यौन उत्पीड़न शब्द सुनते ही बहुत से लोग घबराते हैं, लेकिन असल में इसका मतलब क्या है, किसे कैसे पहचानना चाहिए, ये सब कुछ नहीं पता होता। चलिये, इस लेख में हम इसे आसान शब्दों में समझेंगे और आपके लिए कुछ काम की टिप्स लाएंगे।
सबसे पहले, यह जानना ज़रूरी है कि यौन उत्पीड़न सिर्फ शारीरिक हमला नहीं, बल्कि मौखिक या लिखित असुविधा भी शामिल है। आम तौर पर ये दो प्रकार में बाँटा जाता है:
अगर आपको या आपके आस‑पास किसी को ये बातें कर रहे हैं, तो इसे हल्का न समझें। हर छोटी‑छोटी घटना आगे बड़े खतरे की ओर ले जा सकती है।
यौन उत्पीड़न को पूरी तरह खत्म करना मुश्किल है, पर आप खुद को बचाने के लिए कुछ सरल उपाय कर सकते हैं:
भारत में महिलाओं, बच्चों और पुरुषों के लिए कई कानून हैं, जैसे कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 354, 376 आदि। अगर आप या आपके परिचित को यौन उत्पीड़न का शिकार बनना पड़े, तो ये कदम अपनाएँ:
कभी‑कभी डर के कारण लोग चुप रहते हैं, लेकिन याद रखिए कि रिपोर्ट करने से ही आगे की कार्रवाई शुरू होती है और दूसरों को भी इसी तरह के शिकार बनाने से रोका जा सकता है।
उत्पीड़न का शिकार होने पर मानसिक तनाव भी बहुत बढ़ जाता है। इसलिए:
समाप्ति में, याद रखिए कि यौन उत्पीड़न सिर्फ़ एक घटना नहीं, बल्कि एक गंभीर सामाजिक समस्या है। जागरूकता, सही रिपोर्टिंग और समर्थन नेटवर्क बनाकर हम इसे कम कर सकते हैं। अगर आप या आपका कोई जानने वाला इस समस्या से जूझ रहा है, तो आगे बढ़ें, मदद लें और अपने अधिकारों की रक्षा करें।
मलयालम अभिनेता-निर्माता बाबूराज पर एक जूनियर आर्टिस्ट ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। आरोप के अनुसार, यह घटना 2019 में हुई थी। बाबूराज ने आरोपों से इनकार किया है और कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। यह मामला हिमा कमेटी रिपोर्ट के खुलासे के बाद सामने आया है, जिसमें मलयालम फिल्म उद्योग में महिलाओं के अनुभवों पर प्रकाश डाला गया था।
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