जब बात ONGC, भारत का प्रमुख तेल‑और‑गैस सार्वजनिक सीमित कंपनी है, जो 1956 में स्थापित हुई। ऑयल एंड नेचर गैस कॉरपोरेशन लिमिटेड की जिम्मेदारी के अंतर्गत क्रूड तेल की खोज, उत्पादन, अनुकूलन और निर्यात शामिल है, साथ ही नैचरल गैस के व्यापक उपयोग को बढ़ावा देना भी है। यह इकाई भारत की ऊर्जा सुरक्षा के केंद्र में है और सरकारी ऊर्जा नीति में प्रमुख भूमिका निभाती है।
ONGC के प्रमुख उत्पाद क्रूड तेल, कच्चा तेल जो प्यासे पेट्रोलियम रिफ़ाइंड्री में प्रोसेस हो कर पेट्रोल, डीज़ल, केरोसिन जैसी ईंधन में बदलता है है, जबकि नैचरल गैस, एक स्वच्छ ईंधन जो बिजली उत्पादन, रसोई और रासायनिक उद्योग में उपयोग होता है को ऊर्जा मिश्रण में जोड़ता है। ऊर्जा सेक्टर की स्थिरता के लिए दोनों की स्थायी आपूर्ति आवश्यक है, इसलिए ONGC ने ऑन‑शोर और ऑफ‑शोर दोनों क्षेत्रों में खोज को तेज़ किया है।
इन दोनों प्रमुख संसाधनों के अलावा, ONGC ऊर्जा सुरक्षा, देश की आर्थिक और रणनीतिक स्थिरता के लिए निरंतर ऊर्जा उपलब्धता सुनिश्चित करने की प्रक्रिया को भी अपने मिशन में शामिल करता है। यह लक्ष्य विदेशी आयात पर निर्भरता घटाने और घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए नई रिफ़ाइनरी व पेट्रोलियम पाईपलाइन बनाता है। उदाहरण के तौर पर, मुजफ्फरनगर‑भिवानी पाइपलाइन ने गैस की आपूर्ति को तेज़ किया, जिससे ऊर्जा कीमतों में स्थिरता आई।
ONGC की कार्यप्रणाली को अक्सर तीन मुख्य स्तंभों में बाँटा जाता है: अन्वेषण, उत्पादन और रिफ़ाइनरी. अन्वेषण में जियो‑फिज़िकल सर्वे, ड्रिलिंग और सिस्मिक डेटा का उपयोग किया जाता है। उत्पादन चरण में कुशल पंपिंग और फ्लूइड प्रबंधन शामिल है, जबकि रिफ़ाइनरी चरण में कच्चे तेल को बाजार‑तैयार उत्पादों में बदलना होता है। ये तीनों चरण आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े हैं; बिना अन्वेषण के उत्पादन नहीं हो सकता और बिना रिफ़ाइनरी के कच्चे तेल का मूल्य केवल सीमित रहता है।
समय‑समय पर, ONGC ने नई तकनीकों को अपनाकर उत्पादन क्षमता बढ़ाई है। जैसे कि 2023 में अधिग्रहित डीप‑वॉटर ड्रिलिंग प्लेटफ़ॉर्म ने मॅरिन की लहरों के नीचे 2 मिलियन बैरल/दिन की उत्पादन क्षमता को सक्षम किया। साथ ही, डिजिटल ट्रांसफ़ॉर्मेशन के तहत सैटेलाइट इमेजिंग और AI‑आधारित फॉल्ट डिटेक्शन ने ड्रिलिंग लागत को 15 % तक घटाया।
पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, ONGC ने कार्बन फ़ुटप्रिंट कम करने के लिए कई पहल शुरू की हैं। CO₂ कैप्चर‑स्टोरेज (CCS) परियोजनाएँ, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को मापने के लिए IoT‑सेंसर, और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे सोलर पॉवर प्लांट्स को सेट‑अप करना इसका हिस्सा है। इससे न केवल पर्यावरणीय मानकों का पालन होता है, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों का भरोसा भी बढ़ता है।
भारत की ऊर्जा नीति में ONGC का योगदान व्यापक है। राष्ट्रीय ऊर्जा सुरक्षा योजना में प्रतिव्यक्ति के अनुसार, 2025 तक घरेलू तेल और गैस उत्पादन को 30 % बढ़ाना ONGC की प्राथमिकता है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए, कंपनी ने झारखंड, तेलंगाना, गुजरात और उत्तराखंड में कई नई क्षेती खोजें शुरू की हैं। इन परियोजनाओं की सफलता सीधे तौर पर इलेक्ट्रिक ग्रिड की स्थिरता और उद्योगों की प्रतिस्पर्धात्मकता को प्रभावित करती है।
ऊर्जा बाजार के उतार‑चढ़ाव में ONGC की प्रतिक्रिया अक्सर काउंटर‑साइक्लिकल रणनीति पर आधारित रहती है। जब वैश्विक तेल कीमत गिरती है, तो कंपनी उत्पादन कटौती, वैकल्पिक गैस आयटम्स पर फोकस और लागत‑उपचारों के माध्यम से मुनाफ़ा बनाए रखती है। इसके विपरीत, जब कीमतें बढ़ती हैं, तो नई खोजों को तेज़ करके और मौजूदा परिसरों की आउटपुट बढ़ाकर लाभ अधिकतम करती है। यह गतिशीलता ONGC को उद्योग में स्थायी बनाती है।
उपरोक्त सब को देखते हुए, इस पृष्ठ पर आपको ONGC से जुड़ी विस्तृत ख़बरें, नई परियोजनाओं की अपडेट, नीति‑विश्लेषण और विशेषज्ञ राय मिलेंगी। आप तेल‑गैस उद्योग में हो रहे बदलाव, निवेश अवसर और तकनीकी प्रगति के बारे में भी पढ़ पाएँगे। नीचे दी गई लेख सूची में प्रत्येक शीर्षक आपको विशेष पहलुओं की गहराई से जानकारी देगा, जिससे आप अपनी समझ को व्यापक बना सकेंगे।
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आज के बाजार में GIFT Nifty Futures 29 पॉइंट ऊपर, Sensex 63,000 के ऊपर। Sun Pharma ने Q4 में राजस्व बढ़ाते हुए भी लाभ में गिरावट दर्ज की, जबकि ONGC ने 24% PAT बढ़ोतरी दिखाई। ITC, IndusInd Bank और Bharat Electronics भी ट्रेडर की नज़र में हैं। विदेशी निवेशकों की चाल और अमेरिकी ट्रेज़री यील्ड्स बाजार के मूड को प्रभावित कर रहे हैं।
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