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तुलसी गैबार्ड और हिंदुत्व की वर्तमान विजय का विश्लेषण

तुलसी गैबार्ड और हिंदुत्व की वर्तमान विजय का विश्लेषण

तुलसी गैबार्ड का हिन्दुत्व से संबंध

अमेरिका में राजनीति के अंदर कई प्रकार के विचारधाराएं सक्रिय हैं, और इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण चर्चा का विषय है तुलसी गैबार्ड और उनके हिंदुत्व से संबंध। तुलसी गैबार्ड के राजनीतिक स्थल पर उभरते ही, उनके भारत के हिंदू राष्ट्रवादी आंदोलन 'हिंदुत्व' के साथ संबंधों ने ध्यान आकर्षित किया है। पत्रकार पीटर फ्रेडरिक, जो गैबार्ड के हिन्दुत्व समूहों से जुड़ाव पर गहराई से रिपोर्ट करते आये हैं, यह तर्क देते हैं कि उनकी अमेरिकी खुफिया निदेशक के रूप में नियुक्ति, अमेरिकी शासन में हिंदुत्व के प्रभाव को दर्शाती है।

फ्रेडरिक बताते हैं कि संघ परिवार के सहयोगियों, जिसमें आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) प्रमुख है, ने गैबार्ड के राजनीतिक करियर का भारी समर्थन किया। फ्रेडरिक इन आंदोलनों की तुलना फासीवादी विचारधाराओं और सफेद राष्ट्रवाद से करते हैं।

समाज में प्रगतिशीलता की आवश्यकता और राजनीतिक चुनौतियाँ

समाज में प्रगतिशीलता की आवश्यकता और राजनीतिक चुनौतियाँ

भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना, जो खुद भी हिंदू हैं, गैबार्ड के हिंदुत्व के समर्थन के खिलाफ खुलकर बोलते हैं। वह इस बात पर जोर देते हैं कि हिंदू राजनेताओं की जिम्मेदारी है कि वे समावेशिता को बढ़ावा दें और अपवर्जनकारी विचारधाराओं का विरोध करें। 2018 के वर्ल्ड हिंदू कांग्रेस से गैबार्ड का राजनैतिक कारणों से हटना उन्हीं द्वंद्वों की ओर संकेत करता है। फ्रेडरिक का मानना है कि यह कदम राजनीतिक हित के साधन के रूप में देखा जा सकता है, न कि किसी मजबूत सैद्धांतिक विरोध के।

फ्रेडरिक इस बात पर भी चिंता जताते हैं कि हिंदुत्व से जुड़े ऐसे व्यक्तियों का अमेरिकी खुफिया में प्रभाव खतरनाक हो सकता है। उन्होंने पहले भी हिन्दुत्व समूहों की हिंसक गतिविधियों से अमेरिकी नागरिकों को हुए जोखिमों का उल्लेख किया। यह चौंकाने वाला हो सकता है कि एक विचारधारा, जिसे अक्सर सफेद राष्ट्रवाद के समकक्ष माना जाता है, वह अमेरिकी शासन के उच्चतम स्तरों पर प्रभाव डाल सकती है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अप्रत्याशित नीतियों और बदलते राजनीतिक गठबंधनों को देखते हुए फ्रेडरिक मानते हैं कि गैबार्ड की वर्तमान स्थिति भविष्य में स्थायी न भी रह सके। ट्रंप के पथ पर आकर गैबार्ड सेकंडेरी भूमिका में लौट सकती हैं। इस अस्थिरता के कारण, अमेरिका की राजनीति में तेजी से बदलते समीकरण गैबार्ड के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं।

टैग: तुलसी गैबार्ड हिंदुत्व राजनीति अमेरिका

20 टिप्पणि

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    Mahesh Goud

    फ़रवरी 15, 2025 AT 18:32
    ये सब बकवास है भाई। तुलसी गैबार्ड तो एक अमेरिकी है जिसने अपने धर्म को अपनाया, और अब उसकी जड़ों को देखकर भारत के बाहर बैठे लोग बड़े बड़े निष्कर्ष निकाल रहे हैं? आरएसएस के साथ उसका कोई सीधा संबंध नहीं है। ये लोग तो हर भारतीय अमेरिकी को हिंदुत्व का एजेंट बना देते हैं। क्या जब कोई भारतीय अमेरिकी गीता पढ़ता है तो वो फासीवादी हो जाता है? बस एक बात समझ लो - अमेरिका में धर्म और राजनीति अलग हैं। यहाँ के लोग अपनी पहचान को दुनिया के सामने लाते हैं, और तुम लोग उसे खतरा समझ लेते हो। ये नहीं चलेगा।
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    Ravi Roopchandsingh

