स्वादिष्‍ट समाचार
  • हमारे बारे में
  • सेवा की शर्तें
  • गोपनीयता नीति
  • संपर्क

पिंक बॉल टेस्ट: क्या है, क्यों खेला जाता है और इसका असर क्या है?

क्रिकेट के दीवाने अक्सर पूछते हैं, ‘पिंक बॉल टेस्ट असली टेस्ट से कैसे अलग है?’ चलिए, आसान भाषा में समझते हैं। पिंक बॉल वह गेंद है जो खास तौर पर दिन‑रात के अंतरिक्ष (डेन‑ऑफ‑डेलाइट) में बेहतर दिखाई देती है। इसलिए इसका प्रयोग उन टेस्ट मैचों में किया जाता है जो शाम‑रात तक चलते हैं।

पिंक बॉल टेस्ट क्यों शुरू हुए?

परम्परागत लाल गेंद के टेस्ट मैच को शाम‑रात तक बढ़ाने पर दर्शक कम होने की समस्या थी। स्टेडियम में रोशनी की कमी से गेंद देखी नहीं जा पाती, और टीवी पर भी विज़ुअल क्वालिटी घटती। पिंक बॉल ने इस दिक्कत को हटाया। इससे मैच में उत्साह बना रहता है, किरायेदार भी लंबी देर तक बैठते हैं और टेलीविजन पर दर्शकों की संख्या भी बढ़ती है। भारत, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसे देश ने इस फॉर्मेट को अपनाया, और अब कई प्रमुख टूर में पिंक बॉल टेस्ट शामिल है।

पिंक बॉल टेस्ट की मुख्य बातें

पहला, गेंद का रंग हल्का गुलाबी‑सफेद होता है, जिससे यह धुंध और प्रकाश में भी साफ दिखती है। दूसरी, इसका डिजाइन थोड़ा मोटा होता है, जिससे बाउंस और स्विंग दोनों पर असर पड़ता है। परिणामस्वरूप बल्लेबाजों को अलग‑अलग चुनौतियों का सामना करना पड़ता है – सुबह के पिच से लेकर शाम के घास तक। तीसरा, वॉटर‑ड्रिप (रात के तापमान) के कारण पिच की गति बदलती है, जिससे स्पिनर को भी फायदा मिलता है। इस बदलाव से मैच में ‘पिवट पॉइंट’ बनता है, जहाँ जीत का मोड़ जल्दी बदल सकता है।

अब बात करते हैं कि पिंक बॉल टेस्ट कब देखना चाहिए। अगर आप रात के समय टीवी देखते हैं, तो शाम‑शाम के ओवर को पकड़ना फायदेमंद रहेगा, क्योंकि उस समय गेंद की गति और स्विंग दोनों ही मज़ेदार होते हैं। साथ ही, स्टेडियम में बैठने वाले दर्शकों को भी शाम‑रात के सत्र में स्नैक और आरामदायक माहौल मिलता है, जिससे अनुभव बेहतरीन बनता है।

कुछ लोग कहते हैं कि पिंक बॉल बल्लेबाजों के लिए अधिक कठिन है, खासकर जब पिच में रिवर्स स्विंग आता है। लेकिन इस कठिनाई का भी अपना मज़ा है – यह बल्लेबाजों की तकनीक को परखता है और टीम को नई रणनीतियाँ अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इस कारण कई टीमें अपने प्लेइंग इलेव को पिंक बॉल के हिसाब से बदलती हैं, जैसे तेज़ बॉलर्स को शुरुआती ओवर में अधिक गति देना या स्पिनर को देर के ओवर में रोल‑ऑफ़ करना।

यदि आप पिंक बॉल टेस्ट को फॉलो करना चाहते हैं, तो प्रमुख टूर्नामेंट्स की शेड्यूल पर नज़र रखें – भारत के खिलाफ इंग्लैंड का 2025 पिंक बॉल टेस्ट, ऑस्ट्रेलिया में डेज़र्ट ड्यू पिंक बॉल सीरीज़, और इंग्लैंड में एडिनबरो की ‘डेमन ऑफ़ पिंक बॉल’ श्रृंखला। इन मैचों में मिलने वाला रोमांच, रणनीति और अंत तक चलने वाला थ्रिल आपको सामान्य टेस्ट से अलग अनुभव देगा।

अंत में, अगर आप सोच रहे हैं कि पिंक बॉल टेस्ट को देखना चाहिए या नहीं, तो एक बार इसे देखिए। संभव है कि आप इस नई रंगत के साथ क्रिकेट का नया रूप देखेंगे, जो रात की रोशनी में चमकता है और खेल को और रोमांचक बनाता है।

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा पिंक बॉल टेस्ट: पहले दिन मिचेल स्टार्क का कहर

भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया दूसरा पिंक बॉल टेस्ट: पहले दिन मिचेल स्टार्क का कहर

बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दूसरे टेस्ट में भारत और ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला एडिलेड ओवल में हुआ। भारत ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने का निर्णय लिया, जो गलत सिद्ध हुआ। मिचेल स्टार्क की खतरनाक गेंदबाजी से ऑस्ट्रेलिया ने पहले दिन भारत को सिर्फ 180 रन पर समेट दिया। ऑस्ट्रेलिया दिन का खेल खत्म होने तक 86/1 रन बनाकर मजबूत स्थिति में है।

अधिक

© 2025. सर्वाधिकार सुरक्षित|