाला हो या तकनीकी प्रोजेक्ट, उनका लक्ष्य बिहार को एक आधुनिक, समृद्ध राज्य बनाना है। यदि आप बिहार की वर्तमान और भविष्य की दिशा को समझना चाहते हैं, तो इनके काम को देखना ज़रूरी है।
23 जुलाई 2024 को, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र द्वारा राज्य को विशेष दर्जा न देने पर गूढ़ प्रतिक्रिया दी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने 2012 की इंटर-मिनिस्टीरियल ग्रुप (आईएमजी) रिपोर्ट के आधार पर यह मना किया था। रिपोर्ट में बिहार को विशेष श्रेणी का राज्य मानदंड पूरा नहीं करने के कारण इससे वंचित किया गया था।
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