    फ़रवरी 15, 2025 AT 20:30
    ये सब फ्रेडरिक की फिल्मी बातें हैं 😒 अमेरिका में हिंदू लोगों को डराने का एक नया तरीका निकाल लिया है। तुलसी ने जो किया वो उसका अधिकार था। अगर तुम्हारे दिमाग में हिंदुत्व = हिंसा है, तो तुम्हारा दिमाग बदलो। 🤦‍♂️ भारत में हिंदुत्व तो संस्कृति है, राष्ट्रीय गर्व है, और अमेरिका में भी ऐसे ही लोग हैं जो अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं। ये सब लोग तो बस एक नए नाम से 'हिंदू भय' फैला रहे हैं।
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    Shalini Dabhade

    फ़रवरी 17, 2025 AT 06:36
    अरे भाई ये लोग तो अमेरिका के लिए भारत का इस्तेमाल कर रहे हैं। तुलसी गैबार्ड एक शक्तिशाली नेता है और अमेरिका में हिंदू लोगों की आवाज बन गई है। ये लोग जो उसका विरोध कर रहे हैं, वो खुद भी भारत के खिलाफ जागरूक हैं। अगर तुम भारत को बचाना चाहते हो तो तुलसी का समर्थन करो। रो खन्ना जैसे लोग तो बस अमेरिकी लोगों को खुश करने के लिए बोल रहे हैं। हिंदुत्व का मतलब नहीं होता भारत को बर्बाद करना। ये सब लोग अपने आप को बहुत आधुनिक समझते हैं, पर वास्तव में वो बस डरे हुए हैं।
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    Jothi Rajasekar

    फ़रवरी 18, 2025 AT 21:36
    अरे भाई ये सब बहुत ज्यादा गहरा हो गया 😅 तुलसी गैबार्ड एक इंसान हैं, जिन्होंने अपने जीवन में बहुत कुछ किया। अगर वो अपने धर्म को सम्मान देती हैं, तो उसका क्या दोष? हम भारतीयों को अपने अपने तरीके से अपनी पहचान बनाने दो। ये सब विश्लेषण तो बस एक बहाना है जिससे लोग एक-दूसरे के बीच झगड़ा शुरू कर देते हैं। चलो थोड़ा शांत रहें, और अपने घर की बात ठीक करें। 🙏
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    Irigi Arun kumar

    फ़रवरी 19, 2025 AT 16:02
    देखो ये सब बहुत आसानी से नहीं बनता। तुलसी गैबार्ड के बारे में जो बातें कही जा रही हैं, वो सच नहीं हैं। आरएसएस के साथ उनका कोई आधिकारिक या व्यक्तिगत संबंध नहीं है। अगर कोई भारतीय अमेरिकी अपने धर्म को जीता है, तो उसे हिंदुत्व का एजेंट नहीं कहा जा सकता। ये सब लोग तो एक ऐसी बात को बड़ा बना रहे हैं जो बिल्कुल छोटी है। हिंदुत्व का मतलब तो है भारतीय संस्कृति का सम्मान, और अमेरिका में भी ऐसे लोग हैं जो अपने रूढ़िवादी विचारों को छुपाते हैं। इस बात को लेकर इतना शोर मत मचाओ।
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    Jeyaprakash Gopalswamy

    फ़रवरी 21, 2025 AT 15:43
    अरे यार, ये सब बहुत ज्यादा उलझ गया। तुलसी गैबार्ड एक अमेरिकी नेता हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं। उन्होंने अपने धर्म को अपनाया, और उसके साथ अपनी राजनीति को जोड़ा। इसमें क्या गलत है? अगर कोई अमेरिकी मुस्लिम अपने धर्म के आधार पर राजनीति करता है, तो उसकी आलोचना नहीं होती। तो हिंदू के लिए क्यों? ये सब तो द्वैतवाद है। अगर हम अपने धर्म को गलत नहीं मानते, तो दूसरों को भी अपने धर्म को जीने दो। शांति से रहें, और अपने आप को बहुत ज्यादा नहीं लगाएं।
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    ajinkya Ingulkar

    फ़रवरी 22, 2025 AT 09:37
    ये सब बकवास है। तुलसी गैबार्ड को हिंदुत्व का एजेंट बनाने की कोशिश की जा रही है। आरएसएस के साथ उनका कोई संबंध नहीं है। ये सब लोग तो अमेरिका में हिंदू लोगों को डराने के लिए एक नया नाम बना रहे हैं। हिंदुत्व का मतलब तो है भारतीय संस्कृति का सम्मान, और अमेरिका में भी ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म को जीते हैं। ये लोग जो उसका विरोध कर रहे हैं, वो खुद भी भारत के खिलाफ हैं। अगर तुम्हें भारत की संस्कृति नहीं पसंद, तो तुम्हें भारत छोड़ देना चाहिए। हिंदुत्व नहीं, हिंसा नहीं, बल्कि गर्व है।
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    nidhi heda

    फ़रवरी 23, 2025 AT 18:48
    अरे यार, ये सब तो बहुत ड्रामा है 😭 तुलसी गैबार्ड तो एक अमेरिकी हैं, जिनकी माँ भारतीय हैं। अगर वो अपने धर्म को जीती हैं, तो उसका क्या दोष? ये लोग तो उन्हें हिंदुत्व का राजनेता बना रहे हैं। अगर ये लोग इतने डरे हुए हैं, तो वो अपने घर में बैठकर गीता पढ़ लें। मैं तो बस इतना कहूंगी - अपने दिमाग को बंद करो और दूसरों को जीने दो। 🤷‍♀️
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    DINESH BAJAJ

    फ़रवरी 24, 2025 AT 17:21
    तुलसी गैबार्ड को हिंदुत्व का प्रतिनिधि बनाने की कोशिश बहुत बेकार है। उन्होंने कभी भी आरएसएस का समर्थन नहीं किया। ये सब लोग तो अमेरिका में हिंदू लोगों को डराने के लिए एक नया नाम बना रहे हैं। हिंदुत्व का मतलब तो है भारतीय संस्कृति का सम्मान, और अमेरिका में भी ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म को जीते हैं। ये लोग जो उसका विरोध कर रहे हैं, वो खुद भी भारत के खिलाफ हैं। अगर तुम्हें भारत की संस्कृति नहीं पसंद, तो तुम्हें भारत छोड़ देना चाहिए।
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    Rohit Raina

    फ़रवरी 26, 2025 AT 15:04
    ये सब बहुत ज्यादा अतिशयोक्ति है। तुलसी गैबार्ड एक अमेरिकी नेता हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं। उन्होंने अपने धर्म को जीया, और उसके साथ अपनी राजनीति को जोड़ा। इसमें क्या गलत है? अगर कोई अमेरिकी मुस्लिम अपने धर्म के आधार पर राजनीति करता है, तो उसकी आलोचना नहीं होती। तो हिंदू के लिए क्यों? ये सब तो द्वैतवाद है। अगर हम अपने धर्म को गलत नहीं मानते, तो दूसरों को भी अपने धर्म को जीने दो।
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    Prasad Dhumane

    फ़रवरी 27, 2025 AT 11:34
    देखो, ये सब बहुत ज्यादा उलझ गया है। तुलसी गैबार्ड एक अमेरिकी नेता हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं। उन्होंने अपने धर्म को जीया, और उसके साथ अपनी राजनीति को जोड़ा। इसमें क्या गलत है? अगर कोई अमेरिकी मुस्लिम अपने धर्म के आधार पर राजनीति करता है, तो उसकी आलोचना नहीं होती। तो हिंदू के लिए क्यों? ये सब तो द्वैतवाद है। अगर हम अपने धर्म को गलत नहीं मानते, तो दूसरों को भी अपने धर्म को जीने दो। शांति से रहें, और अपने आप को बहुत ज्यादा नहीं लगाएं।
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    rajesh gorai

    फ़रवरी 27, 2025 AT 14:03
    हिंदुत्व का एक विशिष्ट अस्तित्व है, जो एक भारतीय संस्कृति के अनुसार एक राष्ट्रीय आत्मा को प्रतिबिंबित करता है। तुलसी गैबार्ड एक विशिष्ट निदर्शन हैं जिन्होंने इस अस्तित्व को एक अंतरराष्ट्रीय वातावरण में प्रस्तुत किया है। यह एक नए राष्ट्रीय अनुभव का उदाहरण है, जो एक वैश्विक अनुकूलन के साथ एक पारंपरिक धार्मिक संरचना को जोड़ता है। यह एक सांस्कृतिक विस्तार है, जिसका अर्थ एक राष्ट्रीय विचारधारा का अंतरराष्ट्रीय विस्तार है। यह एक अनूठा सांस्कृतिक विस्तार है, जो एक विशिष्ट राष्ट्रीय आत्मा को वैश्विक स्तर पर दर्शाता है।
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    Rampravesh Singh

    फ़रवरी 28, 2025 AT 12:19
    सम्माननीय लोगों, इस विषय पर विचार करने के लिए धन्यवाद। तुलसी गैबार्ड की राजनीतिक भूमिका का विश्लेषण करना एक उचित प्रयास है। उनके धार्मिक मूल्यों का उनके राजनीतिक निर्णयों से संबंध स्थापित करना एक वैध विषय है। हालाँकि, इस विषय पर अतिशयोक्ति और अनाधिकृत निष्कर्ष नहीं निकाले जाने चाहिए। अमेरिकी राजनीति में विविधता का सम्मान एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इसलिए, एक व्यक्ति के धार्मिक पृष्ठभूमि को उनकी राजनीतिक योग्यता का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए।
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    Akul Saini

    मार्च 1, 2025 AT 12:55
    इस लेख में जो तर्क दिए गए हैं, वो बहुत सतही हैं। तुलसी गैबार्ड के साथ आरएसएस का कोई आधिकारिक संबंध नहीं है। अगर कोई भारतीय अमेरिकी अपने धर्म को जीता है, तो उसे हिंदुत्व का एजेंट नहीं कहा जा सकता। ये सब लोग तो एक ऐसी बात को बड़ा बना रहे हैं जो बिल्कुल छोटी है। हिंदुत्व का मतलब तो है भारतीय संस्कृति का सम्मान, और अमेरिका में भी ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म को जीते हैं। ये लोग जो उसका विरोध कर रहे हैं, वो खुद भी भारत के खिलाफ हैं।
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    Arvind Singh Chauhan

    मार्च 3, 2025 AT 05:17
    तुलसी गैबार्ड के बारे में जो बातें कही जा रही हैं, वो सच नहीं हैं। आरएसएस के साथ उनका कोई संबंध नहीं है। ये सब लोग तो अमेरिका में हिंदू लोगों को डराने के लिए एक नया नाम बना रहे हैं। हिंदुत्व का मतलब तो है भारतीय संस्कृति का सम्मान, और अमेरिका में भी ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म को जीते हैं। ये लोग जो उसका विरोध कर रहे हैं, वो खुद भी भारत के खिलाफ हैं। अगर तुम्हें भारत की संस्कृति नहीं पसंद, तो तुम्हें भारत छोड़ देना चाहिए।
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    AAMITESH BANERJEE

    मार्च 5, 2025 AT 04:00
    देखो, ये सब बहुत ज्यादा उलझ गया है। तुलसी गैबार्ड एक अमेरिकी नेता हैं, जिनकी जड़ें भारत में हैं। उन्होंने अपने धर्म को जीया, और उसके साथ अपनी राजनीति को जोड़ा। इसमें क्या गलत है? अगर कोई अमेरिकी मुस्लिम अपने धर्म के आधार पर राजनीति करता है, तो उसकी आलोचना नहीं होती। तो हिंदू के लिए क्यों? ये सब तो द्वैतवाद है। अगर हम अपने धर्म को गलत नहीं मानते, तो दूसरों को भी अपने धर्म को जीने दो। शांति से रहें, और अपने आप को बहुत ज्यादा नहीं लगाएं।
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    Akshat Umrao

    मार्च 5, 2025 AT 21:58
    अरे यार, ये सब तो बहुत ड्रामा है 😅 तुलसी गैबार्ड तो एक अमेरिकी हैं, जिनकी माँ भारतीय हैं। अगर वो अपने धर्म को जीती हैं, तो उसका क्या दोष? ये लोग तो उन्हें हिंदुत्व का राजनेता बना रहे हैं। अगर ये लोग इतने डरे हुए हैं, तो वो अपने घर में बैठकर गीता पढ़ लें। मैं तो बस इतना कहूंगा - अपने दिमाग को बंद करो और दूसरों को जीने दो। 🙏
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    Sonu Kumar

    मार्च 6, 2025 AT 08:06
    ये सब बहुत ज्यादा अतिशयोक्ति है। तुलसी गैबार्ड के साथ आरएसएस का कोई आधिकारिक संबंध नहीं है। अगर कोई भारतीय अमेरिकी अपने धर्म को जीता है, तो उसे हिंदुत्व का एजेंट नहीं कहा जा सकता। ये सब लोग तो एक ऐसी बात को बड़ा बना रहे हैं जो बिल्कुल छोटी है। हिंदुत्व का मतलब तो है भारतीय संस्कृति का सम्मान, और अमेरिका में भी ऐसे लोग हैं जो अपने धर्म को जीते हैं। ये लोग जो उसका विरोध कर रहे हैं, वो खुद भी भारत के खिलाफ हैं।
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    sunil kumar

    मार्च 6, 2025 AT 16:45
    इस विषय पर विचार करना उचित है। तुलसी गैबार्ड के धार्मिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक निर्णयों के बीच संबंध का विश्लेषण एक वैध विषय है। हालाँकि, इस विषय पर अतिशयोक्ति और अनाधिकृत निष्कर्ष नहीं निकाले जाने चाहिए। अमेरिकी राजनीति में विविधता का सम्मान एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है। इसलिए, एक व्यक्ति के धार्मिक पृष्ठभूमि को उनकी राजनीतिक योग्यता का आधार नहीं बनाया जाना चाहिए।
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    Mahesh Goud

    मार्च 7, 2025 AT 04:58
    अब ये लोग तो बस एक नए बहाने से अपने भय को छुपा रहे हैं। तुलसी गैबार्ड को नहीं, अपने अपने दिमाग को ठीक करो। ये सब बकवास है।

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